नई पीढ़ी की सोच में बदलाव सही या गलत ? अब बॉयफ्रेंड ऑन रेंट !

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नया दौर : तन्हाई मिटाने को महिला-वर्ग में तेजी से बढ़ रहा ये नया ट्रेंड, पीढ़ियों की सोच का फर्क

नई दिल्ली, 21 सितंबर। आधुनिक जीवनशैली और काम की भागदौड़ के बीच अकेलेपन की वजह एक बड़ी सामाजिक समस्या चुनौती बन गई है। कई देशों में आबादी का एक बड़ा हिस्सा ‘सिंगल’ है। इसी अकेलेपन को दूर करने के लिए एक नया और अनोखा चलन तेजी से बढ़ रहा है। जिसे आधुनिक भाषा में ‘रेंट-अ-बॉयफ्रेंड’ (किराए पर बॉयफ्रेंड) नाम दिया गया है।

बताते हैं कि इस सर्विस के तहत महिलाएं पैसे देकर पुरुषों को कुछ घंटों या पूरे दिन के लिए किराए पर ले सकती हैं। यह सेवा कई देशों के महानगरों में काफी लोकप्रिय है। कई वेबसाइट और ऐप्स ऐसे हैं, जहां महिलाएं अपनी पसंद के बॉयफ्रेंड की प्रोफाइल देख सकती हैं। इन प्रोफाइल्स में पुरुषों की तस्वीरें, उम्र और उनकी हॉबी जैसी जानकारियां होती हैं। महिलाएं इन पुरुषों को कॉफी पीने, साथ घूमने या बस बातें करने के लिए बुक कर सकती हैं। इन सर्विसेज की कीमत घंटों के हिसाब से तय होती है।

मिसाल के तौर पर, एक यूरोपीय देश की एक महिला ने एक ‘रेंटल बॉयफ्रेंड’ को दो घंटे के लिए बुक किया था। जिसकी कीमत भारतीय मुद्रा के अनुसार करीब 18,000 रुपये थी। महिला को यह डेट इतनी पसंद आई कि उसने एक घंटे और बढ़ा दी, जिसके लिए उसे अतिरिक्त पैसे देने पड़े। कुछ मुल्कों में तो अकेलापन एक गंभीर सामाजिक मुद्दा है। 30-40 साल की कई महिलाएं काम के दबाव, परिवार से दूरी और दोस्तों की कमी के कारण अकेला महसूस करती हैं। ऐसे में ये ‘रेंटल बॉयफ्रेंड’ भावनात्मक सपोर्ट और एक सुनने वाला साथी तलाशती हैं।

यह सर्विस ‘अकेलेपन’ से परेशान लोगों के लिए एक समाधान बनकर उभरी है। खासकर जिन्हें शादी के लिए योग्य साथी नहीं मिल पा रहा है। एक विकसित देश में तो  ‘रेंटल’ चलन दिखाता है कि तकनीक और सर्विस सैक्टर किस तरह से आधुनिक समाज की नई जरूरतों को पूरा कर रहे हैं। मनोचिकित्सकों और समाजशास्त्रियों की मानें तो कोई ताज्जुब नहीं कि यह समाज के लिए चुनौती बनने वाला चलन देर-सबेर भारत के आधुनिक शहरों में देखने को मिल सकता है।

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