हरियाना/यूटर्न/5 सितंबर: हरियाना में बतौर आईएएस तैनात सुशील सारवान की माता संतोष सारवान को भाजपा ने विधानसभा का टिक्ट दिया है,जिस कारण यह मामला चुनाव आयोग के पास पहुंच गया है। वहीं विरोधी पक्ष का आरोप है कि अगर बेटा जिलाधीश है तो निशपक्ष चुनाव कैसे होगें। बीजेपी की टिकट दिए जाने पर विवाद खडा हो गया है। कांग्रेस ने इसकी शिकायत भारतीय चुनाव आयोग और हरियाणा मुखय निर्वाचन अधिकारी से की है। शिकायत में कहा गया है कि सुशील सारवान की मां को बीजेपी ने अंबाला लोकसभा क्षेत्र की मुलाना विधानसभा सीट से उंमीदवार बनाया है। इस विधानसभा की सीमा कुरुक्षेत्र जिले की सीमा से लगती है। दरअसल, शिकायत में लिखा है कि मुलाना विधानसभा क्षेत्र का हिस्सा कुरुक्षेत्र जिले से लगता है और कुरुक्षेत्र में बीजेपी प्रत्याशी का बेटा यहां का डीसी है, ऐसे में वह चुनाव को प्रभावित कर सकते हैं। इस मामले में हस्तक्षेप कर कार्रवाई की जाए। चुनाव आयोग में ये शिकायत हरियाणा कांग्रेस कमेटी के मेंबर सुरेश उनीसपुर ने की है। उन्होंने शिकायत में लिखा है कि आपके संज्ञान में लाया जा रहा है कि सुशील सारवान आईएएस, जो संतोष सारवान भाजपा उंमीदवार मुल्लाना (06) विधानसभा क्षेत्र का बेटा है, इनकी तुरंत प्रभाव से बदली की जाए। पिछले लोकसभा चुनाव में भी चुनाव आयोग के आदेश पर सुशील सारवान को पंचकूला पद से हटाया गया था। अब ये कुरुक्षेत्र में तैनात हैं, जिसकी सीमा मुलाना विधानसभा क्षेत्र से लगती है। शिकायत में कुछ गंभीर आरोप कांग्रेस की तरफ से लगाए गए हैं। आरोप है कि सुशील सारवान ने टिकट के ऐलान की रात से ही स्थानीय लोगों पर दबाव डालना शुरू कर दिया है। वह कह रहे हैं कि भाजपा को ही वोट करनी है। शिकायत में नियमों का हवाला देते हुए कांग्रेस ने लिखा है कि कि चुनाव आयोग के नियम है किसी भी पार्टी के उमीदवार के रिश्तेदार चुनाव ड्यूटी में तैनात नहीं हो सकता और जिसका पिछले चुनाव में ही बदली हुआ हो वह तो चुनाव ड्यूटी कैसे कर सकता है। इसलिए आपसे अनुरोध है कि हरियाणा में निष्पक्ष चुनाव करवाने के लिए सुशील सारवान डीसी कुरुक्षेत्र का तुरंत प्रभाव से तबादला किया जाए।
ट्रांसफर के क्या है मापदंड
लोकसभा चुनाव से पहले भारतीय चुनाव आयोग की ओर से राज्यों को जारी निर्देश में किसी भी अधिकारी व कर्मचारी के तबादले का आधार संसदीय क्षेत्र को बनाया गया है। मसलन चुनाव के दौरान अपने गृह जिले वाले संसदीय क्षेत्र में अफसरों की तैनाती नहीं की जाएगी। इसी आधार पर ही चुनाव आयोग के पास अफसरों व कर्मचारियों की शिकायतें पहुंच रही हैं। चुनावी प्रक्रिया में आरओ यानी रिटर्निंग अफसर की अहम भूमिका होती है। वह सीधे तौर से चुनाव से जुड़ा होता है। जबकि उपायुक्त यानी जिला चुनाव अधिकारी को लेकर आयोग की हिदायत स्पष्ट नहीं है। कांग्रेस की शिकायत के बाद अब चुनाव आयोग की ओर से जिस तरह का निर्देश आता है वैसे ही सरकार की ओर से कार्रवाई की जाएगी।
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बेटा जिस इलाके का डीसी,वहीं से भाजपा ने दिया उसकी मां को टिक्टख्मामला चुनाव आयोग पहुंचा
Kulwant Singh
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