चंडीगढ़, 23 जुलाई– केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (सीआईएसएफ) ने उभरती सुरक्षा चुनौतियों के बीच अपनी तैयारियों को मजबूत करने की दिशा में एक बड़ा कदम उठाते हुए भारतीय सेना के साथ गहन संयुक्त प्रशिक्षण अभ्यास शुरू किया है। यह बल को असामान्य और आधुनिक खतरों के खिलाफ “युद्ध के लिए तैयार” बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
इस संबंध में पंजाब एंड हरियाणा सिविल सेक्रेटेरिएट के यूनिट कमांडर श्री ललित पवार ने जानकारी देते हुए बताया कि सीआईएसएफ की युद्ध-दृढ़ता का अर्थ है अपने कर्मियों को हवाई अड्डों, परमाणु संयंत्र, सरकारी इमारतें और संसद जैसे उच्च-मूल्य और उच्च-जोखिम वाले प्रतिष्ठानों पर संकटों का त्वरित और प्रभावी ढंग से जवाब देने के लिए तैयार करना है। इसमें ड्रोन हमला, आतंकी हमला, अंदरूनी ख़तरे और तोड़फोड़ जैसी घटनाओं से निपटने के लिए सटीकता और शांति के साथ संभालने पर ज़ोर दिया जा रहा है।
कश्मीर घाटी में सेना के साथ विशेष प्रशिक्षण
श्री ललित पवार ने बताया कि पहली बार, सीआईएसएफ कश्मीर घाटी में भारतीय सेना की विशिष्ट संरचनाओं में पूर्ण पैमाने पर प्रशिक्षण बैच आयोजित कर रहा है। पहले, इस तरह के अभ्यासों के लिए केवल सीमित संख्या में सीआईएसएफ जवानों को सेना में प्रशिक्षण का अवसर मिलता था। अब, सीआईएसएफ और सेना के बीच बेहतर तालमेल और राष्ट्रीय हित को ध्यान में रखते हुए बड़ी संख्या में जवानों को यह प्रशिक्षण दिया जा रहा है। इस प्रशिक्षण में रात में ऑपरेशन, जंगल युद्ध, नजदीकी मुकाबला और सहनशक्ति बढ़ाने के अभ्यास शामिल हैं।
उन्होंने कहा कि ये प्रशिक्षण सीआईएसएफ के शहरी सुरक्षा अनुभव को और मजबूत करते हुए जवानों को जटिल इलाकों और उच्च खतरे वाले क्षेत्रों में भी काम करने के लिए तैयार करेगी। इसका लक्ष्य कर्मियों को शहरी और ग्रामीण दोनों ही परिवेशों में सशस्त्र घुसपैठ, तोड़फोड़ और बहुआयामी आतंकवादी हमलों जैसी आकस्मिकताओं से पेशेवर रूप से निपटने के लिए सुसज्जित करना है।
उन्होंने आगे बताया कि इस कठिन प्रशिक्षण के लिए केवल सीआईएसएफ की क्विक रिएक्शन टीम के जवानों को चुना गया है, जो सभी 369 इकाइयों में आपात स्थितियों में सबसे पहले प्रतिक्रिया देने वाले होते हैं। केवल 35 वर्ष से कम आयु के और राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड (एनएसजी) मानकों के अनुरूप युद्ध शारीरिक दक्षता परीक्षा (बीपीईटी) उत्तीर्ण करने वाले ही इसके लिए पात्र थे। उन्होंने बताया कि उल्लेखनीय है कि इन क्यूआरटी सदस्यों ने सेना प्रशिक्षण में शामिल होने से पहले ही छह महीने का कठोर आंतरिक सीआईएसएफ प्रशिक्षण पूरा कर लिया है।
उन्होंने बताया कि सीआईएसएफ इस प्रकार के उन्नत युद्ध प्रशिक्षण को और अधिक इकाइयों तक विस्तारित करने की योजना बना रहा है, जिसकी शुरुआत सबसे संवेदनशील और उच्च जोखिम वाले स्थानों से होगी। इसका उद्देश्य सभी सीआईएसएफ कर्मियों को शारीरिक, मानसिक और रणनीतिक रूप से सक्षम बनाना है ताकि वे किसी भी नए खतरे का डटकर सामना कर सके और देश के महत्वपूर्ण संस्थानों की सुरक्षा हमेशा सुनिश्चित कर सकें।