चंडीगढ़ के निलंबित इंस्पेक्टर के खिलाफ फिर शिकायत,मारपीट का आरोप

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चंडीगढ/यूटर्न/5 जुलाई: करोड़ों रुपये की धोखाधड़ी के मामले में निलंबित इंस्पेक्टर रंजीत सिंह की मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं। मनीमाजरा निवासी एक युवक ने डीजीपी को ईमेल से उनके खिलाफ शिकायत भेजी है। डीजीपी को ईमेल भेजकर युवक ने कार्रवाई की मांग की है। युवक का आरोप है कि प्राधिकरण ने उसकी शिकायत पर फरवरी 2020 में रंजीत सिंह व अन्य के खिलाफ विभागीय जांच व आपराधिक प्रक्रिया के तहत कार्रवाई के आदेश दिए थे। लेकिन चार साल से अधिक समय बीत जाने के बाद भी आज तक उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हुई। अब युवक ने फिर से डीजीपी को ईमेल भेजकर कार्रवाई की मांग की है। युवक का नाम विनीत वर्मा है। उन्होंने बताया कि इंस्पेक्टर रणजीत सिंह व अन्य के खिलाफ कार्रवाई के लिए उन्होंने कई अधिकारियों के दरवाजे खटखटाए। मगर किसी ने उनकी सुनवाई नहीं की। वह भी थक हारकर चुप बैठ गया था। मगर चंडीगढ़ के नए डीजीपी की छवि ईमानदार और निष्पक्ष है। उन्होंने कई भ्रष्ट अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई भी की है। अब उंमीद जगी है कि देर से ही सही उन्हें भी न्याय मिलेगा।
क्या है मामला
मनीमाजरा निवासी पीडि़त विनित वर्मा ने बताया कि वर्ष 2018 में उसने चंडीगढ़ और पंचकूला के क्लबों में हुक्का बार चलने की शिकायत दी थी। इस शिकायत को वापस लेने के लिए उस समय के मनीमाजरा थाना प्रभारी इंस्पेक्टर रणजीत सिंह ने उस पर दबाव बनाया था। जब वह नहीं माना तो उसके खिलाफ मारपीट का झूठा केस दर्ज कर उसे थाने में ले जाकर बेरहमी के साथ पीटा गया। इस मामले की शिकायत उसने चंडीगढ़ सेक्टर-9 स्थित पुलिस कंप्लेंट अथॉरिटी से की थी। अथॉरिटी के चेयरमैन जस्टिस (रि.) महावीर एस. चौहान थे। उनके अलावा रिटायर्ड आईएएस अधिकारी किरण अग्रवाल, रिटायर्ड आईपीएस अधिकारी एवं राजस्थान के पूर्व डीजीपी अमरजोत सिंह गिल शामिल थे। सुनवाई के दौरान उन्होंने मनीमाजरा थाने के तत्कालीन एसएचओ इंस्पेक्टर रणजीत सिंह, सब इंस्पेक्टर विद्यानंद और असिस्टेंट सब इंस्पेक्टर राज सिंह को दोषी पाया था।
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