हरियाना /यूटर्न/3 अक्तूबर: कांग्रेस अपने नेता राहुल गांधी की यात्राओं की ताकत समझ चुकी है। इसलिए हरियाणा के कुरुक्षेत्र में उसने आखिरी चरण में राहुल गांधी की प्रचार सभाओं के बजाय राहुल गांधी की तीन दिन विजय संकल्प यात्रा का आयोजन कर डाला। इसमें वोटर्स तक पहुंचने और उनसे जुडऩे के लिए जनसभा, रैली, रोड शो से लेकर सडक़ चलते लोगों से मुलाकात, समाज के अलग-अलग तबकों से संपर्क व संवाद जैसे तमाम मसालों का इस्तेमाल किया। भले ही जमीन पर माहौल कांग्रेस के पक्ष में दिख रहा हो, लेकिन पिछले कई सालों से लगातार हार का मुंह देखने वाली कांग्रेस अब जीत को लेकर कोई कोर कसर छोडऩे के लिए तैयार नहीं है, इसलिए उसने हरियाणा के रण में अपनी पूरी ताकत झोंक दी है। कांग्रेस समझ रही है कि उसका मुकाबला भले ही बीजेपी से हो, लेकिन उसकी राह को मुश्किल बनाने के लिए आप से लेकर जेजेपी-चंदशेखर आजाद की आजाद समाज पार्टी और आईएनएलडी, बीएसपी जैसी पार्टियां जमीन पर हैं, जो कुछ सीटों को छोडक़र जीतने की स्थिति में भले ही न हों, लेकिन सियासी समीकरणों के उलटफेर कर हार-जीत को पलट सकती हैं। मंगलवार को राहुल ने इन गठबंधन व दलों को बीजेपी की बी, सी, डी तक करार देते हुए कहा था कि हरियाणा में कांग्रेस की सुनामी आ रही है।
हरियाणा पर जोर क्यों
हाल ही में चार राज्यों में चुनाव होने हैं। इनमें से हरियाणा ही एक ऐसा राज्य है, जहां कांग्रेस अपने दम पर सरकार बनाने का सपना संजो रही है। जंमू कश्मीर में वोटिंग निपट चुकी है, वहां नतीजे आने बाकी हैं। जंमू-कश्मीर में विपक्षी गठबंधन जीतता है तो सरकार गठबंधन की होगी, कांग्रेस की नहीं। इसी तरह से महाराष्ट्र औऱ झारखंड में भी कांग्रेस गठबंधन का हिस्सा है। इन तीनों राज्यों में विपक्ष के जीतने पर कांग्रेस घटक दल के तौर पर सरकार का हिस्सा बन सकती है। फिलहाल कांग्रेस की कर्नाटक, हिमाचल प्रदेश व तेलंगाना में सरकार है, जबकि तमिलनाडु और झारखंड में उसका गठबंधन सत्ता में है। ऐसे में हरियाणा से उम्मीदें होना स्वाभाविक है।
यात्रा के जरिए गढ्ढे भरने की कोशिश में कांग्रेस
राहुल गांधी की इस यात्रा के जरिए कांग्रेस अपने भीतर की तमाम कमियों को दूर करने की कोशिश भी कर रही है। गुटबाजी के स्थायीभाव से जूझने वाली कांग्रेस के लिए इस मामले में हरियाणा भी अपवाद नहीं है। वहां पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा के साथ-साथ कांग्रेस महासचिव व दलित नेता कुमारी सैलजा से लेकर जाट नेता और कांग्रेस महासचिव रणदीप सिंह सुरजेवाला तक सीएम बनने का न सिर्फ खवाब देख रहे हैं, लेकिन वे अपनी दिली इच्छा जाहिर भी कर चुके हैं। इस गुटबाजी से कहीं न कहीं पार्टी का प्रचार प्रभावित हो रहा था। ऐसे में राहुल गांधी का हुड्डा और सैलजा को साथ लेकर चलना कहीं न कहीं जमीन पर वोटर्स को हम साथ-साथ हैं का संदेश देने की कवायद मानी जा रही है। सैलजा के घर अंबाला के नारायणगढ़ से अपनी यात्रा शुरू करते हुए मंच पर जिस तरह से राहुल गांधी ने सैलजा और हुड्डा के हाथ मिलवाए, वो जमीन पर एक मजबूत संदेश देने की कोशिश थी। सूत्रों के मुताबिक, राहुल गांधी की इस यात्रा के जरिए पार्टी हरियाणा में अपने नाराज नेताओं को भी साधने की कोशिश कर रही है।
भितरघात का डर
कांग्रेस की एक बड़ी चिंता ऐन समय में नाराज अपनों की ओर से होना वाला भितरघात भी है। ऐसे में राहुल गांधी के जाने से सभी को न सिर्फ साथ आना पड़ रहा है, बल्कि इससे नाराजगी को कम करने का कवायद भी माना जा रहा है। इस यात्रा के जरिए जहां एक ओर कांग्रेस ने बहादुरगढ़, खरखौदा, सोनीपत और गोहाना जैसे अपने मजबूत इलाकों को कवर करने की कोशिश की तो वहीं उन पर खास फोकस किया, जो बीजेपी का मजबूत गढ़ माने जाते हैं।
बीजेपी को को घेरने के लिए लगाई ताकत
कांग्रेस एक तरफ बीजेपी के खिलाफ एंटी इनकंबेंसी की हवा अपने पक्ष में मोडऩे में लगी है, वहीं उसे को रोकने के लिए उसके मजबूत पकड़ वाले इलाकों पर फोकस किया है। सूत्रों के मुताबिक, यात्रा के जरिए जिस तरह से पार्टी ने राहुल गांधी को हरियाणा से गुजरने वाली जीटी रोड पर चलवाया है, वह उसी रणनीति का हिस्सा है। पार्टी के एक रणनीतिकार के मुताबिक, यात्रा के जरिए अंबाला से लेकर सोनीपत तक को कवर किया जा रहा है। इस रास्ते में जीटी रोड से लगते इलाकों में बीजेपी मजबूत मानी जा रही है। इनमें करनाल, कुरुक्षेत्र लोकसभा सीटें बीजेपी के पास हैं। दूसरी ओर इस यात्रा में उन जगहों को भी शामिल किया गया है, जहां पीएम मोदी सभाएं और रैलियां कर गए हैं। राहुल गांधी अपनी यात्रा में बीजेपी, खासकर पीएम मोदी द्वारा बोले गए हमलों व आरोपों पर लगातार पलटवार कर रहे हैं। कांग्रेस हरियाणा में किसान, जवान, पहलवान, बेरोजगारी जैसे मुद्दों को लेकर बीजेपी के खिलाफ दिख रही एंटी इनकंबेंसी को भुनाकर सत्ता में आने की कोशिश कर रही है।
खरगे और प्रियंका भी प्रचार मैदान में
कांग्रेस ने आखिरी वक्त में राहुल गांधी के साथ कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे और कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी को प्रचार में उतार दिया। बुधवार को खरगे ने चरखी दादरी और हिसार के हांसी में रैली की। अपनी सभा में उन्होंने पीएम मोदी पर निशाना साधते हुए कहा कि मोदी जी तो भरोसा तोडऩे वालों के भी सरदार हैं। उनके सैकड़ों झूठ आप लोग देख चुके हैं। खाते में 15 लाख देने से लेकर महंगाई कम करने और सालाना दो करोड़ नौकरी, ये सब झूठ निकला। प्रियंका विनेश फोगाट के इलाके जुलाना में विनेश के लिए वोट मांगने पहुंचीं, जहां उन्होंने पीएम मोदी पर निशाना साधते हुए कहा कि जब विनेश फोगाट मेडल लाईं, तो नरेंद्र मोदी ने उसे अपने घर बुलाया और उसके साथ फोटो खिंचवाई। लेकिन जब वो संघर्ष कर रही थी और न्याय मांग रही थी तो नरेंद्र मोदी ने मुंह फेर लिया। उन्होंने बीजेपी पर देश को लूटने का आरोप लगाते हुए तंज कसा कि जनता को लूटो, देश आगे बढ़े न बढ़े, बस सत्ता रहनी चाहिए।
—————
राहुल गांधी की विजय संकल्प यात्रा से हरियाणा चुनाव जीतने की कोशिश में कांग्रेस,
Kulwant Singh
👇खबर सुनने के लिए प्ले बटन दबाएं