कारोबारी से डिजिटल हस्ताक्षर के जरिए 3.15 करोड़ नहीं बल्कि 11 करोड़ की हुई ठगी
लुधियाना 9 अगस्त। अगर आप के सीए (चार्टेड अकाउंटेंट) के पास भी आपके दस्तावेज व डिजिटल हस्ताक्षर हैं या कोई सीए आप को जानता है, तो आप उससे सावधान हो जाएं। क्योंकि कुछ नहीं पता कि कब कौन सा गलत सीए आपके साथ ठगी कर जाए। क्योंकि सीए का ऐसा कार्य, जिसे हर तकनीकी दांव पेंच पता है। जिसके चलते अगर आप किसी का शिकार हुए तो बचना मुश्किल हो जाएगा। ऐसा ही एक मामला लुधियाना का सामने आया है। जहां पर चंडीगढ़ रोड स्थित नोबल स्टील प्राइवेट लिमिटेड के मालिक आशू जैन और उसकी पत्नी सोनिया जैन ने अपने सीए अभिनव खन्ना के साथ मिलकर लुधियाना के कारोबारी मुकेश कुमार की पहले कंपनी खुलवाई। जिसके जरिए उसके जरुरी दस्तावेज व डिजिटल हस्ताक्षर ले लिए। फिर उसे नोबल स्टील प्राइवेट लिमिटेड का दस्तावेजों डायरेक्टर बना कई बैकों से करोड़ों रुपए का लोन ले लिया। यह खुलासा होने के बाद पुलिस ने मामला तो दर्ज कर लिया। लेकिन अब इसकी जांच के दौरान पीड़ित मुकेश कुमार को पता चला कि यह ठगी 3.15 करोड़ की नहीं बल्कि 11 करोड़ रुपए की है। क्योंकि आरोपियों द्वारा एक नहीं बल्कि कई बैंकों से लोन लिए थे। जिसमें इंडियन बैंक भी शामिल है। पीड़ित का आरोप है कि इस स्कैम में कई बैंक अधिकारी समेत कई बड़े चेहरे शामिल हैं। अगर मामले की जांच सही से हो तो कई चेहरे बेनकाब हो सकेगें।
सरेआम घूम रहे आरोपी, एक महीने से पुलिस बता रही फरार
पीड़ित मुकेश कुमार का आरोप है कि आरोपी आशू जैन, सोनिया जैन और अभिनव खन्ना सरेआम घूमते हैं। लेकिन पुलिस द्वारा उन्हें फरार बताया जा रहा है। पीड़ित के अनुसार थाना क्राइम विंग एसएएस नगर की पुलिस ने 11 जुलाई को यह मामला दर्ज किया था। लेकिन एक महीने बाद भी कोई एक्शन नहीं लिया गया। हालांकि हर बार पुलिस अधिकारी जल्द कार्रवाई करने की बात कहकर टाल देते हैं।
पुलिस एक महिला को बचाने का कर रही प्रयास
पीड़ित मुकेश कुमार ने कहा कि इस मामले में तीन आरोपियों के अलावा आरोपी आशू जैन की कंपनी नोबल स्टील प्राइवेट लिमिटेड की दूसरी सीए किरणप्रीत कौर भी इस स्कैम में शामिल है। जिस संबंधी बकायदा उन्होंने शिकायत की थी। लेकिन पुलिस द्वारा किरणप्रीत कौर को बचाने का प्रयास किया जा रहा है। चर्चा है कि किसी दबाव के चलते पुलिस द्वारा उसका बचाव किया जा रहा है। जिसके चलते उसे लगातार बचाने का प्रयास किया जा रहा है।
इंडियन बैंक के अधिकारियों की मिलीभगत से हुआ स्कैम
शिकायकतकर्ता मुकेश कुमार ने कहा कि यह लोन ज्यादातर इंडियन बैंक के जरिए हुए। जिसमें इंडियन बैंक के कई अधिकारी भी शामिल है। क्योंकि बिना सेटिंग के फर्जी दस्तावेजों पर और डिजिटल हस्ताक्षर के साथ करोड़ों का लोन पास नहीं हो सकता। जिससे जाहिर है कि कही न कही इस ठगी में बैंक के अधिकारी भी शामिल है। लेकिन अब पुलिस उन पर कोई एक्शन लेती है या नहीं, यह समय ही बताएगा।
यह है पूरा मामला
दरअसल, मुकेश कुमार द्वारा पार्टनर सुभाष जोशी के साथ मिलकर एक ओजियन लोजीस्टिक इंडिया प्राइवेट लिमिटेड कंपनी खोलनी थी। उनकी मुलाकात अभिनव खन्ना से हुई। जिसे बताया कि वे कंपनियां खुलवाने में माहिर है। उसने उनके डिजिटल हस्ताक्षर व जरुरी दस्तावेज लेकर कंपनी खुलवा दी। कुछ समय बाद मुकेश कुमार ने कंपनी बंद कर दी। अभिनव ने डिजिटल हस्ताक्षर की चाबी भी अपने पास रख ली। बाद में पता चला कि अभिनव आरोपी आशू जैन की कंपनी नोबल स्टील कंपनी का सीए है। जिन्होंने मिलकर डिजिटल हस्ताक्षर इस्तेमाल कर मुकेश को अपनी कंपनी का डायरेक्टर बता पहले करोड़ों के लोन ले लिए। फिर उसे दस्तावेजों में ही कंपनी से बाहर निकाल दिया।