सूबे में फिर कैसे बढ़ रहा प्रदूषण स्तर, जुलाना में तो लगातार जल रही पराली, प्रशासन बना बेखबर
सोनीपत,जींद 26 अक्टूबर। पराली जलने से हरियाणा में बढ़ते प्रदूषण पर सत्ताधारी पार्टी ‘आइ-वॉश’ में जुटी है। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष मोहनलाल बड़ौली ने सोनीपत में एक कार्यक्रम के दौरान मीडिया के सामने दावा किया कि हरियाणा के किसान पराली नहीं जला रहे हैं। एक एकड़ भूमि की पराली के किसान को सात हजार रुपये तक मिल रहे हैं। सरकार ने भी पराली प्रबंधन के लिए बेहतर व्यवस्थाएं की हैं।
दिल्ली सरकार के हरियाणा पर लगाए आरोपों पर बड़ोली ने तर्क दिया कि हरियाणा के मुख्य सचिव ने सुप्रीम कोर्ट में अपना जवाब दे दिया। हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि पर्यावरण को शुद्ध रखना हर व्यक्ति का कर्तव्य है। जिसमें गांव हुल्लाहेड़ी में लगाया गया ऑक्सीजन बाग अहम भूमिका अदा करेगा। उन्होंने कहा कि दिल्ली में बढ़ते प्रदूषण में 44 फीसदी हिस्सा किसका है, इसको लेकर अभी स्थिति स्पष्ट नहीं है। इस 44 फीसदी हिस्से में पराली महज एक फीसदी है।
बीजेपी प्रधान ने कहा कि किसान पराली बेचकर मुनाफा कमा रहे हैं। बढ़ते प्रदूषण को कम करना है तो अधिक से अधिक पेड़ लगाने होंगे, इसके लिए केंद्र सरकार की एक पेड़ मां के नाम योजना बेहतर साबित हो रही है। प्रदेश में बढ़ते अपराध पर बड़ोली ने दावा किया कि आंकड़ों पर नजर डालें तो अपराध कम हुए हैं।
प्रधान जी ! जुलाना भी देख आना :
जींद के जुलाना क्षेत्र में पराली जलाने की घटनाएं लगातार बढ़ रही हैं। जिससे वायु प्रदूषण का स्तर चिंताजनक रूप से बढ़ता जा रहा है। प्रशासन और सरकार द्वारा पराली जलाने पर रोक के सख्त निर्देश दिए गए, लेकिन किसान धान की फसल के अवशेषों जलाने से बाज नहीं आ रहे हैं।
लोगों के मुताबिक किसान अब प्रशासन की नजरों से बचने के लिए नई रणनीति अपना रहे हैं। वे रात के समय धान के अवशेषों को आग लगाते हैं, ताकि सुबह तक खेत तैयार हो जाए और पराली जलाने के सबूत मिट जाएं। जैसे ही रात होती है तो क्षेत्र के खेतों में पराली जलाने का सिलसिला शुरू हो जाता है। जुलाना के हांसी रोड समेत कई स्थानों पर धुएं के गुबार नजर आते हैं, जिससे पर्यावरण और वायु की गुणवत्ता पर गहरा असर पड़ रहा है। हालांकि प्रशासन द्वारा पराली जलाने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की बात कही जा रही है। किसानों को रोकने के लिए टीमें भी बनाई गई हैं। हालांकल अब तक इसका कोई ठोस परिणाम देखने को नहीं मिला। एग्रीकल्चर डिपार्टमेंट अफसर हेमंत के मुताबिक अभी तक विभाग के पास इस मुद्दे पर कोई सटीक लोकेशन उपलब्ध नहीं है, जल्द ही मौके पर जाकर निरीक्षण किया जाएगा।
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