त्योहारी सीजन में जब लाखों लोग Amazon, Flipkart और अन्य ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म्स पर शानदार ऑफर्स की तलाश में जुटे थे , उसी बीच केंद्र सरकार ने उपभोक्ताओं को नई ऑनलाइन धोखाधड़ी से आगाह किया है। सरकार ने ‘ड्रिप प्राइसिंग’ नामक चालाकी भरी तकनीक पर चेतावनी जारी की है, जिसके तहत ऑनलाइन शॉपिंग प्लेटफॉर्म्स खरीदारी के अंतिम चरण में छिपे हुए शुल्क वसूलते हैं।
ड्रिप प्राइसिंग क्या है?
ड्रिप प्राइसिंग एक मार्केटिंग रणनीति है, जिसमें किसी प्रोडक्ट की पूरी कीमत शुरुआत में नहीं दिखाई जाती। यूजर जब पेमेंट पेज तक पहुँचता है, तब धीरे-धीरे उसमें ‘हैंडलिंग फीस’, ‘प्लेटफॉर्म चार्ज’ या ‘सर्विस टैक्स’ जैसे अतिरिक्त शुल्क जोड़ दिए जाते हैं। उदाहरण के तौर पर, यदि किसी स्मार्टवॉच की कीमत 4,000 रुपये दिखाई जाती है, तो पेमेंट के समय बिल 4,200 रुपये तक बढ़ जाता है।
सरकार ने क्यों दी चेतावनी?
उपभोक्ता मंत्रालय ने इसे ‘डार्क पैटर्न’ बताया है। इस तकनीक का उद्देश्य उपभोक्ताओं को अधूरी जानकारी के आधार पर खरीदारी के लिए प्रेरित करना है। सरकार का कहना है कि इससे पारदर्शिता और निष्पक्ष व्यापार व्यवस्था प्रभावित होती है।
ड्रिप प्राइसिंग को पहचानना मुश्किल नहीं है। अगर पेमेंट पेज पर कीमत अचानक बढ़ जाए, कोई अनिवार्य चार्ज हटाया न जा सके या टैक्स और सर्विस फीस आखिरी चरण में दिखाई दें, तो समझ लें कि प्लेटफॉर्म ड्रिप प्राइसिंग का उपयोग कर रहा है।
ग्राहकों को चाहिए कि ऑर्डर कन्फर्म करने से पहले अंतिम कीमत जरूर जांचें, विभिन्न वेबसाइट्स पर दाम की तुलना करें और ‘हैंडलिंग’ या ‘सर्विस चार्ज’ जैसे शब्दों पर ध्यान दें। ऐसे मामलों में शिकायत राष्ट्रीय उपभोक्ता हेल्पलाइन 1915 या consumerhelpline.gov.in पर दर्ज कराई जा सकती है।
सरकार का यह कदम ऑनलाइन मार्केट में पारदर्शिता और उपभोक्ता हितों की सुरक्षा सुनिश्चित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण प्रयास माना जा रहा है।





