जीरकपुर, 11 सितम्बर-
शहर की सबसे व्यस्त मानी जाने वाली वीआईपी रोड पर इन दिनों लोगों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। यहां सीवरेज लाइन का ढक्कन टूट जाने के कारण लगातार गंदा और बदबूदार पानी सड़क पर बह रहा है। हालत यह है कि वाहन चालकों और पैदल चलने वालों के लिए सड़क से गुजरना मुश्किल हो गया है। स्थानीय लोगों ने मजबूर होकर सड़क पर लकड़ी में कपड़ा बांधकर और पुराने टूटे सोफे रखकर वाहन चालकों को आगाह करने का जुगाड़ किया है। निवासियों का कहना है कि यह नजारा न सिर्फ वीआईपी रोड की बदहाली दिखाता है बल्कि नगर परिषद की लापरवाही को भी उजागर करता है। दर्जनों सोसायटियों और हजारों परिवारों को जोड़ने वाली इस सड़क की हालत लगातार बिगड़ रही है। कभी बारिश का पानी कई-कई दिन तक यहां भरा रहता है और अब सीवरेज का पानी बहने से समस्या और गंभीर हो गई ।
लोगों ने बताया कि टूटा हुआ ढक्कन न केवल बदबूदार पानी सड़क पर फैला रहा है बल्कि यह किसी भी समय बड़ा हादसा भी करा सकता है। यदि कोई वाहन चालक या पैदल चलने वाला गलती से इस हिस्से पर चढ़ गया तो वह सीधे सीवरेज में गिर सकता है। रात के समय यह खतरा और बढ़ जाता है क्योंकि अंधेरे में लोगों को यह गड्ढा दिखाई नहीं देता। राहगीरों का कहना है कि नगर परिषद को कई बार इस समस्या की जानकारी दी गई लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। मजबूर होकर लोगों ने खुद के स्तर पर टूटी जगह पर लकड़ी और कपड़ा बांधकर निशान लगाया ताकि वाहन चालक सतर्क रह सकें।स्थानीय निवासियों के अनुसार, पिछले कई दिनों से सीवरेज लाइन से गंदा पानी लगातार सड़क पर बह रहा है। इससे न केवल गंदगी फैल रही है बल्कि सड़क किनारे रहने वालों को बदबू और मच्छरों की समस्या से भी जूझना पड़ रहा है। बारिश के दिनों में यह समस्या और गंभीर हो जाती है क्योंकि सीवरेज और बरसाती पानी मिलकर सड़क को तालाब जैसा बना देते हैं।
लोगों का आरोप है कि नगर परिषद समय रहते सीवरेज की सफाई और मरम्मत नहीं करती। यही कारण है कि बार-बार ढक्कन टूटते हैं और गंदा पानी बाहर बहने लगता है।
निवासियों ने नाराज़गी जताते हुए कहा कि नगर परिषद को बार-बार शिकायत दी जाती है, लेकिन अधिकारी केवल आश्वासन देकर चुप हो जाते हैं। “हमारे इलाके से नगर परिषद को टैक्स तो पूरा मिलता है, लेकिन सुविधाओं के नाम पर हमें केवल गंदगी और टूटी सड़कें ही मिलती हैं,” एक निवासी ने नाराज़गी जताई। दर्जनों सोसायटियों वाले इस इलाके के लोग कहते हैं कि वे हर महीने भारी मेंटेनेंस फीस और टैक्स देते हैं, लेकिन बुनियादी सुविधाएं तक नहीं मिल रहीं।