मुझे आज अपने सूबे यानि मप्र के आम बजट पर लिखना था,लेकिन नींद खुली तो आलू,प्याज और टमाटर सामने खड़े थे । तीनों ने हाथ जोड़कर अनुनय-विनय की कि आज किसी दूसरे विषय पर लिखने के बजाय हम तीनों पर लिख दीजिये । हम तीनों इस देश की हरेक सब्जी मंडी के अमर –अकबर-ऍंथोनी हैं। हम मामूली लेखक [ यानि हमसे कोई भी पूछ सकता है की -‘आप किस खेत की मूली हैं ?]’ इसलिए हमने इन तीनों का आग्रह मान लिया ,और आज हमारा विषय ये तीनों कंद-मूल,फल हैं।
भारत में आलू-प्याज और टमाटर कहाँ से और कैसे आये ,इस बारे में आपको कोई ज्ञान दने वाला नहीं हूँ । ऐसा करना सियासत की तरह गड़े मुर्दे उखाड़ने जैसा होगा। हमारे लिए ये तीनों हमारे अपने हैं। इन तीनों के बिना भारत में पूरब से पश्चिम तक और उत्तर से दक्षिण तक किसी का भी काम नहीं चलता । जैसे राजनीति में एक समय में बिना लालू के काम नहीं चलता था वैसे ही रसोई में बिना आलू के काम नहीं चलत। लालू जी राजनीति से समय के साथ आउट हो गए लेकिन आलू जहाँ खड़ा था ,वही खड़ा है। उसकी कद्र और दाम लगातार घटे -बढ़ते रहते हैं। इस समय आलू हो या प्याज,प्याज हो या टमाटर हार भारतीय को रुला रहे हैं।
संसार में आलू मोहन -जोदड़ो की सभ्यता की तरह पुराना है । कोई 7 हजार साल से दुनिया में उगाया और खाया जा रहा है । हम भारतीय कृतज्ञ हैं पेरू वासियों के जिन्होंने ने इस नायब कंद को मरने नहीं दिया। आलू की पैदाइश के मामले में पेरू विश्व गुरु है। पूरी दुनिया आलू की दीवानी है। पूरी दुनिया में हर साल 315 मिलियन टन आलू पैदा किया जाता है और खाया जाता है। आज भारत में आलू 40 से 50 रूपये किलो के भाव से बिक रहा है । प्रेमचंद के उपन्यास के नायक यदि आज होते तो आलू भून कर खाने के बारे में सोच भी नहीं सकते थे। मेरा ख्याल है कि हमारी सरकार को आलू,टमाटर और प्याज के आसमान छोटे भावों को देखकर देश के उन 90 करोड़ लोगों को मुफ्त में ये शाक त्रयी मुहैया कराना चाहिए जो पांच किलो अन्न पर निर्भर हैं।
प्याज की बात कीजिये तो इसके बिना भी दुनिया में किसी का गुजरा नहीं होता । दुनिया के 170 देश हर साल 90 लाख हैक्टेयर में प्याज पैदा करते है। दुनिया में हर साल 74,250,809 मीट्रिक टन प्याज पैदा की जाती है और खाई जाती है। हमारे यहां प्याज साझा संस्कृति का प्रतीक है । इसे हिन्दू भी खाता है और मुसलमान भी ,लेकिन प्याज की खपत की असली वजह ये है की हमारे यहां नया मुल्ले [धर्म गुरु ] आम आदमी से कुछ ज्यादा प्याज खाते है। हमारे यहां प्याज खाई ही नहीं जाती ,अपने विरोधियों की प्याज छीली भी जाती है और काटी भी जाती है। अकेली प्याज ऐसी है जो सस्ती हो या मंहगी काटने वाले को रोने पर मजबूर जरूर करती ह। आजकल प्याज भी आलू की तरह 50 रूपये किलो के भाव से मुश्किल से मिल रही है।
घर में आलू और प्याज हो किन्तु टमाटर न हो तो खाने का जायका बनता ही नहीं है। टमाटर लाल हो या पीला या हरा खाया जाता है। टमाटर खाने -पिने के जायकों में खटास पैदा करता है लेकिन टमाटर की खटास कभी रिश्तों को तोड़ती नहीं बल्कि जोड़ती है। टमाटर विश्व वन्धुत्व का सबसे बड़ा उदाहरण है । आप दुनिया के किसी भी हिस्से में जाइये आपको टमाटर किसी न किसी रूप और रंग में मिल ही जायेगा । दुनिया वाले हर साल 186 मिलियन तन टमाटर पैदा कर हजम कर जाते हैं। टमाटर के बिना साग-सब्जीमन सुर्खी ही नहीं आती ,यानि ‘ टमाटर है जहां,सुर्खी है वहां ‘ । दुनिया को टमाटर खाते हुए पांच सौ साल होने वाले है। मैक्सिको से मकराना तक टमाटर की जरूरत होती है । आजकल टमाटर सर सौ रूपये किलो के भाव पर भी उपलब्ध नहीं हैं। आज की तारीख में केवल वे लोग टमाटर खा सकते हैं जो कम से कम लखपति है। आम आदमी के लिए इन दिनों आलू-प्याज और टमाटर एक ख्वाब जैसे हैं।
देश में आजकल बजट का मौसम है । केंद्र से लेकर राज्यों की सरकारें तक अपना-अपना बजट पेश कर रहीं हैं लेकिन किस भी सरकार का आलू,प्याज और टमाटर पर कोई ध्यान नहीं है। सरकार को शायद पता ही नहीं है कि इन तीनों के दाम आसमान छू रहे हैं। कायदे से सरकार को मानसून के सीजन में हर भारतीय को आलू-प्याज और टमाटर पार उसी तरह राज सहायता [सब्सिडी ] देना चाहिए जैसे की रसोई गैस पर दी जाती है। रसोई में गैस हो और आलू-प्याज -टमाटर न हों तो क्या फायदा ? सरकार को आम आदमी की फ़िक्र कर तत्काल आलू-प्याज और टमाटर खरदने वालों के लिए राज सहायता की घोषणा करते हुए अध्यादेश जारी कार देना चाहि। मेरी गारंटी है कि अठारहवीं लोकसभा में प्रतिपक्ष के नेता राहुल गांधी भी सरकार का समर्थन करेंगे। उन्हें इस मुद्दे पर सरकार के साथ खड़े होना ही पडेगा।
मेरी आदत है कि मै दिन भर चाहे टीवी देखूं या न देखूँ किन्तु रात को आठ बजे टीवी जरूर देखता हू। क्योंकि रात 8 बजे अक्सर हमारे देश के प्रधानमंत्री जी राष्ट्र को सम्बोधित करने आते रहते हैं। मुझे आस लगी रहती है कि माननीय प्रधानमंत्री देश की अवाम को महंगे आलू ,प्याज और टमाटर से बचने के लिए सब्सिडी की घोषणा करेंगे । कुछ नहीं तो जैसे अनेक प्रदेशों में सरकार खुद शराब बेचती है ठीक उसी तरह सरकारी तौर पर दुकानें खोलकर ये तीनों सामान जनता को मुहैया कर सकती है। सरकार आलू-प्याज और टमाटर की उचित मूल्य की दुकाने खोलकर न केवल यश कमा सकती है बल्कि ऐलोपी के नेताओं का भी बेहतर तरीके से मुकाबला कर सकती हैं।
आपको सच बताऊँ कि जब से देश में आलू-प्याज और टमाटर यानि सब्जी मंडी के अमर,अकबर और ऍंथोनी के भाव बढ़े हैं मैंने इन तीनों का किफायत से इस्तेमाल शुरू कर दिया है । आलू के साथ कभी पूरा टमाटर इस्तेमाल नहीं करता ,आधा ही करता हू। इसी तरह प्याज का इस्तेमाल भी आधा ही रह गया है। लेकिन आलू में ज्यादा कटौती नहीं हो पायी। आलू-प्याज और टमाटर के दामों के आसमान पर पहुँचने के लिए न मोदी जी जिम्मेवार हैं और न राहुल गांधी। इसके लिए जिम्मेदार हैं इंद्र देव । उनके द्वारा की जा रही अतिवृष्टि से ये सब महंगे हुए हैं। हमें अपना वो जमाना याद आ रहा है जब दस पैसे में एक किलो टमाटर आ जाते थे।अब इन तीनों से तौबा करने का समय आ गया है।
@ राकेश अचल
achalrakesh1959@gmail.com
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