सूरजकुंड मेले में पर्यटकों को लुभा रही ‘भील आर्ट’ कला

👇खबर सुनने के लिए प्ले बटन दबाएं

Listen to this article

मेला में हर पर्यटक के दिल पर अमिट छाप छोड़ रहा

पद्मश्री कलाकार भूरी बाई की प्रेरणादायक लोक कला का जीवंत प्रदर्शन

चंडीगढ़, 22 फरवरी- फरीदाबाद में 38वें सूरजकुंड अंतरराष्ट्रीय शिल्प मेले में थीम स्टेट मध्यप्रदेश की पैवेलियन में स्टाल संख्या 1175 पर भील कला की झलक हर पर्यटक पर कला की अमिट छाप छोड़ रही है। यह स्टाल हर मेला विजिटर के लिए विशेष आकर्षण का केंद्र बना हुआ है। भोपाल के कलाकार अनिल बारिया द्वारा संचालित इस स्टॉल पर पद्मश्री सम्मानित कलाकार भूरी बाई की प्रेरणादायक लोक कला का जीवंत प्रदर्शन किया जा रहा है।

भील समुदाय की पारंपरिक चित्रकला, जिसे भील आर्ट कहा जाता है, अद्वितीय रंगों, बिंदुओं और आकृतियों के संयोजन से जीवंत हो उठती है। यही कला अनिल बारिया के स्टॉल पर अपने पूरे वैभव के साथ प्रस्तुत की जा रही है। पद्मश्री अवार्ड से सम्मानित भूरी बाई ने अपनी प्रतिभा और मेहनत के बल पर इस कला को राष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाई। इसके अलावा उन्हें सिकार सम्मान, देवी अहिल्या पुरस्कार, और रानी दुर्गावती पुरस्कार से भी नवाजा जा चुका है। उनके पुत्र अनिल बारिया, इस विरासत को आगे बढ़ाने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। सूरजकुंड मेले में यह स्टॉल न केवल कला प्रेमियों बल्कि शोधकर्ताओं और इतिहासकारों के लिए भी एक अद्भुत अनुभव लेकर आया है। यहाँ आने वाले दर्शक न केवल भील पेंटिंग्स को देख और खरीद सकते हैं, बल्कि इस कला के बारे में गहराई से समझ भी सकते हैं।

कलाकार अनिल बारिया कहते हैं कि हरियाणा के मुख्यमंत्री श्री नायब सिंह सैनी के कुशल नेतृत्व में कलाकारों, बुनकरों और शिल्पकारों को सूरजकुंड मेला के रूप में बेहतरीन मंच प्रदान किया जा रहा है। इसके लिए वे मुख्यमंत्री श्री नायब सिंह सैनी और विरासत एवं पर्यटन मंत्री डॉ अरविंद कुमार शर्मा का आभार प्रकट करते है। सूरजकुंड मेला भारतीय लोक कला को वैश्विक मंच प्रदान करता है, और ऐसे में भूरी बाई और अनिल बारिया जैसे कलाकारों की भागीदारी इस पहल को और मजबूती मिल रही है। यह स्टॉल न केवल लोक कलाकारों के लिए आजीविका का स्रोत है, बल्कि पारंपरिक कला को संरक्षित और प्रचारित करने का भी एक सशक्त माध्यम है।

Leave a Comment