सोनीपत 01 April : जिला के लिवासपुर गांव, जो सन 1857 की क्रांति के बलिदानी शहीद चौधरी उदमीराम नंबरदार के गांव के रूप में जाना जाता है, आज भी मूलभूत समस्याओं से जूझ रहा है। नगर निगम के वार्ड-7 में शामिल होने के लगभग साढ़े नौ साल बाद भी गांव में आवश्यक बुनियादी सुविधाओं का अभाव है। पानी निकासी, सीवर व्यवस्था, सफाई और प्रदूषण जैसी समस्याएँ ग्रामीणों के लिए गंभीर चिंता का विषय बनी हुई हैं।
गांव में पानी की निकासी की कोई उचित व्यवस्था नहीं है, जिससे बारिश के दौरान खाली ज़मीन पर पानी भर जाता है। इसके अलावा, सीवर लाइन का अभाव होने के कारण आसपास के खेतों और खाली ज़मीन में पानी भर जाता है, जिससे फसलें खराब हो रही हैं। कई किसानों की ज़मीन अब खेती के लायक नहीं रही। इसके अलावा, लिवासपुर के पास स्थित फैक्ट्रियों से निकलने वाला प्रदूषण भी ग्रामीणों के लिए समस्या बन चुका है। फैक्ट्रियों से निकलने वाला धुआं और रासायनिक पानी न केवल पर्यावरण को नुकसान पहुँचा रहे हैं, बल्कि गांव के लोगों की सेहत पर भी बुरा असर डाल रहे हैं।
गांव के कचरे का उठान भी एक बड़ी समस्या है। शहीद उदमीराम द्वार के पास कचरे के ढेर लगे हुए हैं, और ग्रामीणों की कई बार शिकायत के बावजूद कचरे का उठान नहीं हो रहा है। इससे बदबू फैल रही है और लोग परेशान हैं।
इतिहास में लिवासपुर गांव का महत्वपूर्ण स्थान है, क्योंकि इस गांव के 22 क्रांतिकारी युवाओं ने अंग्रेजों के खिलाफ आवाज उठाई थी और गांव के नंबरदार चौधरी उदमीराम ने अंग्रेज अधिकारियों को मौत की नींद सुला दी थी। इसके बाद अंग्रेजों ने इस गांव को उजाड़ दिया और यहां के शहीदों को शहादत दी थी। पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने अपने शासनकाल में इस गांव को आदर्श गांव बनाने की योजना बनाई थी, लेकिन अब तक वास्तविकता इसके उलट है।
गांव के लोग निराश हैं कि चुनावों के दौरान नेता यहां आते हैं, लेकिन बाद में गांव की समस्याओं को भूल जाते हैं।
ग्रामीणों की मांग है कि प्रशासन जल्द से जल्द गांव की समस्याओं का समाधान करे ताकि शहीद चौधरी उदमीराम के बलिदान का सही सम्मान हो सके और गांव के लोग बेहतर जीवन जी सकें।