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ब्रह्मज्ञानी गुरसिख सदैव ईश्वर की रजा में रहते हैं :निरंकारी राजपिता रमित जी

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अभिषेक मोदी

जालंधर 2जुलाई। यहां संत निरंकारी सत्संग भवन में निरंकारी राज पिता रमित चंदना जी की उपस्थिति में भव्य समागम बड़ी श्रद्धा से कराया गया। इस अवसर पर पंजाब भर से हजारों श्रद्धालु पहुंचे।

कार्यक्रम के दौरान श्रद्धालुओं ने गीत, संगीत, कविता, विचार आदि के माध्यम से सत्य का संदेश दिया। इस अवसर पर निरंकारी राज पिता रमित चांदना जी ने अपने प्रवचनों में कहा कि ब्रह्मज्ञानी गुरसिख हमेशा भगवान को जानते हैं। वे भगवान की रजा में रहते हुए सतगुरु की शिक्षाओं का पालन कर जीवन जीते हैं। मन की सुंदरता शरीर की सुंदरता से ज्यादा महत्वपूर्ण है।

उन्होंने कहा कि सतगुरु माता सुदीक्षा महाराज अक्सर  प्रवचनों में कहती हैं कि भक्त कुछ क्षणों के लिए नहीं, बल्कि हर समय भक्त होता है। संसार की दृष्टि से जो जीवन जिया जा सकता है, वह तभी धन्य है, जब जहां भी जाए, संसार उसे उसके अच्छे कर्मों के कारण पहचाने। हम सांसारिक उपलब्धियों की सीढ़ी पर जितने कदम चढ़ते हैं, उससे अगली ही सीढ़ी उसका इंतजार कर रही होती है।

उन्होंने कहा कि जब हम इन गुणों के साथ संसार में चलते हैं तो लोग हमसे प्रेम और हमारा आदर करते हैं। हमारा खाना-पीना, उठना-बैठना धन्य हो जाता है। व्यक्ति के मन से अहंकार खत्म हो जाता है और वह अपने जीवन की असली मंजिल की ओर बढ़ने लगता है। उन्होंने जालंधर शहर के नाम को लेकर अपनी भावनाएं व्यक्त करते हुए कहा कि ‘जालंधर’ नाम की तरह मन के अंदर के अहंकार को जलाना होगा, अहंकार को छोड़ना होगा।

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