राजदीप सिंह सैनी
लुधियाना 16 जुलाई। देश की बड़ी राजनीतिक पार्टी कांग्रेस लुधियाना में अपना पार्टी का मुश्तैनी मुख्य ऑफिस ही नहीं बचा सकी है। जिसके चलते पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट के ऑर्डरों पर लुधियाना पुलिस द्वारा घंटा घर स्थित विकास नगर में कांग्रेस पार्टी से उसका ऑफिस खाली करवा लिया गया है। आरोप है कि पार्टी द्वारा किसी और की जमीन पर अवैध कब्जा कर रखा था। जमीन के मालिक जिम्मी गोगना ने कहा कि यह जमीन उनकी मां के नाम पर है। कांग्रेस पार्टी द्वारा पहले किराए पर जमीन ली और फिर किराया देना बंद कर कब्जा कर रखा था। हाईकोर्ट में केस चल रहा था। कोर्ट ने फैसला उनके पक्ष में सुनाया है। जिसके बाद यह जमीन खाली करवाई गई है। बुधवार को कोर्ट के ऑर्डर व कोर्ट मुलाजिम लेकर पहुंचे जिम्मी गोगना द्वारा ऑफिस में पड़ा कांग्रेस पार्टी का सारा सामान बाहर रख दिया। जबकि वहां लिखे कांग्रेस पार्टी के मुख्य ऑफिस पर कालिख पोत दी गई है। वहीं लोगों में चर्चा है कि किसानों की जमीन के लिए लैंड पूलिंग स्कीम खिलाफ लड़ रही कांग्रेस पार्टी अपना ऑफिस नहीं बचा पाई, तो वे किसानों की जमीनें कहा से बचा सकेगी। हालांकि इसकी सूचना मिलने पर मौके पर जिला प्रधान संजय तलवाड़ मौके पर पहुंचे। उन्होंने इसका विरोध भी जताया।
जवाहर लाल नेहरू के समय बना था ऑफिस
जानकारी के अनुसार स्वर्गीय जवाहर लाल नेहरू 26 जनवरी 1950 से 27 मई 1964 तक देश के प्रधानमंत्री रहे। इस दौरान उनकी तरफ से पूरे देश में कांग्रेस भवन बनवाए थे। उसी समय लुधियाना के घंटा घर नजदीक भी जिला शहरी व ग्रामीण का ऑफिस बना था। इस जमीन का मालकी रेखा सिनेमा वालों की महिला के नाम पर थी। जिससे 100-150 रुपए महीना किराए पर जमीन ली गई थी।
डॉ. बीआर अंबेड़कर भी इसी जगह पर रहने की चर्चा
कांग्रेस के बुजुर्ग वर्कर और राजनीतिक एक्सपर्ट बताते हैं कि देश के संविधान निर्माता डॉ. बीआर अंबेड़कर की और से जब संविधान का मसौदा तैयार करना था, तो उनकी तरफ से देश के अलग अलग स्थानों का दौरा किया गया था। इस दौरान उनकी तरफ से लोगों से सुझाव लिए जा रहे थे। जिसके चलते वे इस दौरे के दौरान तीन दिन तक इसी भवन में रहे थे। जहां पर उन्होंने कई मीटिंगें भी की थी।
पूर्व सीएम बेअंत सिंह समेत कई बड़े लीडरों के साथ जुड़ी है ऑफिस की यादें
पहले लीडरों द्वारा अपने प्राइवेट ऑफिस बनाकर चुनाव नहीं लड़े जाते थे। बल्कि सभी जिले के प्रमुख ऑफिस से ही राजनीतिक कार्य करते थे और चुनाव लड़ते थे। जिसके चलते यह कांग्रेस पार्टी के ऑफिस की जमीन कोई आम नहीं थी, बल्कि यहां से देश के बड़े लीडरों की यादें जुड़ी हैं। पूर्व सीएम स्वर्गीय बेअंत सिंह 1972 में लुधियाना ग्रामीण के प्रधान बने। तब वे इसी ऑफिस में बैठा करते थे। वहीं सत पॉल मित्तल, सत पॉल पराशर, जोगिंदर पाल पांडे, ओम प्रकाश गुप्ता, सरदारी लाल कपूर, महिंद्र सिंह कल्याण, राधे श्याम मिश्रा, शमशेर सिंह दूलों जैसे बड़े लीडरों द्वारा इसी ऑफिस से अपने चुनाव लड़े थे। जबकि गुरचरन सिंह गालिब ने इस ऑफिस से तीन बार लोकसभा और एक बार विधानसभा चुनाव लड़ा था। वहीं दविंदर सिंह गरचा ने यहीं से तीन बार लोकसभा चुनाव लड़े थे।
1992 में जमीन की रजिस्ट्री करवाने की हुई थी ऑफर
1992 से लेकर 1995 तक सुरिंदर डावर कांग्रेस पार्टी के जिला प्रधान थे, जबकि अमरजीत सिंह टिक्का तब यूथ प्रधान रहे। चर्चा है कि इस दौरान जमीन की असली मालिक महिला द्वारा कांग्रेसी लीडरों को जमीन की रजिस्ट्री अपने नाम करवाने के लिए कहा था। लेकिन तब किसी ने इस बात पर ध्यान नहीं दिया। अगर तब रजिस्ट्री करवाई होती, तो शायद आज यह दिन न देखना पड़ता।
कई बड़े राजनेताओं ने हड़प कर लिए 80 लाख रुपए
चर्चा है कि इस जमीन को कांग्रेसी लीडरों द्वारा न खरीदने के बाद कई बड़े लीडरों द्वारा इसे खरीदा गया। कांग्रेस के दो बड़े राजनेताओं द्वारा जमीन की सौदेबाजी को लेकर करीब 80 लाख रुपए हड़प कर जाने की भी चर्चा है। चर्चा है कि दो बड़े राजनेताओं द्वारा जमीन के मालिक गिल नामक व्यक्ति को कहा गया कि उन्होंने लुधियाना इंप्रूवमेंट ट्रस्ट के लीज पर जमीन ले ली है। वह उन्हें 80 लाख रुपए दें, ताकि वे ट्रस्ट को लीज की पेमेंट दे सके। जिसके बाद वे कब्जा छोड़ देंगे। लीडरों द्वारा पेमेंट भी ले ली गई और कब्जा भी नहीं छोड़ा गया। चर्चा है कि बाद में पता चला कि ट्रस्ट से किसी भी तरह की कोई जमीन लीज पर ही नहीं ली थी। अभी सिर्फ पत्र जारी हुआ था।
इंदिरा गांधी की रैली के लिए बना था कैंप ऑफिस
राजनीतिक एक्यपर्ट के मुताबिक देश की प्रधानमंत्री रहने के दौरान इंदिरा गांधी की लुधियाना के गुरु नानक स्टेडियम में रैली थी। इस दौरान भी इसी ऑफिस को कैंप ऑफिस बनाया गया था। जहां पर बड़े राजनेताओं द्वारा स्टे किया गया था। पार्टी के पुराने वर्करों ने बताया कि इस ऑफिस का मुख्य मकसद था कि लुधियाना व उसके आसपास के जिलों के पार्टी लीडर व वर्कर जब शहर में आए तो वे इसी ऑफिस में आकर मीटिंग कर सके और स्टे कर सके।
125 साल पुरानी कांग्रेस के पास अपना ऑफिस नहीं
वहीं चर्चा है कि 125 साल पुरानी देश की कांग्रेस पार्टी के पास लुधियाना जैसे बड़े शहर में अपना ऑफिस ही नहीं है। जबकि लुधियाना पंजाब की आर्थिक राजधानी माना जाता है। जिसके बावजूद पार्टी के पास शहर का अपना ऑफिस नहीं है।
पार्टी से बने करोड़पति, लेकिन ऑफिस नहीं करवा सके रिपेयर
वहीं लोगों में चर्चा है कि कांग्रेस पार्टी के कई लीडर विधायक से लेकर सांसद तक बने। पार्टी से मिली टिकट पर जीतने के बाद वे करोड़पति तक बन गए। लेकिन फिर भी उस पार्टी के ऑफिस को आपस में कॉन्ट्रिब्यूशन कर रिपेयर तक नहीं करवा सके। लोगों में तो यह भी चर्चा है कि पार्टी का हर बड़ा लीडर इतना योग्य है कि वे अकेला ही ऑफिस को रेनोवेट करवा सकता था। लेकिन किसी ने इसकी जरुरत तक नहीं समझी।
मौजूदा लीडर प्राइवेट ऑफिस कर रहे इस्तेमाल
वहीं चर्चा है कि कांग्रेसी लीडरों द्वारा कोर्ट में केस की पैरवी ही नहीं की। जिसके चलते आज पार्टी केस हार गई। वहीं चर्चा है कि मौजूदा जिला प्रधान संजय तलवाड़ द्वारा अपना मुख्य ऑफिस टिब्बा रोड पर प्राइवेट ऑफिस को बना लिया। जबकि बाकी लीडरों ने भी अपने अपने ऑफिस बना रखे हैं। जिसके चलते किसी ने इस पुश्तैनी ऑफिस पर ध्यान नहीं दिया। इसी के कारण यह समस्या पैदा हुई।
अपनी जमीन बचा नहीं सके, किसानों की कहा से बचाएंगे
वहीं बीजेपी लीडर अमरजीत सिंह टिक्का ने कहा कि कांग्रेस पार्टी के लीडर लैंड पूलिंग स्कीम के खिलाफ लड़ने का दावा कर किसानों की जमीनें बचाने की बातें करते हैं। लेकिन कांग्रेसी लीडर अपने पुश्तैनी ऑफिस की जमीन नहीं बचा सके, तो वे किसानों की जमीनें कहा से बचा लेंगे।
केस संबंधी नहीं मिला कोई समन
वहीं जिला प्रधान संजय तलवाड़ ने कहा कि केस संबंधी वे अवेयर नहीं थे। क्योंकि उन्हें पिछले दो साल में आज तक कभी कोई समन ही नहीं आया। केस एक्स पार्टी हुआ है। कोर्ट में याचिका दायर कर स्टे लिया जाएगा। संजय तलवाड़ ने कहा कि ऑफिस खाली करने को लेकर जमीन मालिक द्वारा 85 लाख रुपए देने की बात कही गई थी। लेकिन तब यह बात सिरे नहीं चढ़ सकी। उस समय जिला प्रधान स्वर्गीय गुरप्रीत गोगी थे। पूर्व प्रधान अश्वनी शर्मा इस ऑफिस से पहले ही शिफ्ट कर चुके हैं। क्योंकि ऑफिस का लैंटर टूटने वाला है। जिस कारण वहां बैठना असुरक्षित है। मैं अपने निजी ऑफिस को पार्टी ऑफिस के तौर पर इस्तेमाल कर रहा हूं।
गरीब लोगों का मक्का था ऑफिस
बीजेपी लीडर जगमोहन शर्मा ने कहा कि वे 2003 से लेकर 2012 तक कांग्रेस के जिला प्रधान रहे। तब कांग्रेस ऑफिस का लैंटर गिर गया था। उन्होंने फिर इसका पूरा निर्माण कराया। नए लैंटर डाले और टाइल लगाई। यह ऑफिस गरीबों का मक्का था। क्योंकि गरीब लोग विधायकों के ऑफिस की जगह यहां समस्याएं लेकर आते थे। जगमोहन शर्मा अनुसार वे गरीब थे, इस लिए गरीबों का दर्द समझते थे। रोजाना 150 लोग आते थे। लेकिन आज कांग्रेसी लीडर लग्जरी लाइफ चाहते हैं। वे एसी ऑफिस में बैठकर आराम फरमाना चाहते हैं। उन्हें लोगों की समस्याओं से कोई लेनदेन नहीं। इसी लिए वे यहां नहीं बैठते थे, क्योंकि यहां लोग समस्याएं लेकर आते हैं। इस ऑफिस ने कांग्रेस के कई लीडर करोड़पति बना दिए, मगर वहीं अपने ऑफिस को बचा नहीं सके।
मेरे प्रधानगी कार्यकाल में नहीं आई ऑफर
पूर्व विधायक सुरिंदर डावर ने कहा कि मेरे प्रधान रहने के दौरान जमीन की रजिस्ट्री कराने की कोई ऑफर नहीं आई थी। लेकिन अब मौजूदा समय में संजय तलवाड़ प्रधान है, वे मौजूदा स्थिति की जानकारी दे सकते हैं। इस संबंधी लुधियाना से सांसद राजा वडिंग को कॉल करके संपर्क करने की कोशिश की गई। लेकिन आगे से मैसेज आया कि उनकी तबीयत ठीक नहीं है।