संकट के बादल : शिअद सुप्रीमो सुखबीर बादल फिर से तनखैया हो गए

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अब तख्त पटना साहिब के पंज प्यारों का हुक्म, दो बार किया तलब, नहीं पहुंचे पंजाब के पूर्व डिप्टी सीएम

नई दिल्ली, 5 जुलाई। शिरोमणि अकाली दल-बादल पर लगातार ‘सियासी-संकट’ वाले बादल छाए हुए हैं। पार्टी के सुप्रीमो और पंजाब के पूर्व डिप्टी सीएम सुखबीर सिंह बादल दूसरी पर तनखैया घोषित कर दिए गए हैं।

जानकारी के मुताबिक शनिवार को तख्त श्री हरिमंदिर पटना साहिब ने आदेश जारी किया कि सुखबीर बादल को दो बार अपना स्पष्टीकरण देने के लिए तलब किया गया था, लेकिन वह नहीं पहुंचे। फैसले के मुताबिक बादल ने सिद्धांतों, मर्यादाओं और पंज प्यारों के आदेशों का उल्लंघन किया। तख्त की प्रबंधक समिति के अधिकारों में दखल दिया। पंज प्यारे सिंह साहिबों की जांच में स्पष्ट हुआ है कि इस साजिश में सुखबीर की भी अहम भूमिका रही। पंज प्यारों ने 21 मई और 1 जून को उनको अपना पक्ष रखने के लिए मौके दिए, लेकिन दोनों दिन वे तख्त के समक्ष पेश नहीं हुए। शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के अध्यक्ष हरजिंदर सिंह धामी के विशेष अनुरोध पर उन्हें 20 दिन का अतिरिक्त समय दिया गया, लेकिन तीसरे मौके पर भी तख्त के समक्ष उन्होंने अपना पक्ष नहीं रखा।

यहां काबिलेजिक्र है कि 4 दिसंबर को सुखबीर बादल पहली बार तनखैया होकर गोल्डन टेंपल के गेट पर हाथ में बरछा पकड़कर सजा भुगत रहे थे। इसी दौरान उन पर डेरा बाबा नानक के रहने वाले नारायण सिंह चौड़ा ने फायरिंग कर दी थी। जिसमें सुखबीर बाल-बाल बच गए थे। नारायण सिंह चौड़ा भारत सरकार की ओर से बैन खालिस्तानी आतंकी संगठन बब्बर खालसा से जुड़ा है।

तनखैया का मतलब धार्मिक गुनहगार :

कोई भी सिख अपने धार्मिक नियमों को ताक पर रखकर कोई फैसला लेता है या गुनाह करता है तो उसे सजा देने के लिए अकाल तख्त को पूरा अधिकार है। जिस शख्स को तनखैया घोषित किया जाता है, वह ना तो किसी भी तख्त पर जा सकता है और ना किसी से अरदास करा सकता है। अगर कोई उसकी तरफ से अरदास करता है तो उसे भी कसूरवार माना जाता है। तनखैया के दौरान मिलने वाली सजा का कड़ाई से पालन करना होता है। इस दौरान उसे गुरुद्वारे में सेवा करनी होती है। तनखैया को पांचों ककार (कछहरा, कंघा, कड़ा, केश और कृपाण) धारण करके रखने होते हैं।

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