-ट्रस्टी ने जमीन से संबंधित असल कागजात के साथ छेड़छाड़ करने के लगाए गंभीर आरोप
-ब्यूरो ऑफ इनवेस्टीगेशन करेंगे मामले की जांच
डेराबस्सी 26 April : लांडरा में 25 एकड़ जमीन विवाद से जुड़े मामले में सोहाना थाने के एसएचओ, डीएसपी सिटी-1 बल सहित पटियाला की रहने वाली राजमोहन कौर व एक एडवोकेट एकजोत सिंह के खिलाफ दि अनभाओ फाउंडेशन चेरीटेबल ट्रस्ट (लांडरां) के ट्रस्टी लखबीर सिंह, अमनदीप सिंह, गुरप्रीत सिंह ने गंभीर आरोप लगाते हुए डीजीपी पंजाब को शिकायत देकर उचित कार्रवाई की मांग की है। उनका आरोप है कि राजमोहन कौर व उनके अटार्नी एकजोत सिंह ने पुलिस को गुमराह कर उनके खिलाफ वर्ष 2023 में झूठी शिकायत देकर एक झूठा मामला दर्ज करवाया और अब उक्त पुलिस अधिकारी उसी मामले में अपने पद का दुरुपयोग कर अपने प्रभाव के माध्यम से उन्हें परेशान कर रहे हैं। डीजीपी ने इस मामले की जांच एडीजीपी एएस राय को सौंपी थी। ब्यूरो ऑफ इनवेस्टीगेशन एलके यादव अब इस मामले की जांच कर रहे हैं।
ट्रस्टीज का आरोप है कि पुलिस के पास इस केस से संबंधित अहम व असली दस्तावेज (जिसमें जमीन की असल ट्रस्ट डीड, सेल डीड, राजमोहन कौर की सेल्फ अटेस्टेड पेन कार्ड व आधार कार्ड की फोटोकॉपी, मिटिंग के उस समय की असल तारीख (15 जनवरी 2002, 15 जनवरी 2019, 21 जनवरी 2019, 10 मई 2021), ट्रस्ट से अलग-अलग लोगों के अस्तीफे की असल कॉपी, सही नियुक्ती की तारीख का असल घोषण पत्र )जोकि एसएचओ सोहाना सिमरन सिंह की कस्टडी में थाने में 9 दिसंबर 2024 जमा करवाए गए थे। वह असल कागजात उनके खिलाफ झूठा मामला दर्ज करवाने वाली राजमोहन कौर के पास गैर कानूनी ढंग से पहुंचा दिए गए जोकि राजमोहन कौर ने सबूत के तौर पर सुप्रीम कोर्ट में जज के सामने पेश किए हैं। उनका आरोप है कि राजमोहन कौर पहले दिन से यह कहती आ रही हैं कि उनके असल दास्तावेज चोरी हो चुके है जिसके संबंध में वह थाने में डीडीआर भी दर्ज करवा चुकी है। उसने दस्तावेज चोरी होने की सीसीटीवी होने का भी दावा किया था जो वह आज तक कोर्ट में पेश नहीं करवा सकी। वहीं, दूसरी तरफ इस केस के पहले दिन से ट्रस्टी के वकील जमीन से संबंधित असल कागजात हर तारीख पर कोर्ट में दिखाते आए हैं। अब तक कोर्ट में जितनी भी सुनवाई हुई उस दौरान ट्रस्टी लखबीर सिंह का वकील ही असल कागजात कोर्ट में पेश कर रहा था लेकिन सोहाना पुलिस के एसएचओ सिमरन सिंह ने यह कहकर उनके असल कागजात थाने में जमा करवाने के लिए कहा कि इन असल कागजात को फारेंसिक साइंस लैब (एफएसएल) में जांच के लिए भेजा जाना है। ट्रस्टियों का आरोप है कि अगर उनके कागजात थाने वालों ने लैब में भेजे थे तो वह कागजात राजमोहन कौर के पास कैसे पहुंचे। उनका सवाल है कि पुलिस कस्टडी या एफएसएल लैब से उनके असल कागजात राजमोहन कौर को दिए गए हैं ताकि उनके खिलाफ फैसला आ सके या फिर यह कागजात चोरी करवाए गए हैं जोकि राजमोहन कौर के पास हैं इसके लिए पुलिस को चोरी का मामला दर्ज करना चाहिए। उनका आरोप है कि उनके पुलस की मिलीभुगत से उनकी जमीन से संबंधित असल कागजात को बदल दिया गया है और एफएसएल की रिपोर्ट में उन्हें झूठा साबित करने का प्रयास किया जा रहा है। राजमोहन कौर ने यह कागजात सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई दौरान पेश किए इसका सबूत उस दिन की तारीख के ऑर्डर में शामिल है जिसमें लिखा गया है कि राजमोहन कौर ने कोर्ट में असल कागजात पेश किए हैं।
ट्रस्टी लखबीर सिंह ने कहा कि जब उन्होंने इस संबंधी एसपी हरबीर सिंह अटवाल से बात की तो उन्होंने लैब में फोन किया और कहा कि उन्हें लगता है कि असल कागजात के साथ फेर बदल की गई है तो लैब अधिकारी ने उन्हें ऑर्डर की कॉपी लेकर लैब आकर कागजात चैक करने के लिए कहा था लेकिन अगले ही दिन उन्होंने अपना बयान बदल दिया कि वह जाने की अनुमति नहीं है। वहीं, एसएसपी दीपक परीख ने भी यही कहा है कि लैब में जाकर कागजात देखने की अनुमति किसी को नहीं होती।