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अपराजिता देवी

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डॉ. मोनिका रघुवंशी

कलयुग में दुराचार और लोभ नामक दोनों असुरों ने अपने बल के मद में आकर सभी लोकों का राज्य और सुख के भाग छीन लिये। सभी को पराजित एवं भ्रष्ट करके त्रस्त कर दिया। सभी के स्थाई रूप से सुखी रहने के अधिकार भी छीन लिये। असुरों से पराजित शुद्ध हृदय के मनुष्य नवरात्रि में अपराजिता देवी का व्रत पूजा के माध्यम से स्मरण करने लगे। भगवती देवी ने आपत्ति काल में स्मरण करने पर सदैव सम्पूर्ण संकटों का तत्काल ही नाश किया है। कल्याणी देवी प्रणाम करने वालों की उन्नति करने वाली, सिद्धि स्वरूपा देवी है। लक्ष्मी जगत माता को नमस्कार है। दुर्गा दुर्गम संकट से पार करने वाली को निरन्तर नमस्कार हो। अत्यन्त सुन्दर एवं अत्यन्त भयंकर रूप वाली देवी को बारम्बार प्रणाम हो। जगत् की प्रतिष्ठा रूपा देवी को नमस्कार हो। सभी प्राणियों में चेतना कही जाने वाली देवी को नमस्कार हो। सब प्राणियों में बुद्धि रूप से स्थित सरस्वती देवी को नमस्कार हो। नवरात्रि में सच्चे मन से माता को याद करने पर सहायता अवश्य करती हैं।

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