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संकट में बाबा रामदेव : पतंजलि की दिव्य फार्मेसी पर गिरी कानूनी-गाज, 14 उत्पादों पर लगा प्रतिबंध, लाइसेंस सस्पेंड

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उत्तराखंड की लाइसेंसिंग आथोरिटी ने सुप्रीम कोर्ट में
हलफनामा दाखिल कर स्टेट्स रिपोर्ट में दिया है ब्योरा

नई दिल्ली 30 अप्रैल। पतंजलि की दिव्य फार्मेसी से जुड़े भ्रामक विज्ञापन के सिलसिले में जारी कानूनी-कार्रवाई के बीच अहम जानकारी सामने आई है। बाबा रामदेव की इस दवा कंपनी के दर्जन भर से ज्यादा उत्पादों पर प्रतिबंध लग चुका है। जानकारी के मुताबिक उत्तराखंड की लाइसेंसिंग अथॉरिटी ने सुप्रीम कोर्ट में दाखिल हलफनामे में इसका ब्योरा पेश किया है। हलफनामे में अथॉरिटी के अनुसार पतंजलि के कुल 14 उत्पादों का लाइसेंस तत्काल प्रभाव से सस्पेंड किया जा चुका है।
इन उत्पादों पर लगाया बैन : गौरतलब है कि लाइसेंसिंग आथोरिटी ने कार्रवाई के तहत दिव्य फार्मेसी के प्रोडक्ट्स श्वासारि गोल्ड, श्वासारि वटी, दिव्य ब्रोंकोम, श्वासारि प्रवाही, श्वासारि अवलेह, मुक्ता वटी एक्स्ट्रा पावर, लिपिडोम, बीपी ग्रिट,मधुग्रिट, मधुनाशिनी वटी एक्स्ट्रा पावर, लिवामृत एडवांस, लिवोग्रिट, आईग्रिट गोल्ड और पतंजलि दृष्टि आई ड्रॉप शामिल हैं।


सुप्रीम कोर्ट ने की थी खिंचाई : यहां बता दें कि इस मामले में 23 अप्रैल को सर्वोच्च अदालत में पिछली सुनवाई हुई थी। उस दौरान, सुप्रीम कोर्ट ने समाचार पत्रों में अपनी माफी को ‘प्रमुखता से’ प्रदर्शित नहीं करने के लिए पतंजलि की खिंचाई की थी। अदालत ने तो यहां तक मालूम कर लिया था कि क्या पतंजलि द्वारा अखबारों में दी गई माफी का आकार उसके उत्पादों के लिए पूरे पेज के विज्ञापन के साइज वाला ही था। जवाब में पतंजलि की ओर से बताया गया था कि उसने 67 अखबारों में माफीनामा प्रकाशित किया है। साथ ही कहा था कि कंपनी अदालत का पूरा सम्मान करती है और अपनी गलतियों को नहीं दोहराया जाएगा। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद पतंजलि ने अखबारों में एक और माफीनामा प्रकाशित कराया था। जो पिछले माफीनामे से भी बड़ा था।
पहले भी मांगी थी माफी : यहां यह भी बता दें कि इसी मामले में बाबा रामदेव और बालकृष्ण ने महामारी के दौरान कोरोनिल जैसे अपने उत्पादों की दक्षता के बारे में उच्च दावे किए थे। यह दावे करते हुए पतंजलि की दिव्य फार्मेसी द्वारा जारी विज्ञापनों पर शीर्ष अदालत के समक्ष ‘बिना शर्त और अयोग्य माफी’ मांगी थी।
ऐसे उठा था मामला : यहां गौरतलब है कि सर्वोच्च अदालत ने नवंबर, 2023 में इस मामले में संज्ञान लिया था। दरअसल इंडियन मेडिकल एसोसिएशन द्वारा दायर याचिका की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने पतंजलि को अपने उत्पादों के विज्ञापनों को रोकने का निर्देश दिया था। जिसमें उन्होंने ड्रग्स एंड मैजिक रेमेडीज (आपत्तिजनक विज्ञापन) अधिनियम, 1954 में निर्दिष्ट बीमारियों और विकारों का इलाज करने का दावा किया था। इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने आधुनिक चिकित्सा की आलोचना करने पर रामदेव के खिलाफ कार्रवाई की मांग रखी थी।

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