मजीठिया ड्रग केस में पूर्व डीजीपी की एंट्री से बवाल, बोले
सिद्धार्थ चट्टोपाध्याय ने माना कई बार पॉलीटिक्ल प्रेशर में अफसर नहीं ले पाते एक्शन
लुधियाना 27 जून। पंजाब विजिलेंस ब्यूरो द्वारा नशा तस्करी और आय से अधिक संपत्ति के केस में गिरफ्तार शिरोमणि अकाली दल के वरिष्ठ नेता और पूर्व मंत्री बिक्रम सिंह मजीठिया की मुश्किलें और बढ़ गई हैं। शुक्रवार को पंजाब पुलिस के पूर्व डीजीपी सिद्धार्थ चट्टोपाध्याय की इस मामले में एंट्री हो गई हैं। जिसके बाद राजनीतिक गलियारों में खलबली मच गई है। दरअसल, सिद्धार्थ चट्टोपाध्याय शुक्रवार को मजीठिया के खिलाफ दायर नशा तस्करी के केस में विजिलेंस ऑफिस में पेश होने पहुंचे। इस दौरान उनकी और से विजिलेंस अफसरों के साथ करीब एक घंटे तक बातचीत की। उन्होंने मामले संबंधी पूरी जानकारी अफसरों को दी। इस मामले में पूर्व डीजीपी सिद्धार्थ चट्टोपाध्याय ने कहा कि बिक्रम मजीठिया के ड्रग नेटवर्क में शामिल होने, नशा तस्करों से संबंध होने और फाइनेंशियल लेनदेन के पुख्ता सबूत है। बस जरुरत है इन्हें सही तरीके से पेश करने की। उन्होंने कहा कि 100 प्रतिशत मजीठिया पंजाब के ड्रग नेटवर्क में शामिल है। जिसके चलते उन्होंने सभी प्रूफ विजिलेंस को दिए हैं।
जगदीश भोला ने सामने रखा था मजीठिया का नाम
2012 में पंजाब के फतेहगढ़ साहिब जिले में एक ड्रग रैकेट परड़ा। जिसमें भारी मात्रा में सिंथेटिक ड्रग्स बरामद किए, जिनमें आईस, मेथ, और एपेड्रिन जैसे केमिकल शामिल थे। जांच में यह अनुमान लगाया गया कि यह रैकेट करीब 6000 करोड़ रुपए का था। जांच में पंजाब पुलिस के पूर्व डीएसपी जगदीश भोला का नाम सामने आया। उसकी गिरफ्तारी के बाद उसने कोर्ट से पेशी के बाद बिक्रम मजीठिया का नाम लिया। तब बिक्रम मजीठिया पंजाब सरकार में राजस्व मंत्री थे और शिरोमणि अकाली दल सरकार में ताकतवर चेहरा माने जाते थे। भोला ने आरोप लगाया कि मजीठिया के नशा तस्करों से संबंध हैं और ड्रग माफिया को उन्होंने राजनीतिक संरक्षण दिया। मजीठिया न केवल इस नेटवर्क के लोगों से व्यक्तिगत तौर पर मिले थे, बल्कि ड्रग्स से कमाए गए पैसे का हवाला के जरिए लेन-देन भी करवाते थे।
अगर रिपोर्ट खुली तो कई चेहरे होंगे बेनकाब
पूर्व डीजीपी सिद्धार्थ चट्टोपाध्याय अनुसार दिसंबर 2014 में ईडी ने मजीठिया से पूछताछ की। ईडी की जांच में कई सबूत सामने आए। लेकिन राज्य में अकाली दल सरकार होने के चलते कार्रवाई नहीं हुई। फिर 2017 में कांग्रेस सरकार में भी मजीठिया बचते रहे। लेकिन दिसंबर 2021 में चरणजीत सिंह चन्नी सीएम बने और एक्शन के आदेश दिए। एसटीएफ पंजाब ने ईडी के सबूतों को री-वेरिफाई किया, जो सच साबित हुए। मामले में कई और प्रूफ भी मिले। जिसके आधार पर एफआईआर की गई। फिर हाईकोर्ट के आदेशों पर एसआईटी बनी। एसआईटी ने तीन रिपोर्ट कोर्ट में सबमिट की। जबकि एक रिपोर्ट पूर्व डीजीपी ने अलग से पेश की। वह रिपोर्ट आज तक नहीं खुली। चट्टोपाध्याय ने कहा कि अगर वे रिपोर्ट खुलेगी तो कइयों के चेहरे ड्रग तस्करी में बेनकाब होंगे।
पूर्व डीजीपी ने माना पुलिस पर होता है राजनीतिक दबाव
पूर्व डीजीपी ने माना कि जब भी बड़ा एक्शन लेना हो तो पुलिस पर राजनीतिक दबाव होता है। जब उन्होंने रिपोर्ट तैयार की तो उन्हें भी कई तरह की धमकियां मिली। जबकि फैमिली का नाम लेकर भी डराया जाता है। मजीठिया द्वारा तो ओपन में ही अफसरों को धमकाया जाता है। सोशल मीडिया पर इसकी सभी वीडियोज मौजूद है। आज चरणजीत चन्नी कह रहे हैं कि सरकार ने गलत एक्शन लिया, जबकि पहले उन्होंने एफआईआर करवाई थी। इससे साफ है कि पुलिस ने बिना किसी दबाव के पहले और अब एक्शन लिया है।
एआईजी व इंस्पेक्टर ने काली कमाई से बनाया सब कुछ
उन्होंने बर्खास्त इंस्पेक्टर इंद्रप्रीत का नाम लेकर कहा कि उसके खिलाफ 15 जांच चल रही थी, जबकि 4 पर्चे थे। इसके बाद 4 प्रमोशन दी गई । जबकि वह सिपाही रैंक के आदमी को प्रमोशन देकर इंस्पेक्टर बना दिया। उन्होंने दावा किया कि भगौड़े एआईजी राजजीत ने ड्रग से सब कुछ बनाया है। पूर्व डीजीपी ने कहा कि एसआईटी के रूप में हमारी ड्यूटी हाईकोर्ट में रिपोर्ट देने की थी, एसआईटी का चालान पेश करना हमारी जिम्मेदारी नहीं थी। हमारे पास कुछ ठोस सबूत आ गए थे। बाहर से भी पैसे आए थे। लिंक फेक शैल कंपनियों में पैसा घुमाया गया। यह महत्वपूर्ण केस है।
मजीठिया के घर में केस से जुड़े सबूत हैं मौजूद
इस बीच मजीठिया के खिलाफ एक नया केस दर्ज करने की तैयारी भी शुरू हो गई है। जांच टीम ने आरोप लगाया है कि मजीठिया ने अधिकारियों को धमकाया, धक्कामुक्की की, सबूत मिटाने की साजिश रची, और अपने समर्थकों को हमले के लिए उकसाया सूत्रों के अनुसार, विजिलेंस टीम को जानकारी थी कि मजीठिया के एक घर में केस से जुड़े महत्वपूर्ण दस्तावेज मौजूद हैं। लेकिन जानबूझकर तलाशी रोकने के लिए भीड़ को भड़काया गया और टीम पर हमला करवाया गया। अब इन आरोपों के आधार पर मजीठिया के खिलाफ एक और एफआईआर दर्ज की जा सकती है।
जवानी बर्बाद करने वालों को इसी जन्म में मिलेगी सजा
मुख्यमंत्री भगवंत मान ने कहा है कि राज्य पर लगे नशे के कलंक को मिटाना उनकी पहली प्राथमिकता है। उन्होंने स्पष्ट कहा कि हमें जो भी करना पड़े हम करेंगे। नशे के खिलाफ युद्ध चल रहा है। सीएम मान ने कहा कि सरकार किसी को नहीं बख्शेगी, चाहे वह कितना भी बड़ा नेता, अफसर या रसूखदार क्यों न हो। जिन्होंने पंजाब की जवानी को बर्बाद किया, उन्हें इसी जन्म में सजा मिलेगी।