(राजदीप सिंह सैनी)
लुधियाना 14 दिसंबर। नगर निगम आए दिन अपने कार्यों को लेकर चर्चा में बनी रहती है। इस बार निगम के अफसरों द्वारा अपने अवैध कार्यों को लेकर एक अनोखी मिसाल कायम की है। दरअसल, लुधियाना के रोज गार्डन को अपग्रेड करने के लिए निगम अफसरों द्वारा पहले टेंडर रोक दिया गया और खुद ही टेंडर की तारीख आगे डाल दी गई। फिर कोड ऑफ कंडक्ट लगने के बावजूद उसी के बीच दोबारा से टेंडर की तारीख बदलकर खोल दिया गया। हैरानी की बात तो यह है कि कोड ऑफ कंडक्ट के बीच कोई भी विकास कार्य नहीं किया जा सकता। लेकिन उसके बावजूद निगम अफसरों द्वारा नियमों की धज्जियां उड़ाते हुए सरेआम मनमर्जी कर टेंडर दिए जा रहे हैं। चर्चा है कि पार्क के नवीनीकरण को लेकर खर्च किए जाने वाले करोड़ों रुपए में निगम अफसरों द्वारा हेरफेर करने का प्रयास किया जा रहा है। यहां तक कि अपने करीबी ठेकेदारों को फायदा पहुंचाने की कोशिश भी की जा रही है। जानकारी के अनुसार रोज गार्डन के नवीनीकरण को लेकर 8.80 करोड़ रुपए खर्च किए जाने हैं। इस नवीनीकरण पर खर्च किए जाने वाले पैसों में बड़ा हेरफेर करने की तैयारी की जा रही है।
पहले 9 दिसंबर को खुलना था टेंडर
जानकारी के अनुसार नगर निगम की और से रोज गार्डन को अपग्रेड करने के लिए एक प्रोजेक्ट बनाया गया था। जिसका कुल खर्च 8.80 करोड़ रुपए रखा गया। इस प्रोजेक्ट के लिए कई ठेकेदारों द्वारा बीड डाली गई। निगम द्वारा दिसंबर महीने की शुरुआत में 9 दिसंबर को टेक्निकल टेंडर खोलने का ऑफिशियल तौर पर ऐलान किया। लेकिन सात दिसंबर को कोड ऑफ कंडक्ट लग गया। जिसके चलते निगम द्वारा खुद पंजाब सरकार की ऑफिशियल वेबसाइट पर पत्र डालकर बताया कि इस काम का टेंडर 31 दिसंबर को खुलेगा।
30 दिसंबर तक डाली जा सकती थी बीड
जानकारी के अनुसार नगर निगम द्वारा जारी किए पत्र के मुताबिक किसी भी ठेकेदार द्वारा 30 दिसंबर शाम पांच बजे तक बीड की जा सकती थी। जिसके बाद 31 दिसंबर सुबह 11 बजे टेक्निकल टेंडर खोला जाना था। जिसके जरिए बीड डालने वाले ठेकेदारों के दस्तावेज चैक किए जाने थे। जिसके बाद ही फाइनेंशियल टेंडर खोला जाना था।
11 दिसंबर को रातों रात बदल डाले आदेश
चर्चा है कि नगर निगम के कुछ अफसरों की और से 11 दिसंबर को रातों रात आदेश जारी करके 13 दिसंबर को ही टेक्निकल टेंडर खोलने का ऐलान कर दिया गया। हैरानी की बात तो यह है कि कोड ऑफ कंडक्ट के बीच किसी भी तरह के विकास कार्य का टेंडर खुल ही नहीं सकता। जबकि निगम के ही चुनाव है और निगम द्वारा खुद तारीख 31 दिसंबर रखी गई थी और फिर मनमर्जी से एकदम तारीख बदलकर 13 दिसंबर को टेंडर खोल भी दिए।
चहेते ठेकेदारों को फायदा पहुंचाने की कोशिश
दरअसल, टेक्निकल टेंडर अगर एक बार खुल जाए तो दोबारा कोई भी ठेकेदार उसमें बीड नहीं कर सकता। चर्चा है कि निगम अफसरों द्वारा चहेते ठेकेदारों को फायदा पहुंचाने के लिए जानबुझकर पहले टेक्निकल टेंडर खोल दिया गया, ताकि कोई और बीड न डाल सके। जिसके बाद फाइनेंशियल टेंडर की तारीख चुनाव के बाद रख दी। चर्चा है कि निगम के उच्च अफसरों के साथ कुछ ठेकेदारों की अच्छी सेटिंग होने के चलते यह सब कुछ किया गया है।
पहली बार प्रीपोन हुआ टेंडर
जानकारी के अनुसार नगर निगम के एतिहास में पहली बार हुआ है कि किसी टेंडर को पहले पोस्टपोन कर दिया गया और फिर अपने फायदे के लिए प्रीपोन भी कर दिया। हालांकि लोगों की मांग है कि इस टेंडर को दोबारा से ऐलान किया जाए और पूरी प्रक्रिया फिर से हो। ताकि किसी तरीके का कोई घोटाला न हो।