watch-tv

जलवायु परिवर्तन एक टाइम बम-अस्तित्व का संकट, मानवता खतरे में है 

👇खबर सुनने के लिए प्ले बटन दबाएं

Listen to this article

जलवायु परिवर्तन एक टाइम बम-अस्तित्व का संकट, मानवता खतरे में है

 

एक पेड़ मां के नाम भावनात्मक अपील नहीं, क्रांतिकारी कदम है

 

जलवायु परिवर्तन के दुष्टपरिणामों से पूरी दुनियां पीड़ित-मानवता की खातिर सामाजिक व सामूहिक योगदान देने की ज़रूरत-एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी गोंदिया

 

गोंदिया – भारत में 23 जुलाई 2024 को पेश होने वाले पूर्ण बजट में हरित विकास पर अधिक राशि एलोकेशन करने की उम्मीद है। बता दें,अंतरिम बजट 2024 में, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने हरित विकास पर जोर देते हुए 2070 तक भारत के नेट ज़ीरो लक्ष्य के लिए एक व्यापकयोजना का अनावरण किया था। हरित ऊर्जा क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए महत्वपूर्ण संसाधन आवंटित किए गए थे,जिसमें 1 गीगावाट (जीडब्ल्यू) विकास के लिए वित्त पोषण सहित अपतटीय पवन ऊर्जा क्षमता के दोहन पर ध्यान केंद्रित किया गया था। इसका उद्देश्य भारत के नवीकरणीय ऊर्जा पोर्टफोलियो में विविधता लाना और जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता कम करना है।क्योंकि वैश्विक स्तरपर बढ़ते जलवायु परिवर्तन के दुष्परिणामों से पूरी दुनियां पीड़ित है,क्योंकि वर्तमान दौर में कब और कैसे प्राकृतिक प्रकोप बरस पड़ेगा कोई संकेत नहीं मिल पाता। अनेकों बार मौसम विभाग सहित अनेको संबंधित एजेंसीयां भी सही-सही अनुमान लगाने में असफल हो जाती है, जिसका सटीक उदाहरण अभी असम सहित भारत के कुछ अन्य राज्यों में भयंकर बाढ़ से भारी नुकसान, अमेरिका सहित अन्य देशों में चल रही जंगलों में भयंकर आग, इसके पहले ही पापुआ न्यू गिनी व जापान में आया भयंकर भूकंप,जंग़लों में चल रही भयंकर आग तो हम देख चुके हैं, दूसरी तरफ रमल तूफान का पश्चिम बंगाल में तांडव भी कुछ दिन पहले हम देख चुके हैं। मेरा मानना है कि यह सब प्राकृतिक तांडव जलवायु परिवर्तन के दुष्परिणाम का ही अंजाम है, जो सर्दियों में गर्मी ठंड में बारिश वह गर्मी में ठंड व बारिश में गर्मी कब कैसे हो जाती है पता ही नहीं चलता। वेदों कतेबों में भी यह आया है कि मनुष्य की आयु प्राकृतिक रूप से 125 वर्ष मानी गई है जोकि अलग अलग खान पान,पर्यावरण प्रदूषण,तनाव के चलते 80 वर्ष तक ही सीमित रह गई थी। परंतु अभी आधुनिक डिजिटल युग में तो मेरा मानना है कि यह 60 वर्ष तक की सीमित हो गई है,परन्तु उसके भी दो कदम आगे भारी तनाव पर्यावरण सहित अनेकों कारण तथा अन्य स्वास्थ्य कारण से हृदय गति रूकने के केस भारी मात्रा में सामने आ रहे हैं, जिसमें बहुत कम उम्र में ही जीवन सिमट जाता है, जिसका मुख्य कारण असंतुलित और दूषित पर्यावरण ही माना जा सकता है जिसको सभी ने रेखांकित करना अत्यंत जरूरी है।वैश्विक स्तरपर दुनियां में प्रदूषण भी एक ज्वलंत मुद्दा है, इसमें लोगों की जिंदगी बुरी तरह प्रभावित होती हैआधिकारिक रूप से भारत दुनियां का तीसरा सबसे वायु प्रदूशित देश है और गुड़गांव गाजियाबाद संसार के सबसे प्रदूषित टॉप फाइव टाउनशिप की श्रेणी में आया था और भारत में सबसे अधिक प्रदूषित टाउनशिप की श्रेणी में है। प्रदूषण कारक के रूप में मानवीय जीवको अधिक दोष दिया जा सकता है, क्योंकि हम वर्तमान कुछ सुख सुविधाओं के लिए अपने भविष्य और आने वाली पीढियां की खुशियों का गला घोट रहे हैं हमें वर्तमान में विकास और प्रकृति संरक्षण के बीच नाजुक संतुलन बनाए रखना की जरूरत है। पर्यावरण की रक्षा करने केअनेकों कानून संसद और विधानसभाओं ने पारित किए हैं। परंतु मेरा विचार है कि एक तथ्य की और मानवता की खातिर सामाजिक और सामूहिक योगदान देने की जरूरत है, वह है परिवार एक वाहन अनेक से बढ़ते प्रदूषण को रेखांकित करना होगा।

साथियों बात अगर हम माननीय पीएम के आभियान एक पेड़ मां के नाम की करें तो, उन्होने विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर एक पेड़ मां के नाम अभियान का शुभारंभ किया था,बुद्ध जयंती पार्क में एक पीपल का पेड़ लगाया। उन्होंने सभी देशवासियों से हमारे ग्रह को बेहतर बनाने में योगदान देने का भी अनुरोध किया है और कहा कि पिछले दशक में भारत ने कई सामूहिक प्रयास किए हैं, जिनसे पूरे देश के वन क्षेत्र में वृद्धि हुई है कि सतत विकास की दिशा में हमारे प्रयासों के लिए यह बहुत अच्छा है।पीएम ने एक्स पर पोस्ट किया था,विश्व पर्यावरण दिवस पर, मुझे एक पेड़ माँ के नाम, अभियान शुरू करने पर बहुत प्रसन्‍नता हो रही है। मैं देशवासियों के साथ ही दुनिया भर के लोगों से यह आग्रह करता हूं कि वे आने वाले दिनों में अपनी मां को श्रद्धांजलि अर्पित करने के रूप में एक पेड़ जरूर लगाएं और आज प्रात: मैंने प्रकृति मां की रक्षा करने और सतत जीवनशैली अपनाने की हमारी प्रतिबद्धता के अनुरूप एक पेड़ लगाया। मैं आप सभी से यह आग्रह करता हूं कि आप भी हमारे ग्रह को बेहतर बनाने में योगदान दें। आप सभी को यह जानकर बहुत खुशी होगी कि पिछले दशक में भारत ने कई सामूहिक प्रयास किए हैं, जिनके कारण पूरे देश में वन क्षेत्र में वृद्धि हुई है। यह सतत विकास की दिशा में हमारे प्रयास के लिए बहुत अच्‍छा है। यह भी सराहनीय है कि स्थानीय समुदायों ने इस अवसर पर आगे आकर इसमें अग्रणी भूमिका निभाई है।

साथियों बात अगर हम 19 जुलाई 2024 को माननीय उपराष्ट्रपति द्वारा एक कार्यक्रम में संबोधन की करें तो उन्होंने नई दिल्ली में जैव ऊर्जा: विकसित भारत का मार्ग विषयवस्तु पर आयोजित चौथे अंतरराष्ट्रीय जलवायु शिखर सम्मेलन के समापन सत्र में मुख्य भाषण दिया। कहा,कोई आकस्मिक योजना नहीं है, पृथ्वी के अलावा कोई अन्य ग्रह नहीं है और इसे संरक्षित और पोषित करने की आवश्यकता है। उन्होंने जलवायु परिवर्तन के विनाशकारी प्रभावों जैसे कि लंबे समय तक सूखे की स्थिति, जंगलों में आग की घटनाओं का बढ़ना और विनाशकारी तूफानों को रेखांकित किया। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि ये परिवर्तन न केवल कमजोर आबादी बल्कि, जैव विविधता और खाद्य सुरक्षा को भी खतरे में डालते हैं, जिससे हमारे प्राकृतिक संसाधनों व कृषि प्रणालियों पर भारी दबाव पड़ता है, इस तरह सामुदायिक गिरावट में इसका योगदान होता है। उन्होंने हमारे सदियों पुराने मूल्यों का उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि प्रकृति के साथ सामंजस्यपूर्ण सह-अस्तित्व और इकोलॉजी को लेकर गहरा सम्मान, भारत के सभ्यतागत लोकाचार का एक आंतरिक पहलू रहा है।उन्होंने जलवायु न्याय पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि जलवायु न्याय हमारा लक्ष्य होना चाहिए, क्योंकि जलवायु परिवर्तन हाशिए पर स्थित और कमजोर समुदायों को काफी अधिक प्रभावित करता है।भारत की ओर से वैश्विक जैव ईंधन गठबंधन, हरित हाइड्रोजन मिशन और अंतरराष्ट्रीय सौर गठबंधन जैसे उठाए गए अग्रणी कदमों की प्रशंसा की। साथ ही उन्होंने टिकाऊ ऊर्जा में भारत की निभाई गई नेतृत्वकारी भूमिका की सराहना की। उन्होंने जैव ऊर्जा के लाभों का उल्लेख किया, कहा, आधुनिक जैव ऊर्जा न केवल स्वच्छ ईंधन प्रदान करती है, बल्कि प्रदूषण को कम करने, किसानों की आय बढ़ाने, आयात बिलों को कम मकरने और स्थानीय नौकरियां उत्पन्न करने में भी सहायता करती है। उन्होंने इस बात को रेखांकित किया कि जलवायु परिवर्तन का प्रभाव सीमाओं के पार तक पहुंच रहा है। उन्होंने सरकारों, कॉरपोरेट नेताओं र लोगों सहित सभी हितधारकों से इस खतरे से निपटने के लिए सामूहिक कार्रवाई करने का आह्वान किया। उन्होंने कहा,जब हिसाब-किताब का दिन आएगा, तो कोई भी नहीं बचेगा, इसलिए हमें एकजुट होकर आगे बढ़ना होगा, जितना हो सके, अपनी ऊर्जा को अधिकतम तक पहुंचाना होगा, अपनी क्षमता का उपयोग करना होगा, अपना सबकुछ देना होगा। उन्होंने जलवायु न्याय पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि जलवायु न्याय हमारा लक्ष्य होना चाहिए, क्योंकि जलवायु परिवर्तन हाशिए पर स्थित और कमजोर समुदायों को काफी अधिक प्रभावित करता है। भारत की ओर से वैश्विक जैव ईंधन गठबंधन, हरित हाइड्रोजन मिशन और अंतरराष्ट्रीय सौर गठबंधन जैसे उठाए गए अग्रणी कदमों की प्रशंसा की। साथ ही उन्होंने टिकाऊ ऊर्जा में भारत की निभाई गई नेतृत्वकारी भूमिका की सराहना की। उन्होंने जैव ऊर्जा के लाभों का उल्लेख किया। उन्होंने कहा,आधुनिक जैव ऊर्जा न केवल स्वच्छ ईंधन प्रदान करती है, बल्कि प्रदूषण को कम करने, किसानों की आय बढ़ाने, आयात बिलों को कम करने और स्थानीय नौकरियां उत्पन्न करने में भी सहायता करती है। उन्होंने इस बात को रेखांकित किया कि जलवायु परिवर्तन का प्रभाव सीमाओं के पार तक पहुंच रहा है। उन्होंने सरकारों, कॉरपोरेट नेताओं और लोगों सहित सभी हितधारकों से इस खतरे से निपटने के लिए सामूहिक कार्रवाई करने का आह्वान किया। उन्होंने कहा, जब हिसाब-किताब का दिन आएगा, तो कोई भी नहीं बचेगा,इसलिए हमें एकजुट होकर आगे बढ़ना होगा, जितना हो सके,अपनी ऊर्जा को अधिकतम तकपहुंचाना होगा, अपनी क्षमता का उपयोग करना होगा, अपना सबकुछ देना होगा।

अतः अगर हम उपरोक्त पूरे विवरण का अध्ययन कर इसका विश्लेषण करें तो हम पाएंगे कि जलवायु परिवर्तन एक टाइम बम-अस्तित्व का संकट, मानवता खतरे में है।एक पेड़ मां के नाम भावनात्मक अपील नहीं, क्रांतिकारी कदम है।जलवायु परिवर्तन के दुष्टपरिणामों से पूरी दुनियां पीड़ित- मानवता की खातिर सामाजिक व सामूहिक योगदान देने की ज़रूरत है।

 

*-संकलनकर्ता लेखक – कर विशेषज्ञ स्तंभकार एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी गोंदिया महाराष्ट्र*

Leave a Comment