किसानों का गुस्सा, प्राइवेट खरीदार फसल सस्ती खरीद बासमती चावल महंगा बेच रहे, सरकार चुप
अमृतसर 28 सितंबर। किसान मजदूर संघर्ष कमेटी की अगुवाई में यहां किसानों ने अनोखा विरोध प्रदर्शन किया। बासमती की फसल इस साल सस्ती खरीदी जाने के विरोध में उन्होंने सड़कों पर गेहूं बिखेरकर रोष जताया।
जानकारी के मुताबिक किसान फसल से भरे बोरे लेकर डीसी दफ्तर पहुंचे। उन्होंने डीसी दफ्तर के कैंपस में भी गेहूं फेंक दिया। उनका कहना था कि प्राइवेट कंपनियां किसानों से सस्ते में चावल और गेहूं खरीद रहे हैं और महंगी दरों पर बाजार में बेच रहे हैं। उन्होंने अन्य मांगों पर भी सरकार के खिलाफ रोष जताया। संघर्ष कमेटी के नेता सरवन सिंह पंधेर ने कहा कि किसान फसलों की खरीद के लिए गारंटी कानून की मांग इसीलिए कर रहे हैं।
पंधेर ने कहा कि खरीद गारंटी का एक मुख्य कारण यही है कि इस सीजन में बासमती की किस्म 1509 और 1692 अनियमित तरीके से बाजारों में लूट साबित हो गई। किसान नेता मंगजीत सिंह सिधवां ने भी कहा कि बाजारों का दौरा किया था। कृषि को बाजार अर्थव्यवस्था से जोड़ने को अच्छा कदम बताकर किसानों को गुमराह किया जा रहा है। इस बार किसानों की बासमती को प्राइवेट खरीदारों द्वारा आधी कीमत पर लूटने की पोल खुल गई। यहां मौजूद किसानों ने बताया कि आज की तारीख में बासमती का रेट 2000 से 2400 रुपये प्रति क्विंटल तक है। जबकि पिछले साल इसी फसल का रेट 3500-4000 रुपए के बीच था। जिसके चलते हर किसान को हजारों का नुकसान होता है।
किसान नेताओं ने रोष जताया कि आज उत्पादक को सस्ती कीमत देकर लूट लिया गया है। जबकि ग्राहक को बाजार से बासमती चावल ऊंची कीमत पर खरीदना पड़ रहा है। उन्होंने कहा कि इस बार पंजाब सरकार ने दावा किया था कि अगर बासमती का रेट 3200 रुपए से कम कर दिया जाए तो पंजाब सरकार इस घाटे को पूरा कर देगी। हालांकि ताजा स्थिति में पंजाब सरकार की ओर से कोई बयान तक नहीं दिया गया। जिससे किसान सूबे की आप सरकार से भी निराश हैं।
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