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भाजपा नेता गरेवाल ने कंगना पर बोला बड़ा हमला, किसी के व्यापार की खातिर पार्टी कुर्बान नहीं करेंगे

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किया दावा, शुरु में ही सांसद कंगना का विरोध किया, उनके विवादित बयान नहीं है भाजपा की विचारधारा

चंडीगढ़ 1 सितंबर। हिमाचल प्रदेश की मंडी लोस सीट से सांसद व सिने-एक्ट्रेस कंगना रणौत के विवादों पर अब भाजपा में दोफाड़ नजर आने लगे हैं। कंगना की फिल्म से जुड़े सवाल पर भाजपा के सीनियर नेता हरजीत सिंह ग्रेवाल ने तंज वाले लहजे में कहा कि सांसद बनने से कोई लीडर नहीं बन जाता है। हर एमपी या एमएलए लीडर नहीं होता है। पार्टी की विचारधारा से भी कोई एक दिन में नहीं जुड़ता है।

गरेवाल ने कहा कि मैं तो पिछले 35 साल से भाजपा में हूं। मैंने पहले दिन ही कंगना का विरोध किया था। किसी की फिल्मी या व्यापार के लिए हम अपनी पार्टी को कुर्बान नहीं कर देंगे। यह उनका काम है, फिल्म बनाएं या ना नहीं बनाएं। फिल्म को पास करना या ना करना यह काम तो सेंसर बोर्ड का है।

भाजपा नेता गरेवाल यहीं नहीं रुके, उन्होंने दावा किया कि कोई भी खालसा-पंथ या पंजाब के खिलाफ बोलेगा तो उसके खिलाफ हर बीजेपी वर्कर स्टैंड लेगा। इसमें अपना-पराया कोई नहीं होता है। इसलिए उन्होंने पहले दिन कंगना का विरोध किया था। उनके विवादित बयान हमारी पार्टी की विचारधारा नहीं है। पंजाब बीजेपी के किसी सीनियर नेता ने कंगना के खिलाफ कार्रवाई के लिए पार्टी हाईकमान को नहीं लिखा, इस पर ग्रेवाल ने कहा कि वह भी पार्टी के सीनियर नेता है। उन्होंने इस मामले में सीधे ही पार्टी के राष्ट्रीय प्रधान जेपी नड्डा का फोन किया था। जिसके बाद कंगना को चेतावनी पत्र जारी हो गया था।

गरेवाल ने तर्क दिया कि अगर वह गलत होते तो उन्हें पार्टी से निकाल दिया जाता। पंजाब सरकार के खिलाफ धरना शुरू करने पर उन्होंने किसानों के फैसले का स्वागत किया। यह किसानों का अच्छा कदम है, वरना किसान केंद्र सरकार को ही गालियां निकालते थे। पहला आंदोलन जब चला था, उस समय हम किसान के साथ खड़े थे। तीनों कृषि कानून काफी अच्छे थे, लेकिन हम अच्छी तरह किसानों को समझा नहीं पाए। एक दिन किसान खुद कहेंगे कि यह कानून लागू कर दो।

शिअद सुप्रीमो सुखबीर बादल के प्रधान पद छोड़े बिना अकाल तख्त के समक्ष पेश होकर माफी मांगने के बारे में ग्रेवाल ने कहा कि यह सारी लीपापोती हो रही है। इससे ना तो पंजाब और ना ही अकाली दल का भला होना है। अक्स तो त्याग करने से बचते हैं। आज यह अकाली दल नहीं है। अमृतपाल और सर्बजीत का चुनाव जीतने की वजह भी शिरोमणि अकाली दल ही है।

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