पंजाब में बाढ़ को लेकर भाखड़ा-ब्यास मैनेजमेंट बोर्ड ने दिया स्पष्टीकरण

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बीबीएमबी के चेयरमैन त्रिपाठी का तर्क, इस बार सभी डैम में 20% ज्यादा पानी, डैम ना होते तो जून से ही आ जाती बाढ़

चंडीगढ़, 5 सितंबर। मानसूनी कहर से पंजाब के सभी 23 जिलों में करीब 3.75 लाख लोग बाढ़ से प्रभावित हुए। ऐसे में भाखड़ा-ब्यास मैनेजमेंट बोर्ड के चेयरमैन मनोज त्रिपाठी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर इस मुद्दे पर स्पष्टीकरण दिया।
उन्होंने कहा कि इस बार सभी डैमों में 2023 के मुकाबले 20% ज्यादा पानी आया है, जिस वजह से बाढ़ की स्थिति बनी। डैम से पानी छोड़ने का फैसला सभी राज्यों की सहमति से लिया जाता है। अगर भाखड़ा और पौंग डैम नहीं बने होते तो पंजाब में जून से ही बाढ़ आ जाती। उन्होंने कहा कि हाल के दिनों में भाखड़ा में जल प्रवाह थोड़ा कम हुआ है, जिससे दबाव कम करने में मदद मिली है। हालांकि पौंग डैम में अभी भी एक लाख क्यूसेक से अधिक जल प्रवाह जारी है।
त्रिपाठी ने कहा कि राहत की बात यह है कि आने वाले चार-पांच दिनों तक मौसम साफ रहने की संभावना है, जिससे चिंता की कोई बड़ी बात नहीं है। पहले डैम के लिए रिजर्व वायर संबंधी नियम नहीं था। मगर, 2023 में रूल सेंटर कमीशन वाटर ने बनाया था। यह डेटा मौसम विभाग और बीबीएमबी की ओर से मुहैया करवाया जाता है। पंजाब-हरियाणा जल बंटवारे के विवाद पर उन्होंने कहा कि यह नहीं कह सकते कि वास्तव में बाढ़ हरियाणा को पानी नहीं देने के कारण आई, क्योंकि हरियाणा ने जितना पानी मांगा था, वह बहुत कम था।
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