नारे से वारे-न्यारे !
संदीप शर्मा चुनावों और चुनावी नारों का बहुत पुराना साथ रहा है। सत्तर के दशक से पहले हुए लोकसभा के चुनावों में भले ही नारों का इतना बोल-बाला नहीं रहा हो लेकिन सत्तर के दशक में तो चुनावी नारे बहुत हद तक वोटर को लुभाने,रिझाने, समझाने और मनाने का काम बखूबी करने लगे। आपातकाल … Read more