लुधियाना28 अप्रैल। गौर करें तो पंजाब से सटे हरियाणा राज्य में पिछले दस-बारह सालों में विदेश जाकर बसने का चलन बढ़ा है। काफी संख्या में हरियाण्वी विदेश में रह रहे हैं। हालांकि आंकड़ों पर नजर डालें तो एनआरआई हरियाण्वी मतदान को लेकर जागरूक नजर नहीं आते हैं। उस पर तुर्रा ये कि उनको यहां मतदाता बनने के लिए भी कोई जागरुकता मुहिम तक नहीं चलाई जाती है।
इसे लेकर चुनावी-रिकॉर्ड पर नजर डालें तो हरियाणा में कुल 743 एनआरआई मतदाता ही रजिस्टर्ड हैं। आंकड़ों के मुताबिक गुरुग्राम में 314, फरीदाबाद में 161 और अंबाला में 138 एनआरआई मतदाता हैं। इसके बावजूद पिछले लोकसभा चुनाव में यहां एक भी एनआरआई ने अपना वोट नहीं डाला था। साल 2019 में कुल मतदान 70.34 फीसदी हुआ था। जिनमें पुरुषों की भागीदारी 70.27 फीसदी, महिलाओं की 69.55 फीसदी व थर्ड जेंडर की 14.34 फीसदी थी।
कुल 73,182 वोट पोस्टल बैलेट के माध्यम से भी डाले गए थे। चुनावी-रिकॉर्ड में एनआरआई वोटरों के कॉलम में शून्य दर्ज किया गया था। गौरतलब है कि भारत में एनआरआई के लिए डॉक, ऑनलाइन और दूतावास में मतदान को लेकर कोई व्यवस्था नहीं है। यदि किसी अप्रवासी नागरिक को मतदान करना है तो उसे अपने पासपोर्ट के साथ मतदान केंद्र पर आना पड़ेगा।
जानकारी के अनुसार एनआरआई वोट डालना तो चाहते हैं, लेकिन प्रेक्टिकली संभव नहीं हो पाता है। उनके विदेश से आने जाने में काफी पैसा खर्च होने की वजह से वह वोट डालने नहीं आते हैं। हालांकि कई बार ऑनलाइन वोटिंग व ईटीपीबीएस के जरिए वोट डालने की मांग उठाई जा चुकी है। वहीं, दूतावासों में तैनात अधिकारी इलेक्ट्रॉनिकली ट्रांसमिटेड पोस्टल बैलेट सिस्टम (ईटीपीबीएस) के जरिये मतदान कर सकते हैं।
भले ही एनआरआई को ईटीपीबीएस से मतदान करने की सुविधा नहीं है। हालांकि वे सात समंदर पार रहते हुए भी मतदाता सूची में नाम दर्ज करा सकते हैं। इसके लिए चुनाव आयोग की वेबसाइट में फॉर्म नंबर 6 ए उपलब्ध है, जिसे ऑनलाइन भरा जा सकता है। वेबसाइट पर फार्म भरने संबंधी सभी दिशा-निर्देश लिखे हैं। इस फॉर्म को निर्देशानुसार भरकर मतदाता बना जा सकता है। इसके बावजूद एनआरआई वोटर बनने में भी कम ही दिलचस्पी दिखाते हैं।