रंगों की मस्ती में मस्त होने भाईचारे, प्रेम, भाव को प्रोत्साहित करने में अपना अमूल्य योगदान दें।
आओ सब मिलकर होली के रंगों में सराबोर हो आपसी सौहार्द भाईचारा प्रेम सामाजिक समरस्ता का संकल्प लें – एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी गोंदिया महाराष्ट्र
गोंदिया – वैश्विक स्तरपर त्योहारों के प्रतीक भारत में आदि अनादि काल, हजारों वर्षों से सभी त्यौहारों को बड़े ही आत्मीयता, उत्साह सौहार्द से मनाने की प्रथा रही है जो आज भी उसी लगन, उत्सव, आनंद से शुरू है!
साथियों बात अगर हम13-14 मार्च 2025 दो दिवसीय होलीका पर्व उत्सव की करें तो हर भारतीय त्योहार की तरह होली मनाने का भी अपना एक कारण है जिसको जानना आधुनिक युवाओं के लिए ख़ास महत्वपूर्ण है। पौराणिक कथाओं के अनुसार प्राचीन काल में हिरण्यकश्यप नामक राक्षस राजा का पुत्र प्रहलाद, भगवान विष्णु का परम भक्त था जो उसके राक्षस पिता को पसंद नहीं था और भक्ति से विमुक्ति करने उसने अपनी बहन होलिका को यह जिम्मेदारी सौंपी, जिसे वरदान प्राप्त था कि अग्नि भी उसकी देह को जला नहीं सकती। इसलिए होलिका ने भगत प्रह्लाद को मारने उसे गोद में लेकर अग्नि में प्रवेश हो गई परंतु वह खुद जल गई पर भगत प्रल्हाद का बाल भी बांका नहीं हुआ दूसरी ओर रंग वाली होली पर्व उत्सव राधा-कृष्ण के पावन प्रेम के प्रतीक के रूप में भी मनाई जाती है इसके अलावा मीडिया में इसे मनाने को लेकर अनेक पर्यावरणीय योग उपचार, स्वास्थ्य संबंधी वैज्ञानिक कारण भी बताए गए हैं।
साथियों बात अगर हम होली में बरतने वाली सावधानियों की करें तो, (1) त्वचा की सुरक्षा के लिए विशेष देखभाल आवश्यक है। जब भी होली खेलने निकलें, उससे पहले त्वचा पर कोई तैलीय क्रीम या फिर तेल, घी या फिर मलाई लगाकर निकलें, ताकि त्वचा पर रंगों का विपरीत असर न पड़े। (2) बालों को रंग से बचाने का पूरा प्रयास करें। रंग आपके बालों को रूखा, बेजान और कमजोर बना सकते हैं। इनसे आपके बालों का पोषण भी छिन सकता है। (3) यदि होली खेलते समय आंखों में रंग चला जाए तो तुरंत आंखों को साफ पानी से धोएं। यदि आंखें धोने के बाद भी तेज जलन हो, तो बिना देर किए डॉक्टर को दिखाएं। (4) आंखों पर गलती से गुब्बारा लग जाए या खून निकल आए तो पहले सूती कपड़े से आंखों को ढंकें या फोहा लगाएं। इसके बाद डॉक्टर को जरूर दिखाएं।(5) बाजार के हरे रंग से होली खेलते समय ध्यान रखें, इसमें कॉपर सल्फेट पाया है, जो आंखों में एलर्जी, सूजन अंधापन जैसी समस्याएं पैदा कर सकता है। इस बात का विशेष ध्यान रखें। (6) सिल्वर चमकीले रंग का इस्तेमाल न करें। इसमें एल्युमीनियम ब्रोमाइड होता है, जो त्वचा के कैंसर के लिए जिम्मेदार हो सकता है। वहीं काले रंग में उपस्थित लेड ऑक्साइड किडनी को बुरी तरह प्रभावित करता है। (7) होली खेलें लेकिन पूरे होश में खेलें। अधिक नशा करना आपके स्वास्थ्य को तो प्रभावित करता ही है, कई बार अनहोनी घटनाओं का कारण भी बनता है। होली सुरक्षित तरीके से खेलें। (8) बाजार की मिठाईयों का सेवन करने से बचें। इनमें मिलावट हो सकती है, जो आपके लिए खतरनाक साबित हो सकती है। घर पर बने व्यंजनों का भरपूर मजा लें, क्योंकि वे शुद्धता के साथ बनाए जाते हैं। (9) होली की मस्ती में कई बार लड़ाई- झगड़े भी हो जाते हैं, लेकिन यह भाई-चारे का पर्व है भूलें नहीं। आपसी भाईचारा बनाए रखें और मिलजुलकर खूबसूरत रंगों के साथ होली मनाएं। (10) कोशिश करें कि हर्बल रंगों का ही प्रयोग करें। इन रंगों का कोई दुष्प्रभाव भी नहीं होता और इन्हें आसानी से घर पर बनाया भी जा सकता है। वैसे बाजार में भी हर्बल रंग उपलब्ध हैँ।
साथियों बात अगर हम उपरोक्त पौराणिक और वैज्ञानिक कारणों को मानकर होली मनाने के उद्देश्य समझने की करें तो बुराई में चाहे कितनी भी ताकत हो किंतु अच्छाई की तपिश में खाक हो जाती है। इसलिए हम पिछले दो साल के कोरोनाकाल के दुखदाई क्षणों से उबर रहें हैं तो होलिका दहन के साथ हम अपनी नकारात्मकता और बुराइयों को दहन कर भाईचारे को मजबूत रंगों में रंगे!आओ सब मिलकर होली के रंग में सराबोर हो आपसी सौहार्द, भाईचारा, प्रेम सामाजिक समरसता का संकल्प लेकर एक नए मज़बूत भारत में प्रवेश कर अपने विज़न 2047 और 5 ट्रिलियन डॉलर अर्थव्यवस्था को मज़बूत करने की ओर आगे क़दम बढ़ाएं।
साथियों बात अगर हम होली पर्व उत्सव से प्रेरणा की करें तो, अधर्म पर धर्म की विजय का प्रतीक, असत्य पर सत्य की विजय का प्रतीक यह त्यौहार हमें बताता है कि अधर्म, असत्य कितना भी बलशाही क्यों न हो, हमारी ताकत, संकल्प, जुनून, जांबाज़ी, ज़ज़बे की ताकत उसे ध्वस्त कर देगी। यह ताकत हमें आपसी भाईचारे, सद्भाव, सौहार्द और मानवीय सामाजिक समरसता से ही मिलेगी जिसकी प्रेरणा हमें होली पर्व महोत्सव से लेने की जरूरत है। यह त्यौहार हमें भीतरी विकारों को त्यागने वह नष्ट करने की प्रेरणा सदियों से देता आया है और इस होलिका दहन पर हम सभी के विकारों का इस पवित्र अग्नि के साथ समूल नाश करें।
साथियों बात अगर हम होलिका दहन के बाद रंगोत्सव की करें तो यह हमेशा परंपरा के साथ वैदिक रीति-रिवाज के अनुसार प्रतिवर्ष प्रकृति के कण-कण की भीनी भीनी सुगंध में महकाने वाले वसंत ऋतु फाल्गुन पूर्णिमा की संध्याकाल में होलिका दहन किया जाता है यह अवसर हमें अपने चारित्रिक अवगुणों, दुर्गुणों को भस्मीभूत करने का आध्यात्मिक संदेश देता है। हमारे मानवींय मूल्यों की निरंतर अभिवृद्धि होती रहे यह हमें इस दिवस पर संकल्प लेना है तथा देश की संस्कृति में सराबोर होने आपसी सौहार्द के रंग में, रंगों की मस्ती में मस्त होने भाईचारे, प्रेम, भाव को प्रोत्साहित करने में अपना अमूल्य योगदान दें।
साथियों बात अगर हम होली पर्व उत्सव को वर्तमान आधुनिक परिपेक्ष में दूषित करने से बचाने की करें तो,होली का त्यौहार भारतीय त्यौहारों में एक महत्व रखता है ,खासकर के पूर्वोत्तर क्षेत्र में। होली का त्यौहार यूं तो आज पूरे विश्व में मनाया जाता है।भारतीय त्योहारों को मनाने के पीछे उसका उद्देश्य छिपा रहता है। यह त्यौहार प्रकृति तथा व्यक्ति के जीवन पर आधारित होता है।इसको मनाने के पीछे वैज्ञानिक तर्क भी कार्य करते हैं।होली के त्यौहार को भारत के विद्वान तथा बुद्धिजीवी लोग तो जानते हैं,किंतु कुछ असामाजिक तत्व इसकी मर्यादा को भंग करते हैं। मर्यादा से तात्पर्य यह है कि इसके उद्देश्य को क्षति पहुंचाते हैं। यह त्यौहार खुशियां मनाने का है, एक दूसरे के सुख में शामिल होने का है, अपने दुखों को भूल जाने का है। वहीं कुछ लोग इस त्यौहार को दूषित करते हैं अर्थात दारू, मदिरा, भांग, मांस आदि खाकर इस त्यौहार की मर्यादा को तोड़ते है साथ ही वह अपने परिवार तथा समाज के मर्यादाओं को भी क्षति पहुंचाते हैं। और त्योहार की गरिमा को भंग करते हैं? हालांकि यह उनके विवेक पर निर्भर करता है।हमारा उद्देश्य है समाज में त्यौहार की मर्यादा को बनाए रखना तथा उसके प्रति समाज को जागरूक करना। जो व्यक्ति इस मर्यादा को तोड़ता है अथवा भंग करता है उसे हम एक सच्चे समाज के व्यक्ति होने के नाते रोक सकते हैं। इसकी गरिमा को बचाए रखने के लिए इसके वैज्ञानिक तथ्य को उसके समक्ष रख सकते हैं। हम सबसे आशा करते हैं तोहार को त्यौहार के रूप में मनाते रहे इससे दारू, मदिरा तथा मांस आदि का सेवन करके समाज को दूषित ना करें।
अतः अगर हम उपरोक्त पूरे विवरण का अध्ययन कर उसका विश्लेषण करें तो हम पाएंगे कि,आओ रंगों के महोत्सव होली को सावधानी से बनाएं-शासकीय नियमों का पालन करें।रंगों की मस्ती में मस्त होने भाईचारे, प्रेम, भाव को प्रोत्साहित करने में अपना अमूल्य योगदान दें।आओ सब मिलकर होली के रंग में सराबोर हो आपसी सौहार्द भाईचारा प्रेम सामाजिक समरस्ता का संकल्प लें
*-संकलनकर्ता लेखक – क़र विशेषज्ञ स्तंभकार साहित्यकार अंतरराष्ट्रीय लेखक चिंतक कवि संगीत माध्यमा सीए(एटीसी) एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानीं गोंदिया महाराष्ट्र *