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बड़ा एक्शन : एनजीटी ने पंजाब सरकार पर लगा दिया है कुल 1026 करोड़ का जुर्माना

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सीवेज डिस्चार्ज और सॉलिड वेस्ट प्रबंध नहीं होने से खफा नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल से 1 महीने की मोहलत

चंडीगढ़ 22 अगस्त। इस बार वाकई नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने बड़ा एक्शन लिया है। ट्रिब्यूनल ने पुराने कचरे के साथ ही अनुपचारित सीवेज डिस्चार्ज के लिए उचित प्रबंधन  नहीं करने पर गहरी नाराजगी जताई। साथ ही इसी नाकामी के लिए पंजाब सरकार पर 1026 करोड़ रुपए का जुर्माना लगा दिया।

जानकारी के मुताबिक जारी आदेश में एनजीटी ने मुख्य सचिव के माध्यम से पंजाब राज्य को एक महीने के दौरान सीपीसीबी के साथ पर्यावरण मुआवजे के लिए 1026 करोड़ रुपए जमा करने और एक अनुपालन रिपोर्ट प्रस्तुत करने का आदेश दिया। दरअसल यह अहम मामला लुधियाना नगर निगम से भी जुड़ा हुआ बताते हैं। एनजीटी ने बताया है कि राज्य में पुराना कचरा 53.87 लाख टन पड़ा है। दो वर्ष पहले यह आंकड़ा 66.66 लाख टन था। इन दो वर्षों के दौरान मात्र 10 लाख टन कचरे का निस्तारण हो सका है।

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इस मामले में सख्त नाराजगी जताते हुए एनजीटी ने टिप्पणी की कि जिस गति से निस्तारण का काम चल रहा है, उससे तो लगता है कि बचा 53.87 लाख टन कचरा निपटाने में लगभग 10 साल का समय लग जाएंगे। वहीं 31406 लाख लीटर सीवरेज पानी साफ करना बाकी है। यहां काबिलेजिक्र है कि इसके पहले सितंबर, 2022 में एनजीटी ने अनुपचारित सीवेज और ठोस अपशिष्ट के निर्वहन को रोकने में विफलता के लिए पंजाब सरकार पर कुल 2180 करोड़ रुपए का मुआवजा लगाया था। पंजाब सरकार ने अब तक केवल 100 करोड़ रुपए जमा किए हैं।

तल्ख टिप्पणी की आदेश में :

लिहाजा एनजीटी ने अपने ताजा आदेश में आगे कहा कि मुख्य सचिव 2080 करोड़ रुपए के रिंग-फेंस खाते के निर्माण के संबंध में 22 सितंबर, 2022 के ट्रिब्यूनल के आदेश का अनुपालन करने में भी विफल रहे हैं। इसलिए यह स्पष्ट है कि इस ट्रिब्यूनल का आदेश रद कर दिया गया। अवहेलना और अवज्ञा की गई, जो एनजीटी अधिनियम 2010 की धारा 26 के तहत अपराध है। जल अधिनियम, 1974 की धारा 24 के लगातार उल्लंघन और गैर-अनुपालन और जनादेश का उल्लंघन भी उक्त अधिनियम की धारा 43 के तहत एक अपराध है। जब अपराध सरकारी विभाग द्वारा होता है तो धारा 48 भी आकर्षित होती है। जो घोषित करती है कि विभागाध्यक्ष को अपराध का दोषी माना जाएगा। उसके विरुद्ध मुकदमा चलाया जाएगा और दंडित किया जाएगा।

एक महीने की मोहलत दी :

एनजीटी ने मुख्य सचिव, पंजाब राज्य और प्रधान सचिव/अतिरिक्त मुख्य सचिव, शहरी विकास को नोटिस जारी कर यह बताने को कहा है कि जल अधिनियम, 1974 की धारा 43 और 48 के साथ पढ़ी जाने वाली धारा 24 के तहत अपराध करने और गैर-अनुपालन के लिए मुकदमा क्यों ना चलाया जाए। एनजीटी अधिनियम, 2010 की धारा 26 के तहत ट्रिब्यूनल के आदेश को उचित फोरम में शुरू नहीं किया जाना चाहिए। एनजीटी ने जवाब दाखिल करने के लिए एक महीने की समयावधि प्रदान की। मामला अगली बार 27 सितंबर को सूचीबद्ध है। कुल मिलाकर पंजाब सरकार के सिर पर कानूनी-तलवार लटक गई है।

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