लुधियाना 8 अक्तूबर : अमृतवाणी सत्संग , श्री राम शरणम , श्री राम पार्क के प्रमुख संत अश्वनी बेदी जी महाराज ने श्री राम शरणम् ,श्री राम पार्क में ‘श्री रामायण ज्ञान यज्ञ’ में कहा सदाचार सभी प्रकार के सुखो का दाता है | सद आचार और सद विचार का पालन करने से मनुष्य के दोनों लोक सुधर जाते है|
संत अश्वनी बेदी जी महाराज ने कहा कि सद आचार से मनुष्य का जीवन सुखमय होता है | इसका पालन करने से इस लोक में मान बढ़ता है और परलोक में प्रतिष्ठा प्राप्त होती है | श्री रामायण जी का उपदेश है कि सच्चरित्र संचय को ही सच्चा आचार समझो | उसी से मनुष्य का मंगल और कल्याण होता है |
संत बेदी जी ने कहा कि माता सीता की खोज करते करते विशाल सागर को पार करके हनुमान जी लंका पहुँच गये | तो एक विशाल घर के आँगन में हनुमान जी ने देखा कि एक दुर्लब देवी बैठी है ,पीले जीर्ण वस्त्र से उसने अपने अंग ढके हुए है | चारो तरफ से असुरियाँ उसे इस तरह घेरे हुए है जैसे शिकारी कुत्तियों से मृगी घिरी हुई होती है |
” बार बार कि सोच से , चिन्ह सर्व पहचान |
निशचय सीता है यही , गया तभी वह जान ||”
संत अश्वनी बेदी जी महाराज ने कहा कि श्री हनुमान जी उस देवी बारे बार -बार सोच विचार किया | आखिरकार सद आचार चिन्ह उस देवी में देखकर निशचय कर लिया कि यही देवी सीता है |
संत बेदी जी ने कहा कि श्री रामायण जी पाठ करने वाली नारी जगत जननी जानकी सीता जी जैसी -ऐसी धर्म परायण और निर्भय बन जाती है कि जिसने रावण के प्रलोभन को ठुकराया | और जब रावण ने यह कहा कि तेरी देह के टुकड़े -टुकड़े करके पकाया जायेगा , फिर तेरे पके हुए मांस का नाश्ता किया जायेगा | तब सीता जी ने गर्ज कर कहा कि ओ पापी रावण ! तुम भले ही टूक टूक कर मेरे शारीर को काटो ,तुम जितना मरजी कठोर कष्ट मुझे दो लेकिन :-
“मुझे नहीं है देह बचानी ,आन बान है मुझे निभानी |”
संत अश्वनी बेदी जी महाराज ने कहा हम सब ऐसी माँ सीता के देश में पैदा हुए है जिसने सारे जगत को यह उपदेश दिया है कि सद आचार और सद विचार ही मानव की असली सम्पति होती है | सच्चरित्र संचय ही नारी का उच्च कोटि का धन होता है | शुभ चाल -चलन और शुभ पवित्र विचार का पालन करने से नर-नारियों के दोनों लोक सुधर जाते है | सभा में कमलेश नगपाल , मधु बजाज , राज मित्तल , उमा मित्तल , सुमन जैन , सुदर्शन जैन सहित गणमान्य उपस्थित हुए ।