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बाल भिखारियों को सड़कों से हटाने, शिक्षा और रोजगार में मदद को प्रशासन का ‘भिक्षा से शिक्षा तक’ अभियान Nadeem Ansari
यूपी काग्रेंस को पालिटिक्ल रिचार्ज करने में कामयाब हो गये राहुल गांधी! 24 घंटे में दिया यूपी में काग्रेस ने आंदोलन का…, आंदोलन से जवाब… मंगलवार को बीजेपी युवा मोर्चा ने राहुल के खिलाफ किया था आंदोलन, बुधवार को एनएसयूआई ने मोदी—योगी के खिलाफ फूंका बिगुल, नीट पेपर लीक मामले को लेकर सरकार को घेरा एनएसयूआई के कार्यकर्ताओं का बवाल, गिरफ्तार किया गया शबी हैदर यूटर्न, 3 जुलाई, लखनउ तो क्या राहुल गांधी उत्तर प्रदेश कांग्रेस को पालिटिक्ल रिचार्ज करने में कामयाब हो गये? लगता कुछ ऐसा ही है। रायबरेली, अमेठी की जीत बनागी भर है, जिस दृष्य को देखने के लिए किसी भी कांग्रेसी की आखें पथरीली सी हो गयी थी आज यूपी की राजधानी लखनउ की सड़कों पर मुटठी भर एनएसयूआई के कार्यकर्ताओं का संघर्ष देखकर जरूर उनकी आखों को ठंडक पहुंची होगी। आज के आंदोलन से एक सवाल और फिजाओं में महसूस हो रहा है और वह सवाल यह है कि क्या काग्रेंस यूपी में मजबूत विपक्ष की भूमिका निभाने के लिए परिपक्व हो चुकी है। क्योंकि इस तरह का जज्बा और जुनून अभी तक या तो समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ताओं में देखने को मिलता था या फिर भारतीय जनता पार्टी के कार्यकर्ताओं में। नीट पेपर लीक मामले को लेकर काग्रेंस के फ्रटंल सगंठन एनएसयूआई ने बुधवार को लखनउ में जोरदार प्रदर्शन किया। एनटीए को बंद करो, शिक्षा मंत्री इस्तीफा दो की नारेबाजी के करते कांग्रेस के युवा मामलों के संगठन एनएसयूआई का जज्बा देखते ही बनता था। प्रदर्शन कर रहे एनएसयूआई के छात्रो को बैरेकेटिंग लगा कर आगे बड़ने से रोका बाद में उन्हें डिटेन कर इको गार्डन भेज दिया है। मंगलवार को राहुल गांधी के खिलाफ लखनउ में बीजेपी युवा मोर्चा के लोगों ने जबर्दस्त प्रर्दशन किया। युवा मोर्चा के सदस्य कांग्रेस कार्यालय पर राहुल गांधी का पुतला फूंकाना चाहते थे। भारी संख्या में मौजूद पुलिस फोर्स ने बीजेपी युवा मोर्चा के सदस्यों को पार्टी दफ्तर से पहले ही बैरेकेटिंग लगा कर रोक दिया था। जहां युवा मोर्चा के कार्यकर्ताओं को रोका गया था उसी जगह उन्होंने राहुल गांधी का पुतला फूकं कर प्रर्दशन किया था। राजनीति में आंदोलन बहुत से होते हैं, पुतले खूब फूंके जाते हैं। आज से पहले भी कांग्रेस ने कई बड़े आंदोलन उत्तर प्रदेश में खड़े किये। सरकार चाहे सपा की रही हो या फिर बीजेपी की। कांग्रेस समय—समय पर खुद को स्थापित करने के लिए आंदोलन का सहारा लेती आई है। मुददों की तलाश में और यूपी के लोगों से मास कनेक्ट करने की कोशिशों में कांग्रेस को 32 साल लग गये। रीता जोशी, राज बब्बर, अजय कुमार लल्लू से लेकर निर्मल खत्री, प्रशांत कुमार पीके और मधूसूदन मिस्त्री तक ने कोशिशें की लेकिन वह यूपी में कांग्रेस को उसकी खोयी हुई राजनीतिक जमीन वापस नहीं दिला पाये। कांग्रेस ने जितनी कोशिश की वापसी की वह उतनी गहरी खायी में जाती रही। इधर पिछले कुछ वर्षों से राहुल गांधी ने यूपी में फोकस करना शुरू किया। प्रियंका गांधी को प्रभारी बना कर भेजा लेकिन यह फार्मूला भी नहीं चला। सपा के साथ गठबंधन किया। यहां भी काग्रेंस फेल साबित हुई। फिर ऐसा क्या हुआ कि लोकसभा चुनाव में इंडिया गठबंधन ने यूपी में राजनीतिक तहलका मचा दिया। पालिटिक्ल एनालिस्ट और वरिष्ठ पत्रकार राजीव शुक्ला कहते हैं कि राहुल गांधी के जज्बे को सलाम। जितना संघर्ष इस व्यक्ति ने किया उतना कम देखने को मिलता है। राहुल ने हार नहीं मानी और हर बार नया एक्सपेरीमेंट किया। यूपी में कंट्रोवर्शियल नेताओं को संगठन से बाहर का रास्ता दिखाया। नया सगंठन खड़ा किया। पुराने लोगों को दोबारा से पार्टी से जोड़ा। अनुभव और जोश के काकटेल के साथ सपा की दोस्ती ने काग्रेंस को रिचार्ज करने का काम किया। Janhetaishi
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