हरियाणा के राज्यपाल प्रो. असीम कुमार घोष ने कहा कि हरियाणा जैसे प्रगतिशील राज्य में ‘‘द टेक्नोलॉजिकल इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्सटाइल एंड साइंसेज’’ जैसी संस्थाएं राज्य की औद्योगिक क्षमता और मानव संसाधन को सशक्त बना रही हैं। भविष्य के भारत को ऐसे ही संस्थानों की आवश्यकता है। उन्होंने विद्यार्थियों से आह्वान किया कि वे शिक्षण के साथ-साथ नैतिक मूल्यों को भी जीवन में धारण करें और समाज व राष्ट्र की समृद्धि में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएं। डिग्री केवल एक दस्तावेज नहीं, बल्कि यह एक जिम्मेदारी का प्रतीक और समाज के प्रति एक वचन है।
राज्यपाल आज ‘‘द टेक्नोलॉजिकल इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्सटाइल एंड साइंसेज’’ के दीक्षांत समारोह को बतौर मुख्य अतिथि संबोधित कर रहे थे। दीक्षांत समारोह में उनकी धर्मपत्नी श्रीमती मित्रा घोष भी मौजूद रहीं।
इस दौरान राज्यपाल प्रो. घोष ने विभिन्न विषयों से पास आउट लगभग 300 स्नातक एवं स्नातकोत्तर विद्यार्थियों को डिग्री प्रदान की। उन्होंने कहा कि टीआईटीएंडएस जैसी संस्थाएं तकनीकी और औद्योगिक शिक्षा के भविष्य की दिशा निर्धारित कर रही हैं। उन्होंने कहा कि विद्यार्थी केवल रोजगार के लिए नहीं, बल्कि राष्ट्र निर्माण की भावना से कार्य करें।
उन्होंने कहा कि आज का यह दिन केवल डिग्रियां प्रदान करने का अवसर नहीं है, बल्कि यह बुद्धिमत्ता, परिश्रम और ज्ञान की साधना का उत्सव है। उन्होंने कहा कि शिक्षा का अंत दीक्षांत के साथ नहीं होता, बल्कि यह हर नए चुनौती के साथ पुनः प्रारंभ होती है। इस तकनीक और कृत्रिम बुद्धिमत्ता के युग में, हमारी सच्ची विजय मशीनों को अधिक बुद्धिमान बनाने में नहीं, बल्कि स्वयं को अधिक मानवीय बनाने में निहित है।
राज्यपाल ने कहा कि हमारा देश एक ऐतिहासिक मोड़ पर खड़ा है। विकसित भारत 2047 के आह्वान के साथ, भारत का सपना है, एक ऐसे भविष्य का, जो युवा शक्ति, वैज्ञानिक प्रगति और नैतिक नेतृत्व से प्रेरित हो। सच्ची शिक्षा का मूल्य इस बात से नहीं आंका जाता कि आप कितनी ऊंचाई तक पहुंचे, बल्कि इस बात से देखा जाता है कि आपने कितनों को अपने साथ ऊपर उठाया है। सफलता में विनम्रता और आपकी समृद्धि में सेवा की भावना होनी चाहिए।





