आज रामनवमी पर विशेष : सुनील बाजपेई
– जाकर नाम सुनत शुभ होई, मोरे गृह आए प्रभु सोई
त्रेता युग में आज चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की नवमी को ही प्रभु श्रीराम का जन्म हुआ था। उन मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्री राम का जन्म
जिससे आनंद के महासागर में डूबे राजा दशरथ यह कह उठे थे – जाकर नाम सुनत शुभ होई, मोरे गृह आए प्रभु सोई’।
रामचरित मानस में गोस्वामी तुलसीदास का वर्णन भी बताता है कि उस समय मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम का जन्म होते ही पूरी अयोध्या नगरी हर्षोल्लास में डूब गई थी। …और त्रेता युग के बाद अब कलयुग में भी आज रामनवमी पर इतिहास अपने आप को दोहराएगा ,जिसका माध्यम बनेगी आज की वह अयोध्या, जहां बने विश्व के भव्यतम मंदिर में भगवान राम 500 साल बाद पुनः विराजे हैं। श्री विष्णु जी के अवतार मर्यादा पुरुषोत्तम वह भगवान राम ,जिनके नाम का जाप करने मात्र से ही मनुष्य को मोक्ष प्राप्ति हो जाती है।
जिस दिन मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्री राम का जन्म हुआ था। वह चैत्र नवरात्रि नौवां दिन था। अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार इस बार राम नवमी का त्यौहार आज 17 अप्रैल को है।
विशेष बात यह भी कि इस साल अयोध्या में राम मंदिर बन जाने के बाद रामनवमी और भी खास होगी। यही नहीं अयोध्या के राम मंदिर में आज रामनवमी के अवसर पर भगवान रामलला का सूर्य तिलक भी होगा।
अवगत कराते चलें अयोध्या में भव्यतम राम मंदिर निर्माण में सफलता और इसके पहले राम जन्मभूमि के लिए किसी भी राम भक्त का प्राणोत्सर्ग इस देश की संस्कृति और धर्म के मामले में सार्थक साबित हुआ है, जिसका प्रमाण है – श्री राम मंदिर का भव्य निर्माण और उसमें भगवान श्री राम का विराजना।
यही नहीं 2022 में 2 अप्रेल को नवरात्रि प्रारंभ होने पर ही निर्माणाधीन श्री रामजन्म भूमि मन्दिर गर्भगृह पर प्रातः पूजन के साथ नई ध्वजा भी फहराने के समय यह भी प्रतीत हो गया था कि जिस तरह से सैकड़ों वर्षो बाद भव्य राममंदिर के निर्माण का समय आया। जिस समय से उसका निर्माण शुरू हुआ और जिस दिन पहली बार ध्वजा फहराई गई। ठीक उसी तरह से प्रकृति के पूर्व नियोजन के तहत वह समय भी आएगा, जब भव्य राम मंदिर का निर्माण पूरा होगा। मतलब राम मंदिर का निर्माण पूरा होने का भी समय पूर्व निर्धारित था। वह भी बिल्कुल समय पर ही पूरा हुआ। ना समय से पहले और ना समय के बाद में |
इस बारे में अगर आध्यात्मिक अवधारणा को माने तो जिस तरह से यह समयबद्ध था कि किसके कार्यकाल में या किसके समय में ,किसके द्वारा ,किसकी देखरेख में और कब अयोध्या में भगवान श्री राम के भव्य मंदिर का निर्माण कब शुरु होना था | ठीक उसी तरह इस आशय का समय भी पूर्व नियोजित सा ही था कि अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण का समापन भी किसके कालखंड में, किसके समय में और किसकी देखरेख में पूरा होगा ? दरअसल समय के रूप में यह सारा खेल, उसी सत्ता शक्ति का है ,जिसे कोई राम ,तो कोई कृष्ण या किसी अन्य रूप में संसार का सर्वोच्च और संचालक मानता है।
जहां तक भगवान श्री राम के जन्म के बारे में पौराणिक मान्यताओं का सवाल है। उनमें बताया गया है कि चैत्र शुक्ल नवमी के दिन अयोध्या के राजा दशरथ के घर माता कौशल्या की कोख से विष्णु अवतार राम का जन्म हुआ था। वहीं पुराणों के अनुसार प्रभु श्रीराम का जन्म त्रेतायुग और द्वापर युग के संधिकाल में हुआ था।
और अब अगर आधुनिक अनुसंधानों और शोधों की बात की जाये तो भगवान श्री राम का जन्म 5114 ईसा पूर्व यानी आज से 7137 वर्ष पूर्व हुआ था।
यहां इस बारे में ज्योतिषीय मान्यताओं की भी चर्चा करनी जरूरी है ,जिनके मुताबिक श्रीराम का जन्म उनके प्रिय अभिजित मुहूर्त दोपहर के 12.05 पर हुआ था। तब न बहुत सर्दी थी, न धूप थी। इस बारे में बाल्मिक रामायण का भी अपना वर्णन है ,जिसमें बताया गया है कि सरयू के किनारे सप्त पुरियों में प्रथम अयोध्या में भगवान श्री राम का जन्म चैत्र शुक्ल नवमी तिथि एवं पुनर्वसु नक्षत्र में तब हुआ था ,जब पांच ग्रह अपने उच्च स्थान में थे। यानी उस समय सूर्य मेष में 10 डिग्री, मंगल मकर में 28 डिग्री, ब्रहस्पति कर्क में 5 डिग्री पर, शुक्र मीन में 27 डिग्री पर एवं शनि तुला राशि में 20 डिग्री पर था।
…और अब आज मनाई जाने वाली रामनवमी यानी राम के जन्मदिन की बात तो हिंदू पंचांग के अनुसार राम नवमी 16 अप्रैल को दोपहर में 1 बजकर 23 मिनट से शुरू होकर 17 अप्रैल को दोपहर में 3 बजकर 14 मिनट तक रहेगी। उदया तिथि की मान्यता के अनुसार राम नवमी का पर्व आज 17 अप्रैल को मनाया जाएगा। आज के दिन ही चैत्र नवरात्र का भी समापन होगा। लोग जो 9 दिन व्रत करते हैं वे राम नवमी के दिन पारण करके नवरात्रि के व्रत को पूरा करेंगे।
ज्योतिष विशेषज्ञों के अनुसार राम नवमी पर इस बार पूरे दिन रवि योग का शुभ संयोग बना है। इस दिन आश्लेषा नक्षत्र पूर्ण रात्रि तक है। आज राम नवमी की पूजा का शुभ मुहूर्त 11 बजकर 50 मिनट से 12 बजकर 21 मिनट तक का समय सर्वोतम रहेगा। इस समय शुभ चौघड़िया भी रहेगा। और अगर लोग चाहें तो 11 बजकर 50 मिनट से 1 बजकर 38 मिनट तक भी पूजन कर सकते हैं। वैसे भक्तों के लिए जिस ईश्वरी सत्ता का जन्म ही राम-राम ,जीवन भी राम- राम और अंत में मृत्यु भी राम-राम। उन भगवान राम की पूजा और आना वंदना और उपासना कभी भी की जा सकती है। और यहां सब कुछ केवल भगवान राम की कृपा ही करा सकती है।