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होशियार ! अगर हिमाचल जा रहे हैं तो रुक जाइए शिमला समेत कई जगह लैंड-स्लाइडिंग से तबाही

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चट्‌टानें गिरने से कई वाहन कुचले, रास्ते हो गए बंद चार जुलाई तक कुछ जगह होगी मूसलाधार बारिश

चंडीगढ़ 28 जुलाई। कुदरती कहर के चलते हिमाचल प्रदेश में भारी तबाही हो गई। मानसून की पहली ही बारिश से शिमला और आसपास कई जगह लैंड-स्लाइडिंग से रास्ते बंद हो गए और मलबे में वाहन दब गए। जबकि पहाड़ों से चट्टानें टूटकर वाहनों पर गिरने से कई वाहन कुचल गए। जानकारी के मुताबिक शिमला के साथ ही मल्याणा, चमियाना, भट्ठा कुफर, मिनी कुफ्ताधार सहित अन्य स्थानों पर भारी नुकसान हुआ। चमियाना में नाले के पास खड़ी तीन गाड़ियां मलबे में दब गईं। वहीं मल्याणा में पहाड़ी से बड़ी-बड़ी चट्टानें सड़क किनारे पार्क चार गाड़ियों पर गिर गईं। इससे दो गाड़ियां चकनाचूर हो गईं। भट्टा कुफर में भूस्खलन से सड़क किनारे पार्क एक कार पूरी तरह क्षतिग्रस्त हो गई। मिनी कुफ्ताधार का रास्ता मलबा आने से नाले में तब्दील हो गया।

बताते हैं कि शहर की ईदगाह कॉलोनी में भी नुकसान हुआ है। यहां डंगा गिरने से रास्ता बंद हो गया है। पगोग सड़क पर आए पत्थरों और मलबे के गिरने की वजह से आवाजाही प्रभावित रही। वहीं, जुन्गा रोड पर बारिश का पानी घरों में घुस गया। खलीनी में भी भूस्खलन हुआ है।

शुक्र यह रहा कि यह कुदरती आपदा वीरवार को रात के वक्त आई। उस समय सड़कों पर अकसर ट्रैफिक कम रहता है। कुनिहार-नालागढ़ मार्ग वीरवार देर रात भारी बारिश से बंद हो गया। एक बार फिर से गंबर पुल के पास काफी मात्रा में मलबा आया है।

जिससे गुंबर पुल को भी खतरा पैदा हो गया है। तीन दिन पहले यहीं पर बादल फटने से काफी नुकसान हुआ था। फिलहाल लोक निर्माण विभाग की टीम मौके पर पहुंच गई हैं। सड़क खोलने का काम जारी है। मौसम विज्ञान केंद्र शिमला की ओर से प्रदेश के कई भागों में शुक्रवार से लगातार सात दिन तक भारी बारिश का येलो अलर्ट जारी किया गया है। साथ ही अंधड़ चलने का अलर्ट है।

मौसम विभाग के अनुसार अगले दो दिनों के दौरान हिमाचल प्रदेश के शेष भागों में दक्षिण-पश्चिम मानसून के आगे बढ़ने के लिए परिस्थितियां अनुकूल हैं। चार जुलाई तक बारिश का सिलसिला लगातार जारी रहने की आशंका है। अगले 72 घंटों में बिलासपुर, चंबा, कांगड़ा, कुल्लू, मंडी, शिमला, सिरमौर, सोलन में एक-दो स्थानों पर गरज साथ भारी बारिश की संभावना है। एक-दो स्थानों पर बहुत भारी बारिश की आशंका बनी है।

सीएम सुक्खू ने खुद संभाला मोर्चा : हालात इतने संगीन हैं कि खुद मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने मोर्चा संभाल लिया है। तबाही का जायजा लेने के बाद उन्होंने कहा कि बरसात के मौसम में नदी-नालों के नजदीक न जाएं। दरअसल बादल फटने या भारी बारिश से अचानक जलस्तर बढ़ जाता है। ऐसे में जान-माल का बड़ा नुकसान होता है। एचआरटीसी चालकों को भी सतर्क रहने के निर्देश दिए हैं।

पिछले मानसून में भी मची थी तबाही : गौरतलब है कि साल 2023 के दौरान भी मानसूनी-बारिश ने कहर बरपाया था। प्रदेश में पहली बार सामान्य से 24 फीसदी अधिक बारिश होने से बाढ़ और बादल फटने की घटनाएं हुई थीं। करीब 500 लोगों की मौत हो गई थी। जबकि 15 हजार लोग बेघर हुए थे। इस दौरान प्रदेश में 12 हजार करोड़ रुपये से अधिक की संपत्ति का नुकसान हुआ था।

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