अमृतसर साहित्य उत्सव में बलजिन्दर मान ने पंजाबी के महत्व पर दिया जोर

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अमृतसर में जारी पाँच दिवसीय साहित्य उत्सव और पुस्तक मेले में माहिलपुर के शिरोमणि बाल साहित्य लेखक तथा इंडिया बुक ऑफ़ रिकॉर्ड्स में दर्ज एकमात्र पंजाबी बाल पत्रिका निक्कियां करूंबलां के संपादक बलजिंदर मान ने अपने विचारों से सभी को प्रभावित किया। उनके सारगर्भित संबोधन ने होशियारपुर ज़िले का गौरव बढ़ाया।

बाल साहित्य की आवश्यकता पर जोर

खालसा कॉलेज अमृतसर में प्रिंसीपल डॉ. आत्म सिंह रंधावा और पंजाबी अध्ययन विभाग के प्रमुख डॉ. परमिंदर सिंह की अध्यक्षता में आयोजित ‘करूंबलां सत्र’ के दौरान बलजिंदर मान ने कहा कि बाल साहित्य पढ़ने वाले छात्र बेहतर नागरिक बनते हैं। उन्होंने माता–पिता और शिक्षकों से आग्रह किया कि बच्चों को उनकी आयु के अनुरूप किताबें और बाल पत्रिकाएँ उपलब्ध कराई जाएं।
उन्होंने सरकार से मांग की कि सभी स्कूलों में पंजाबी भाषा में प्रकाशित पत्रिकाओं की उपलब्धता अनिवार्य की जाए।

पंजाबी भाषा की वैश्विक उपस्थिति

मान ने बताया कि विश्व की 7,000 भाषाओं में पंजाबी 11वें स्थान पर है और 133 देशों में बोली जा रही है। इसके बावजूद पंजाब में पंजाबी पढ़ने वालों की संख्या घट रही है। उन्होंने कहा कि मातृभाषा को मजबूत बनाने के लिए इसे रोज़गार, व्यापार और न्याय से जोड़ना होगा।

साहित्यकारों को किया गया सम्मान

कार्यक्रम में वरिष्ठ कलाकार कमलजीत नीलों ने अपनी प्रसिद्ध रचना से दर्शकों को मंत्रमुग्ध किया। इस अवसर पर कमलजीत नीलों, बलजिंदर मान, डॉ. इंद्रप्रीत धामी और गुरप्रीत सिंह मिंटू को सम्मानित किया गया।
130 प्रकाशकों की प्रदर्शनी में पुस्तक प्रेमियों ने रुचि अनुसार किताबें खरीदीं। समारोह में बड़ी संख्या में विद्यार्थी, साहित्यकार और स्थानीय लोग उपस्थित रहे।

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