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आयुष्मान भारत योजना : पंजाब में निजी अस्पतालों ने दोटूक कहा, बकाया भुगतान मिले बिना अब नहीं कर सकेंगे इलाज

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एमएमए पंजाब की याचिका पर हाईकोर्ट ने सुनवाई कर पंजाब सरकार, सेहत महकमे से ब्योरा कर लिया तलब

लुधियाना 29 सितंबर। जनहित वाली केंद्रीय योजनाओं को लेकर केंद्र और राज्य की सरकारों के बीच लगातार खींचतान जारी है। पंजाब में आयुष्मान भारत योजना को लेकर तो गंभीर स्थिति बन चुकी है। इस स्वास्थ्य योजना के सूबे में शुरू होने के असर नजर नहीं आ रहे हैं।

दरअसल अपनी बकाया राशियों का भुगतान नहीं करने का इलजाम निजी अस्पतालों के प्रबंधक लगा चुके हैं। जानकारी के मुताबिक इस मामले में राज्य के निजी अस्पतालों के लंबित बकाया भुगतान नहीं किए जाने पर  पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने सख्त आदेश जारी किए हैं। अदालत ने राज्य के प्रमुख स्वास्थ्य सचिव कुमार राहुल, चीफ एग्जिक्युटिव अफसर श्रीमती बबीता, डायरेक्टर दीपक और स्टेट हेल्थ एजेंसी की डिप्टी डायरेक्टर शरणजीत कौर सहित चार शीर्ष अधिकारियों के वेतन अटैच का आदेश दिया है।

यहां गौरतलब है कि केंद्र सरकार इस योजना के लिए अपने तय हिस्से के दुरुपयोग का आरोप लगा चुकी है। इसके बाद हाईकोर्ट के जस्टिस विनोद एस.भारद्वाज की पीठ ने पंजाब सरकार से 30 दिसंबर, 2021 से लेकर 29 अप्रैल, 2024 तक आयुष्मान भारत योजना के तहत अस्पतालों को बिलों के भुगतान का ब्योरा मांगा है। साथ ही इसी अवधि में विभिन्न मामलों में सरकार द्वारा किए खर्चों की डिटेल भी मांगी है। जिनमें मुफ्त बिजली, आटा दाल स्कीम के अलावा मंत्रियों -विधायकों और क्लास वन अफसर के घरों के रिनोवेशन पर खर्चों, मंत्री-विधायकों व क्लास वन अफसरों के लिए नए वाहनों की खरीद और विज्ञापन खर्च आदि की डिटेल शपथपत्र के जरिए देने को कहा है।

बताते हैं कि अदालत ने यह सारी जानकारी इसलिए मांगी है ताकि पता चल सके कि केंद्र से आए फंड्स और ग्रांट्स का खर्च उसी उद्देश्य से किया गया या नहीं, जिसके लिए फंड्स भेजे गए थे। यह सारी जानकारी प्राइवेट हॉस्पिटल एंड नर्सिंग होम एसोसिएशन के प्रधान डॉ. विकास छाबड़ा, महासचिव डॉ. दिव्यांशु गुप्ता व वित्त सचिव डॉ. रविंदर सिंह बल ने सांझी की है। उनके मुताबिक हाईकोर्ट ने आईएमए पंजाब और अन्य की याचिका पर सुनवाई की है, जो साल 2022 से लंबित है। जिसमें आयुष्मान भारत योजना के तहत पंजीकृत अस्पतालों के बकाया क्लेम जारी करने की मांग की गई है। गौरतलब है कि इस योजना के तहत 60% राशि केंद्र और 40% राज्य सरकार द्वारा दी जाती है।

मामले की सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ताओं ने अदालत को बताया कि दिसंबर, 2022 तक 500 करोड़ की देनदारी सरकार ने स्वीकारी  है। जो अभी जारी होनी है और केवल 26 करोड़ जारी हुए हैं। दूसरी ओर केंद्र ने अदालत को बताया था कि 2023-24 तक उसका हिस्सा 355.48 करोड़ रुपये होगा, जिसे केंद्र ने राज्य सरकार को जारी कर दिया। राज्य की जिम्मेदारी है कि वह अपने अतिरिक्त 40% हिस्से के साथ इसे आगे बांटे, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। वहीं आईएमए पंजाब के पदाधिकारियों के मुताबिक उनके डेलीगेशन के साथ गत दिनों सूबे के स्वास्थ्य मंत्री ने मुलाकात की थी। तब उन्होंने कहा था कि पंजाब ने केंद्र सरकार से अपने हिस्से का 225 करोड़ रूपया लेना है, जो उन्हें नहीं मिला। जबकि अदालत में सही तस्वीर सामने आ रही है कि राज्य सरकार ने उनके पैसों का जानबूझकर भुगतान नहीं किया। इसलिए जब तक राज्य सरकार द्वारा उनके पेंडिंग बिलों का भुगतान नहीं किया जाता, आयुष्मान भारत योजना के तहत वह किसी मरीज का उपचार नहीं करेंगे।

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