मतदाताओं की उम्मीद-अब चुने हुए प्रतिनिधि व सरकार के खरा उतरने का इंतजार शुरू
चुनाव आयोग को शहरी क्षेत्र में कम व ग्रामीण क्षेत्रों में अधिक वोटिंग प्रतिशत मतदान की खाई को पाटनें ज़रूरी कदम उठाने की आवश्यकता-एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानीं गोंदिया महाराष्ट्र
गोंदिया – वैश्विक स्तरपर पूरी दुनियाँ की नज़रें 23 नवंबर 2024 को आने वाले भारत की आर्थिक राजधानी मुंबई वाले महाराष्ट्र व आदिवासी बहुल इलाके झारखंड में 20 नवंबर 2024 को हुए विधानसभा चुनाव का परिणामपर लगी हुई है जिसके एक्जिस्ट पोल का आंकलन मीडिया के हर प्लेटफार्म पर 20 नवंबर 2024 शाम 6 के बाद से शुरू होगए है। हर राजनीतिक दल व उम्मीदवार की सांसें अटकी हुई है,हालांकि हर पार्टी व उम्मीदवार अपनी जीत का दम भर रहे हैं, परंतु एक्जिस्ट पोल दोनों पक्षों में अति भारी टक्कर होने के आंकड़े दे रहे हैं, जिसमें मात्र 10 सीटों का अंतर बताया जा रहा है, जिसमें बाज़ी किधर भी पलट सकती है इसका एक कारण शहरी क्षेत्र में मतदान का कम प्रतिशत होना भी है, जैसे मुंबई पुणे व नागपुर जैसे शहरी इलाकों में 50-55 प्रतिशत मतदान होना, मतदाताओं की उदासीनता को व्यक्त करते हैं,जिससे स्वाभाविक रूप से महायुती को फर्क पड़ने की संभावना जताई जा रही है, हालांकि महायुति व महाविकास आघाडी दोनों को मिलने वाली सीटों का अंतर बहुत कम बताया जा रहा है,परंतु मेरा व्यक्तिगत रूप से आँकलन व पिछले एक माह से महाराष्ट्र वह झारखंड के चुनावों पर नज़र रख रहा हूं,तो मेरा अनुमान है महाराष्ट्र में महायुती व झारखंड में सोरेन सरकार की वापसी होने की संभावना दिखाई दे रही है, हालांकि हकीकत से पर्दा 23 नवंबर 2024 को ही उठेगा, यह मेरा निजी आकलन है।चूँकि अब मतदाताओं ने उम्मीदवारों के भाग्य का फैसला मशीनों में कैद कर दिया है, जिसका पता हमें 23 नवंबर 2024 को ही पहले पड़ेगा इसलिए आज हम मीडिया में उपलब्ध जानकारी के सहयोग से इस आर्टिकल के माध्यम से चर्चा करेंगे,महाराष्ट्र झारखंड चुनावी रिजल्ट पर सबकी नज़रें 23 नवंबर 2024 पर टिकी, एक्जिस्ट पोल से सभी दल सहमें।
साथियों बात अगर हम 23 नवंबर 2024 को आने वाले चुनावी परिणामों की करें तो,महाराष्ट्र और झारखंड में उम्मीदवारों की किस्मत ईवीएम में कैद हो चुकी है। महाराष्ट्र में जहां 288 सीटों पर एक चरण में मतदान हुआ है,वहीं झारखंड में 81 सीटों पर राजनीतिक दलों की साख दांव पर लगी है, दोनों ही प्रदेशों में किसे बहुमत मिलने की संभावना है,ये भी अब अनुमानतः साफ हो चुका है, ज्यादर एग्जिट पोल में दोनों ही प्रदेशों में वर्तमान सरकार ही बनती नजर आ रहीहै।एग्जिट पोलमतदाताओं के मतदान के तुरंत बाद किए जाने वाले सर्वेक्षण होते हैं, जिनका उद्देश्य आधिकारिक परिणाम घोषित होने से पहले चुनाव के परिणाम की भविष्यवाणी करना होता है। ये पोल आम तौर पर मतदाताओं से पूछते हैं कि उन्होंने किस पार्टी या उम्मीदवार को वोट दिया और कभी-कभी उनके चुनाव के कारण भी पूछे जाते हैं।एग्जिट पोल मतदान एजेंसियों और मीडिया संगठनों द्वारा किए जाते हैं और आम तौर पर मतदान समाप्त होने के तुरंत बाद नतीजे जारी किए जाते हैं। एग्जिट पोल जनता की राय का एक सिर्फ आकलन देते हैं और चुनाव के परिणाम के बारे में शुरुआती संकेत दे सकते हैं,लेकिन वे हमेशासटीक नहीं होते हैं। महाराष्ट्र की जंग में एक तरफ महाविकास अघाड़ी गठबंधन है वहीं, उनके सामने महायुति की चुनौती है। बीजेपी के नेतृत्व वाला सत्तारूढ़ महायुति गठबंधन सत्ता बरकरार रखने की कोशिश कर रहा है। एकनाथ शिंदे मौजूदा वक्त में महाराष्ट्र के सीएम हैं, वहीं विपक्षी गठबंधन की बात की जाए तो कांग्रेस के साथ शिवसेना उद्धव गुट और एनसीपी शरद गुट मैदान में हैँ।अब 23 नवंबर को नतीजों की घोषणा की जाएगी जिस पर पूरी दुनियाँ की नजरें एकटक टिकी है।
साथियों बात अगर हम महाराष्ट्र में चुनाव लड़ने वाले दो गठबंधनों की करें तो, महाराष्ट्र एग्जिट पोल के नतीजे सामने आ चुके हैं. प्रदेश की 288 सीटों के लिए लाखों की तादाद में वोटर्स ने अपने मताधिकार का इस्तेमाल किया है,इस बार का असेंबली इलेक्शन मुख्य रूप से दो गठबंधन के बीच है, सत्तारूढ़ महायुति और विपक्षी महाविकस अघाड़ी के प्रत्याशियों के बीच मुख्य रूप से मुकाबला है।महायुति की अगुआई जहां बीजेपी कर रही है, वहीं विपक्षी एमवीए में कांग्रेस, एनसीपी (शरद पवार गुट) और शिवसेना (उद्धव गुट) शामिल हैं।महायुति में बीजेपी के साथ ही एनसीपी (अजित पवार गुट) औरशिवसेना (एकनथ शिंदे गुट) घटल दल हैं। ज्यादातर सर्वे एजेंसियों ने महायुति की सत्ता में वापसी दिखाया है, जबकि कुछ ने विपक्षी एमवीए के हिस्से में ज्यादा सीटें जाने का अनुमान जताया है। पोल ऑफ पोल्स में बीजेपी की अगुआई वाली महायुति गठबंधन की सत्ता में वापसी की संभावना जताई गई है।महाराष्ट्र विधानसभा की 288 सीटों के लिए कुल 4,136 उम्मीदवार मैदान में हैं, जिनमें से लगभग आधे यानी 2,086 उम्मीदवार स्वतंत्र हैं। मुख्य पार्टियों में, बीजेपी 149 सीटों पर चुनाव लड़ रही है, जबकि शिवसेना (एकनाथ शिंदे गुट) 81 सीटों पर और अजित पवार की नवल-राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी 59 सीटों पर चुनाव लड़ रही है। विपक्षी दलों में कांग्रेस 101 उम्मीदवारों को मैदान में उतारी है, शिवसेना 95 सीटों पर और शरद पवार की पार्टी 86 उम्मीदवारों के साथ चुनावी मैदान में है।छोटे दलों की भी अपनी महत्वपूर्ण उपस्थिति है। बहुजन समाज पार्टी 237 सीटों पर चुनाव लड़ रही है, जबकि ऑल इंडिया मजलिस-ए- इत्तेहादुल-मुसलमीन 17 सीटों पर अपनी किस्मत आजमा रही है।पीएम के लिए महाराष्ट्र में जीत एनडीए की स्थिति को मजबूत करेगी। लोकसभा में इस साल कम सीटों के बाद यह चुनाव बीजेपी के लिए अति महत्वपूर्ण है।
साथियों बात अगर हम महाराष्ट्र में शहरी व ग्रामीण क्षेत्रों में मतदान परसेंट में भारी अंतर होने की करें तो,शहरी क्षेत्रों में मतदाताओं की उदासीनता एक बड़ी चुनौती बनी हुई है। मुंबई, नागपुर और पुणे जैसे बड़े शहरों में मतदाता कम संख्या में निकलते हैं। इसके कारण नतीजे कुछ ही मतदाताओं के हाथों में आ जाते हैं। महाराष्ट्र के चुनावों में यह सवाल बना हुआ है कि क्या मुंबई और पुणे जैसे शहरी केंद्र अपनी कम मतदान दर के इतिहास को चुनौती देंगे या वही पुराना पैटर्न फिर से दिखेगा? शहरी वोटर की उदासीनता यह मुद्दा 2019 विधानसभा चुनावों में भी देखने को मिला था। महाराष्ट्र के 64 शहरी निर्वाचन क्षेत्रों में से 62 पर राज्य के औसत से कम मतदान हुआ था। लोकसभा चुनावों में भी यह ट्रेंड बना रहा। मुंबई, जो राज्य की राजधानी और भारत की वित्तीय राजधानी है, लंबे समय से कम मतदान दर की समस्या से जूझ रही है। हालांकि, हालिया चुनावों में मुंबई में थोड़ा सुधार देखा गया है। विधानसभा चुनावों में यहां 50 प्रतिशत से अधिक मतदान हुआ है। निर्वाचन आयोग ने कहा कि पिछले विधानसभा और संसदीय चुनावों में महाराष्ट्र के शहरी क्षेत्रों में कम मतदान दर्ज किया गया था जिसके चलते शहरी क्षेत्रों में ज्यादा से ज्यादा मतदान सुनिश्चित करने के लिए मतदाताओं को जागरुक करने पर विशेष ध्यान दिया गया था। बहुमंजिला इमारतों और सोसाइटी में 1,185 से अधिक मतदान केंद्र स्थापित किए गए थे और शहरी तथा युवा मतदाताओं को जागरूक करने के लिए चुनाव से पहले चलाये गए अभियानों में फिल्मी हस्तियों को भी शामिल किया गया।
साथियों बढ़कर हम चुनाव आयोग द्वारा अति जनजागरण अभियान के बावजूद कम मतदान की करें तो मतदान बुधवार को संपन्न हो गया। शाम पांच बजे तक महाराष्ट्र में 58.22 प्रतिशत और झारखंड में 67.59 प्रतिशत मतदान हुआ। वहीं, झारखंड में 2019 में इन विधानसभा सीट पर 67.04 प्रतिशत मतदान हुआ था।
अतः अगर हम उपरोक्त पूरे विवरण का अध्ययन कर इसका विश्लेषण करें तो हम पाएंगे कि महाराष्ट्र झारखंड चुनावी रिजल्ट पर सबकी नज़रें 23 नवंबर 2024 पर टिकी- एक्जिस्ट पोल से सभी दल सहमें।मतदाताओं की उम्मीद-अब चुने हुए प्रतिनिधि व सरकार के खरा उतरने का इंतजार शुरू।चुनाव आयोग को शहरी क्षेत्र में कम व ग्रामीण क्षेत्रों में अधिक वोटिंग प्रतिशत मतदान की खाई को पाटनें ज़रूरी कदम उठाने की आवश्यकता है।
*-संकलनकर्ता लेखक – क़र विशेषज्ञ स्तंभकार साहित्यकार अंतरराष्ट्रीय लेखक चिंतक कवि संगीत माध्यम सीए (एटीसी) एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानीं गोंदिया महाराष्ट्र*