चंडीगढ/यूटर्न/2 अगस्त: महाराष्ट्र और हरियाणा समेत 4 राज्यों में इसी साल विधानसभा चुनाव होने हैं। इसे लेकर राजनीतिक दल तैयारियों में जुटे हुए हैं। इसे लेकर चर्चा हुई कि आगामी चुनाव में भाजपा का प्रदर्शन कैसा रह सकता है और इन चुनावों के परिणाम का राष्ट्रीय राजनीति पर कितना असर पड़ सकता है। इस साल हरियाणा, महाराष्ट्र, झारखंड और जंमू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव होने हैं। इसी साल हुए लोकसभा चुनाव के परिणाम देखे जाएं तो इनमें से 2 राज्यों में भाजपा कमजोर दिखाई पड़ रही है। ये राज्य हरियाणा और महाराष्ट्र हैं। उन्होंने कहा कि अगर इन राज्यों में से भाजपा तीन में हार जाती है तो उथल पुथल होने की गुंजाइश है। पहला असर यह हो सकता है कि राष्ट्रीय राजनीति में बदलाव हो जाए। क्योंकि 2 राज्य जो अभी भाजपा के पास हैं वो उसके हाथ से निकल जाएंगे। जब इस तरह का माहौल दिखने लगेगा कि जनता का रुख बदल रहा है तो बदलाव की संभावना बनी रहेगी। बिहार में अगले साल अक्टूबर में चुनाव होना है। इस बीच काफी बदलाव की गुंजाइश बनी रहेगी। ये लगने लगेगा कि जिस पार्टी के साथ वो खड़े हैं उसका जनाधार छिटक रहा है तो कुछ न कुछ बदलाव की संभावना तो रहेगी ही। ऐसा होने की संभावना हरियाणा और महाराष्ट्र, इन दोनों राज्यों में काफी हद तक दिखाई दे रही है।
हरियाना के लिये संगठन हो रहा मजबूत
हरियाणा में करीब एक दशक बाद कांग्रेस के संगठन का गठन होने जा रहा है। पार्टी प्रभारी दीपक बाबरिया ने गुरुवार को यह ऐलान किया। इसी के साथ ही कांग्रेस के सभी गुट सक्रिय हो गए हैं। अपने-अपने समर्थकों को ज्यादा से ज्यादा संखया में संगठन में शामिल करवाने की कवायद तेज हो गई है। हरियाणा कांग्रेस के अध्यक्ष चौधरी उदयभान ने प्रदेश पदाधिकारियों और जिला अध्यक्षों की लिस्ट फाइनल कर लंबे समय से प्रदेश प्रभारी के पास भेज रखी है। इस लिस्ट में पूर्व मुखयमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा और सांसद दीपेंद्र सिंह हुड्डा की पसंद के नेताओं को जगह मिलने की पूरी संभावना है। विधानसभा चुनाव में एकजुटता का संदेश देने के लिहाज से कुमारी सैलजा, रणदीप सुरजेवाला, कैप्टन अजय यादव और बीरेंद्र सिंह की पसंद के कुछ नेताओं को भी संगठन में जगह मिल सकती है।
राहुल गांधी ने दिए थे निर्देश
हालांकि, पिछले दिनों राहुल गांधी, मल्लिकार्जुन खरगे और के.सी. वेणुगोपाल की हरियाणा के नेताओं के साथ बैठक में इस बात का पता चला कि अभी तक उनके पास ऐसी कोई लिस्ट मंजूरी के लिए पहुंची ही नहीं। तब राहुल गांधी ने के.सी. वेणुगोपाल और दीपक बाबरिया को हरियाणा का संगठन जल्दी बनाने के निर्देश दिए थे, मगर इस बात को भी दो महीने बीतने वाले हैं। हरियाणा में कांग्रेस ने लोकसभा चुनाव बिना संगठन के ही लड़ा था।
90 सीटों पर 2000 से अधिक आवेदन
हरियाणा कांग्रेस के प्रभारी दीपक बाबरिया ने गुरुवार को दिल्ली में कहा कि राज्य में कांग्रेस का टिकट प्राप्त करने वालों में काफी उत्साह है। 90 विधानसभा सीटों के लिए दो हजार से अधिक आवेदन आ चुके हैं। आवेदन करने की प्रक्रिया 10 अगस्त तक बढ़ा दी गई है। एक हजार आवेदन और आने की संभावना है। कांग्रेस कार्यकर्ताओं का यह उत्साह पार्टी को विधानसभा चुनाव में जीत की ओर अग्रसर करेगा। बाबरिया ने एक सवाल के जवाब में कहा कि कांग्रेस का संगठन बनकर तैयार है। अगले एक-दो दिनों के भीतर इसे जारी किया जा सकता है।
किसानों से पंगा भाजपा को पडेगा महंगा
जिस प्रकार पंजाब में किसानों ने भाजपा को गांवों में घुसने तक नही दिया,उसी प्रकार हरियाना में किसानों की भारी तादाद है,इसके अलावा महिला खिलाडियों से भाजपा जिस बेरूखी से नजर आई,उससे लगता है कि इन विधानसभा के नतीजें भाजपा को प्रभावित करेगें,किसान नेता तो खुलेआम कह चुके है कि भाजपा की दवाई उनको वोटें ना दो तो उनको दवा मिल जायेगी जो उनकी मानसिकता पर सत्ता काबिज हो चुकी है।
शंभू बार्डर बंद का भी होगा असर
जिस प्रकार हरियाना ने दिल्ली कूच कर रहे किसानों को शंभू बार्डर पर हीी तीन तीन लेयर की सुरक्षा लगाकर रोक लिया था,उससे शंभू से हरियाना जाने वाले भी परेशन है,जिनका कामकाज ही हरियाना में चलता है,यहां तक कि कई तो स्कूलों में छात्र भी वहां पर पढ रहे है,इसी तरह जिन लोगों ने हरियाना से पंजाब में आकर राजपुरा व आस पास के इलाकों में काम खोले हुए थे वह भी सरकार के इस रवैये से बर्बादी तक पहुंच चुके है,लोगों में बेहद रोश है कि हरियाना ने बिना वजह पंगा ले लिया जो उसको बहुत महंगा इन चुनावों में पडने वाला है। जबकि भाजपा का अभी से कहना है कि वह तीसरी बार सरकार बनाने जा रही है।
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