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कड़वाहट तो
सभी रिश्तों में होती हैं.
बस, मोहब्बत की चाशनी,
उसे धागे में पिरोती हैं.
इस ज़िन्दगी में यारों
नज़दीकियों के चक्के,
चलते ही रहना चाहिए.
स्नेह का बंधन और
एक-दूसरे के दु:खों को
सहलाते रहना चाहिए.
कोई कितना भी चाहे,
हमें ख़ुद पर भी ऐतबार
होना ही चाहिए.
जो बिखर जाए,
वो रिश्ते ही नहीं
कौन कहता हैं कि
हम वो फ़रिश्ते नहीं.
क्योंकि कड़वाहट तो
सभी रिश्तों में होती हैं.
संजय एम. तराणेकर
(कवि, लेखक व समीक्षक)
31, संजय नगर, इंदौर (मध्यप्रदेश)