विज की दलील, मैं नहीं चाहता कि कोई पद की वजह से मुझसे जुड़े
चंडीगढ़,,, 18 सितंबर। बीजेपी और सीएम नायब सैनी भले ही पार्टी में एकजुटता के लाख प्रयास कर रहे हैं, लेकिन सब कुछ ठीक-ठाक नहीं है। इसकी बड़ी मिसाल सूबे के ऊर्जा, परिवहन एवं श्रम मंत्री अनिल विज हैं।
गौरतलब है कि विज ने अपने X (पूर्व ट्विटर) अकाउंट पर नाम के आगे से मिनिस्टर शब्द हटाने पर अब चुप्पी तोड़ी है। उन्होंने कहा कि मैं नहीं चाहता कि कोई पद की वजह से मेरे साथ जुड़े। अगर कोई मेरा फालोअर बनना चाहता है तो अनिल विज की वजह से बने। हालांकि सार्वजनिक तौर पर उन्होंने सरकार से किसी तरह की नाराजगी से इंकार किया। वहीं, कुछ दिन पहले अंबाला कैंट में पैरलल भाजपा चलाने वालों के बारे में उन्होंने फिर कोई जवाब नहीं दिया।
सियासी-जानकारों की मानें तो विज के इस कदम से संकेत मिल रहे हैं कि अब वे पद के बजाए निजी तौर पर खुद को अंबाला कैंट में मजबूत कर रहे हैं। यहां बता दें कि भाजपा ने सीएम सैनी और भाजपा प्रदेश अध्यक्ष मोहन लाल बड़ौली के खिलाफ बयानबाजी पर विज को नोटिस जारी किया था। उन्होंने इसका लंबा-चौड़ा जवाब भेजा था। जबकि विज और बड़ौली ने इस मामले में चुप्पी साध ली थी। गौरतलब है कि पिछली खट्टर सरकार में भी विज अपने बागी तेवरों के लिए चर्चा में रहे थे।
स्वतंत्रता दिवस पर ध्वजारोहण कार्यक्रमों की सूची में मंत्री विज का नाम शामिल नहीं किया गया था। उन्हें अंबाला में राज्यपाल के साथ लगाया गया था। जब मामला तूल पकड़ा तो बाद लिस्ट में संशोधित की गई थी। इसके अलावा सदन में जासूसी का आरोप लगाकर भी विज ने राजनीतिक हलचल मचा दी थी। विपक्ष ने इसे हवा देते हुए सरकार पर तीखे वार किए थे और उनकी नाराजगी को अंदरूनी असहमति का सबूत बताया।