चंडीगढ/यूटर्न/25 जुलाई: चंडीगढ़ पीजीआई ने मेथी से बांझपन के इलाज में सफलता हासिल की है। संस्थान के स्त्री एवं प्रसूति रोग विभाग ने सामुदायिक चिकित्सा विभाग के साथ मिलकर किए शोध में इसकी पुष्टि की है। शोध के दौरान बांझपन का इलाज कराने आई पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम (पीसीओएस) से ग्रस्त 208 महिलाओं को दो वर्गों में बांट एक को परंपरागत दवा और दूसरे वर्ग को प्रतिदिन 500 मिलीग्राम मेथी के अर्क से तैयार दो कैप्सूल दिए गए। दवा लेने वाले वर्ग में 95 महिलाएं और मेथी के अर्क वाले में 113 महिलाएं शामिल थीं। शोध में 18 से 45 के बीच की महिलाएं शामिल थीं। तीन महीने के बाद किए गए विश्लेषण में पाया गया कि मेथी पीसीओएस के लक्षणों पर बिना किसी प्रतिकूल प्रभाव के कम कर सकता है। इस शोध को जर्नल ऑफ द अमेरिकन न्यूट्रिशन एसोसिएशन में प्रकाशित किया गया है।पीजीआई के स्त्री एवं प्रसूति रोग विभाग की प्रोफेसर व आईवीएफ विशेषज्ञ शालिनी गेंडर ने बताया कि हर्बल उपचार के उपयोग ने हाल के वर्षों में ध्यान आकर्षित किया है। ऐसा ही एक हर्बल उपचार मेथी के बीज का अर्क है, जिसने पीसीओएस के विभिन्न पहलुओं के उपचार में आशाजनक परिणाम दिखाए हैं इसलिए इस पर शोध किए और महत्वपूर्ण सुधार पाया।
प्रो. शालिनी ने बताया कि पीसीओएस प्रजनन आयु की लगभग 20 प्रतिशत महिलाओं को प्रभावित करता है। इसका महिलाओं की प्रजनन क्षमता पर असर पड़ता है। प्रो. शालिनी ने बताया कि शोध में शामिल प्रतिभागियों को दो समूहों में विभाजित किया गया, एक प्लेसबो समूह और एक पेटेंट मेथी फॉर्मूलेशन समूह। शोध के दौरान सभी प्रतिभागियों को एक अनुकूलित मैक्रोन्यूट्रिएंट संरचना के साथ एक पारंपरिक स्वस्थ आहार का पालन करने की सलाह दी गई। इस शोध में प्रो. शालिनी गेंडर के साथ डॉ. अमरजीत सिंह, शालिनी गेंदर, प्रदीप्ता बनर्जी, अपूर्वा गोयल, पवन कुमार, बनश्री मंडल, समुद्र पी. बनिक और देबाशीष बागची शामिल थे।
मेथी से इन परेशानियों पर मिला काबू
प्रो. शालिनी गेंडर ने बताया कि शोध के परिणामों से पता चला कि मेथी का फॉर्मूलेशन पीसीओएस से जुड़े विभिन्न लक्षणों और जटिलताओं को कम करने में प्रभावी था। डॉक्टरों ने अंडाशय की मात्रा में कमी के साथ दोनों अंडाशय में सिस्ट की संखया में उल्लेखनीय कमी पाई। इसके अतिरिक्त समूह में 30 प्रतिशत से अधिक प्रतिभागियों में मासिक धर्म संबंधी अनियमितताएं भी कम हुईं। वहीं, मेथी की दवा ने लिपिड प्रोफाइल पर सकारात्मक प्रभाव डाला, जिससे एलडीएल के स्तर में तेज कमी आई और ट्राइग्लिसराइड के स्तर में पर्याप्त कमी आई।
पीसीओएस आप भी जान लें
यह हार्मोन से जुड़ी बीमारी है, जिसकी वजह से महिलाओं के अंडाशय (ओवरी) का आकार बढ़ जाता है। साथ ही, इसके बाहरी किनारों पर छोटी-छोटी गांठें (सिस्ट) हो जाती हैं। इसके कारण मुंह और ठोड़ी के आसपास अत्यधिक बाल, मुंहासे, त्वचा का काला पडऩा, अनियमित मासिक धर्म, अवसाद, चिंता, मोटापा और बांझपन जैसी अधिक गंभीर समस्याएं होने लगती हैं। पीसीओएस शरीर को अन्य गंभीर बीमारियों जैसे हृदय-संवहनी रोग, टाइप-2 मधुमेह और चयापचय सिंड्रोम के प्रति भी संवेदनशील बनाता है।
मेथी के हैं कई लाभ
मेथी को सबसे पुराने औषधीय पौधों में से एक माना जाता है और आयुर्वेद और पारंपरिक चीनी चिकित्सा में इसके स्वास्थ्य-प्रचार प्रभावों का उल्लेख किया गया है। रसायनिक संरचना और औषधीय क्रियाओं की जांच ने हाल के वर्षों में पुनर्जागरण देखा है। व्यापक प्री-क्लिनिकल और क्लिनिकल रिसर्च ने मेथी के औषधीय उपयोगों को एंटी-डायबिटिक, एंटी-हाइपरलिपिडेमिक, एंटी-ओबेसिटी, एंटी-कैंसर, एंटी-इंफ्लेमेटरी, एंटी-ऑक्सीडेंट, एंटी-फंगल, एंटी-बैक्टीरियल, गैलेक्टोगॉग और महिलाओं के स्वास्थ्य में सुधार सहित विविध औषधीय प्रभावों के लिए रेखांकित किया है। मेथी की औषधीय क्रियाएं फाइटोकंस्टिट्यूएंट्स की विविधता के कारण होती हैं।
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