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भोपाल गैस त्रासदीः अब भय, आतंक और आशंका के साए में पीथमपुर

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पवन वर्मा-

वर्ष 2025 का आरंभ दुनिया भर में उमंग, उत्साह और धूमधड़ाके के साथ किया गया लेकिन मध्यप्रदेश की व्यवसायिक नगरी इंदौर से सटे औद्योगिक नगर पीथमपुर में नए वर्ष का आगमन भय, आतंक और आशंका के साए में हुआ। नए साल में पीथमपुर के लोगों को भोपाल में चालीस साल पहले हुई भीषणतम दुर्घटना की याद आई और पूरा शहर एक अनजाने भय की आशंका के साए में घिर गया। दरअसल बीते वर्ष के अंतिम दिनों में मध्यप्रदेश सरकार ने भोपाल की यूनियन कार्बाइड फैक्ट्री का मलबा पीथमपुर में निष्पादित करने की प्रक्रिया तेज कर दी। सरल अर्थो में कहें तो भोपाल में 1984 में हुई गैस त्रासदी का विषाक्त कचरा पीथमपुर में जलाया जाना है। जिसे लेकर यहां के लोग भारी दहशत में हैं। प्रदेश सरकार ने जब यह कचरा भोपाल से भारी सुरक्षा में लाकर पीथमपुर पहुंचाया तो पीथमपुर वासियों में भोपाल गैस त्रासदी जैसी दुर्घटना की आशंका ने भय और आतंक फैला दिया। इसके परिणाम स्वरूप यहां पर हुए विरोध प्रदर्शन में दो व्यक्तियों ने स्वयं को आग से झुलसा लिया और पुलिस के लाठीचार्ज से कई लोग घायल भी हो गए। अब मध्यप्रदेश में इस पूरे मामले को लेकर राजनीति भी गरमा गई हैैं । भाजपा और प्रदेश सरकार जहां कांग्रेस पर आरोप लगा रही है, वहीं कांग्रेस प्रदेश की मोहन यादव सरकार पर आरोपों की बौछार कर रही है।
मध्यप्रदेश की व्यापारिक एवं व्यवसायिक राजधानी और शिक्षा का केंद्र माने जाने वाले इंदौर से महज चंद किलोमीटर की दूरी पर पीथमपुर कस्बा है। पीथमपुर मध्य प्रदेश की बड़ी औद्योगिक और प्रमुख नगरी है। यहां पर दो हजार से भी अधिक कारखाने स्थापित है। प्रदेश की अर्थव्यवस्था को चलाने में इस कस्बे का बड़ा महत्वपूर्ण योगदान है। आमतौर पर शांतिपूर्ण मानी जाने वाली इस औद्योगिक नगरी में देश के अलग-अलग हिस्सों से आए लोग भी रहते हैं। लगभग ढाई से तीन लाख लोग यहां पर काम करते हैं। जिनमें से कई अपने परिवार के साथ यहां रहते हैं।
दिसंबर में मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने मध्य प्रदेश सरकार को फटकार लगाई थी। जिसमें कोर्ट ने फैक्ट्री से कचरा नहीं हटाए जाने पर सवाल उठाए थे। कोर्ट ने सरकार से पूछा था कि लगातार निर्देश दिए जाने के बाद भी कचरे का निपटारा क्यों नहीं किया जा रहा है। हाईकोर्ट की फटकार के बाद प्रदेश सरकार ने साल के आखिरी दिन यहां से कचरा उठाना शुरू किया। इस दौरान प्रोटोकॉल ऐसा जारी किया कि यूनियन कार्बाइड के आसपास रहने वाले लोग भी दहशत में आ गए। कचरा जब कंटेनर ट्रकों में लोड किया जा रहा था तब यहां पर तीन जगह मशीनें लगाई गई जो यह जानने का काम कर रही थी कि कचरे से गैस कितनी फैल रही है। कर्मचारियों को पीपीई किट पहनाई गई। भारी पुलिस बल और पूरा जिला प्रशासन यहां पर मौजूद था ताकि परिंदा भी इस परिसर में पर नहीं मार सके। इसके बाद दो जनवरी को भारी सुरक्षा और ग्रीन कॉरिडोर बनाकर भोपाल से 250 किलोमीटर दूर पीथमपुर कचरे को भेजा गया। सरकार के इतने तामझाम ने पीथमपुर के लोगों के बीच में कचरे को लेकर आशंका और भय का महौल बना दिया।
*गरमाती राजनीति, पक्ष-विपक्ष के आरोप*
इधर सरकार ने यूनियन कार्बाइड के कचरे को तो समेट कर पीथमपुर भेज दिया, लेकिन पीथमपुर के लोगों से बातचीत कर उन्हें समझाने का कोई प्रयास नहीं हुआ। नतीजे में मध्य प्रदेश में राजनीति गरमा गई। सबसे पहले इस मामले में प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी ने सरकार को घेरा, उन्होंने यूनियन कार्बाइड का कचरा उठाने को लेकर सरकार पर यह आरोप लगा दिया कि पीथमपुर कचरा पहुंचाकर सरकार यह जमीन भूमाफियों को देना चाहती है। आनन-फानन में सरकार ने यहां से कचरा उठवाया और पीथमपुर में किसी को पता नहीं चलने दिया कि कचरा यहां पर आ रहा है। पटवारी ने दावा किया कि रामकी कंपनी ने पहले भी यहां कचरे का निष्पादन किया था। जहां कचरे के निष्पादन से पहले दस किलोमीटर की जमीन पर पांच क्विंटल फसल होती थी, जो अब महज एक क्विंटल हो रही है। आसपास के गांव के लोग कैंसर और अन्य शारीरिक समस्याओं से ग्रसित हो रहे हैैं। पीने का पानी पीने योग्य नहीं हैै। पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ सरकार को सलाह दे रहे हैं कि इस मामले पर सरकार को अत्यंत संवदेनशील होना चाहिए। इसलिए सभी पक्षों को विश्वास में लेकर ही इस पर आगे कोई कदम बढाना चाहिए। इंदौर और पीथमपुर में सामाजिक कार्यकर्ता, नागरिक तथा कांग्रेस एवं भारतीय जनता पार्टी के नेता इस कार्यवाही का विरोध कर रहे हैं।
*कांग्रेस को इस विषय पर राजनीति नहीं करना चाहिए-मुख्यमंत्री*
इधर मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा कि कोर्ट के आदेश पर वैज्ञानिक मार्गदर्शन में तय हुई प्रक्रिया के आधार पर ही कचरे का निष्पादन हो रहा है। भोपाल के लोग 40 वर्षों से इसी कचरे के साथ रहते आए हैं इसलिए कांग्रेस या जो लोग इस प्रक्रिया का विरोध कर रहे हैं उन्हें इस विषय पर राजनीति नहीं करनी चाहिए। मोहन यादव ने यह भी कहा कि वैज्ञानिकों के अनुसार 25 वर्ष में इसका असर समाप्त हो जाता है। घटना को 40 वर्ष हो चुके हैं, इसलिए कचरे के निष्पादन को लेकर जो आशंकाएं जताई जा रही है वह स्वतः समाप्त हो जाती हैैैं।
*कचरा पहुंचने से उग्र हुआ पीथमपुर*
पीथमपुरा में कचरा पहुंचते ही यहां के लोग सड़कों पर उतर आए। लोगों का कहना था कि यहां पर इस कचरे का निष्पादन उनके लिए खतरा बना सकता है। इसलिए इस कचरे को वापस ले जाया जाए,इस मांग के साथ ही यहां पर विरोध तेज हो गया। दो लोगों ने आत्मदाह का प्रयास किया। लोग रामकी कंपनी की ओर कूच करने का प्रयास कर रहे थे, जिन्हें पुलिस ने रोकने की कोशिश की। लोगों ने यहां पर पथराव कर दिया। लोगों को खदेड़ने के लिए पुलिस को लाठीचार्ज करना पडा और आंसू गैस के गोले छोड़ने पड़े जिसमें कई लोग घायल हो गए।
*सरकार का यू टर्न*
इधर पीथमपुर में बढते विरोध को देखते हुए डॉ. मोहन यादव की सरकार को यू टर्न लेना पडा। तीन जनवरी की रात में मुख्यमंत्री ने आनन-फानन में बैठक बुलाई। इस बैठक में उपमुख्यमंत्री राजेंद्र शुक्ल, जगदीश देवड़ा और अफसरों के साथ ही मध्यप्रदेश भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष विष्णुदत्त शर्मा भी मौजूद थे। जिसमें तय हुआ कि सरकार कचरे के निष्पादन के लिए कोर्ट से और समय मांगेगी। वहीं यह भी तय किया गया कि भाजपा प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा कचरा निस्तारण के संबंध में पार्टी नेताओं से बात कर उन्हें विश्वास में लेंगे, ताकि पार्टी की तरफ से इसका विरोध न हो। वहीं अतिरिक्त मुख्य सचिव राजेश राजौरा पीथमपुर जाकर लोगों से बात कर उन्हें समझाने का प्रयास करेंगे।
*भोपाल की वो काली रात*
2-3 दिसंबर 1984 की वो काली रात आज भी कई लोगों की आंखों में समाई हुई है। जब डाउ केमिकल की यूनियन कार्बाइड से गैस रिसी और एक ही रात में हजारों की जान को यह हादसा लील गया। हादसे का शिकार हुए लोग कई दिनों तक जिंदगी और मौत से लडते रहे। यह दंश शारीरिक रूप हजारों लोग आज भी झेल रहे हैं। इस हादसे में भोपाल में मेथिल आइसोसाइनेट गैस का रिसाव हुआ था, यह गैस फेफड़ों में पहुंचने पर वहां पर सूजन और पानी जमा होने की स्थिति शरीर में पैदा कर देती है। रात में जब गैस का रिसाव हुआ तब शहर के अधिकांश लोग गहरी नींद में सो रहे थे, जबकि कुछ को घुटन महसूस हुई और वे कड़कड़ाती ठंड में घर से निकल कर बाहर सड़कों पर आ गए। यूनियन काबाईड प्लांट के आसपास भगदड़ मच गई थी। सुबह जब हुई तब तक आसपास के पांच किलोमीटर से ज्यादा क्षेत्र के हजारों लोगों की मौत हो चुकी थी। यहां के हमीदिया अस्पताल में लाशें बिछी हुई थी। उस वक्त तत्कालीन मुख्यमंत्री अर्जुन सिंह पर यह भी आरोप लगे थे कि उन्होंने भोपाल से डाउ केमिकल एवं यूनियन कार्बाइड के मालिक एंडरसन को रातों-रात भोपाल से बाहर जाने की व्यवस्था करवाई थी।
गैस त्रासदी के समय भोपाल में मौजूद लोगों की आपबीती सुनकर और उनकी स्थिति देखकर पीथमपुर वासियों का चिंतित होना स्वाभाविक भी है। यही चिंता उन्हें भय, आतंक और आशंका के साए में जीने के लिए मजबूर भी कर रही है।

 

(विनायक फीचर्स)

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