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बूथ बदलें ना रैलियों पर लगे रोक जानें जंमू-कश्मीर चुनाव के लिए आयोग की गाइडलाइंस क्या

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श्रीनगर/यूटर्न/11 सितंबर: जंमू-कश्मीर विधानसभा चुनाव में वोटिंग प्रतिशत बढ़ाने के लिए चुनाव आयोग ने कई दिशा निर्देश जारी किए हैं। आयोग ने प्रशासन और सुरक्षा अधिकारियों से कहा है कि राजनीतिक दलों के नेताओं और कार्यकर्ताओं को बिना वजह परेशान न किया जाए। सुरक्षा के नाम पर पोलिंग बूथ को न तो बदला जाए और न ही किसी दूसरी जगह शिफट किया जाए। इसके अलावा आखिरी समय पर रैलियों को रद्द करने पर भी रोक लगा दी। मुखय चुनाव आयुक्त राजीव कुमार और चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार और सुखबीर सिंह संधू ने पिछले महीने जंमू-कश्मीर का दौरा किया था। इस दौरान उन्होंने अधिकारियों से साफ़ कहा था कि किसी भी तरह का पक्षपात नहीं चलेगा। बिना किसी आपराधिक इतिहास के किसी को भी हिरासत में नहीं लिया जाएगा।
गौरतलब है कि पहले हुए चुनावों में कई राजनीतिक दलों ने शिकायत की थी कि वोटिंग से कुछ दिन पहले उनके नेताओं और कार्यकर्ताओं को सुरक्षा के नाम पर हिरासत में लिया गया। लोकसभा चुनाव के दौरान पीडीपी अध्यक्ष महबूबा मुफती ने भी उनकी पार्टी के कार्यकर्ताओं और पोलिंग एजेंट्स को हिरासत में लेने का आरोप लगाया था। चुनाव आयोग ने इस बार अधिकारियों से साफ़ कह दिया है कि मतदान के दिन किसी को भी बिना कारण गिरफतार न किया जाए। सुरक्षा बलों और पुलिस को सिर्फ हिस्ट्रीशीटर और असामाजित तत्वों को हिरासत में लेने निर्देश दिए गए हैं। चुनाव आयोग के एक अधिकारी ने बताया कि पिछले चुनावों में कई बार वोटिंग से एक-दो दिन पहले ही पोलिंग बूथ बदल दिए गए। इसकारण लोग अपना वोट डालने से वंचित रह गए। चुनाव आयोग चाहता है कि चुनाव में ज्यादा से ज्यादा उम्मीदवार खड़े हों और लोग भी बढ़-चढक़र हिस्सा लें। मुखय चुनाव आयुक्त राजीव कुमार ने बताया कि इस बार चुनाव प्रचार के हर पहलू पर ध्यान दिया जा रहा है। चाहे वह राजनीतिक दल हों, मतदाता हों, उम्मीदवार हों या फिर प्रचार अभियान, हर किसी को पूरी स्वतंत्रता होगी। यही असली जश्न-ए-जम्हूरियत है। इससे हमारे लोकतंत्र और मजबूत होगा। चुनाव आयोग के अनुसार, जंमू-कश्मीर में अब तक उंमीदवारों ने रैलियों और अन्य कार्यक्रमों के लिए 3,034 आवेदन भेजे हैं। इनमें से 2,223 आवेदनों को मंज़ूरी मिल चुकी है, जबकि 327 आवेदन रद्द कर दिए गए। बता दें कि जंमू-कश्मीर में 10 साल बाद विधानसभा चुनाव हो रहे हैं। पहले चरण की वोटिंग 18 सितंबर को होगी। दूसरे चरण के लिए 25 सितंबर को और तीसरे चरण के लिए 1 अक्टूबर को वोटिंग होगी 2019 में जब जंमू-कश्मीर का विशेष दर्जा खत्म किया गया था और उसे दो केंद्र शासित प्रदेशों में बांटा गया था। उसके बाद से यह पहला विधानसभा चुनाव है। 2024 के लोकसभा चुनावों में जंमू-कश्मीर में 58.58 प्रतिशत वोटिंग हुई थी, जो पिछले 35 सालों में सबसे ज़्यादा थी। हालांकि 2014 के विधानसभा चुनावों की तुलना में यह कम थी। उस समय 65.52 प्रतिशत वोटिंग हुई थी। जंमू-कश्मीर में नेशनल कॉन्फ्रेंस पीपल्स डेमोक्रेटिक पार्टी और जेएंडके नेशनल पैंथर्स पार्टी तीन मान्यता प्राप्त राज्य स्तरीय राजनीतिक दल हैं । चुनाव में गैर मान्यता प्राप्त 32 राजनीतिक दलों के अलावा निर्दलीय भी चुनाव मैदान में हैं।
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