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गुजारा भत्ता विवाद : पति ने हाईकोर्ट में लगाई गुहार, पत्नी की सैलरी ज्यादा

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अदालत का फरमान, जिम्मेदारी से नहीं भाग सकता है पति

चंडीगढ़ 7 नवंबर। दंपति के बीच गुजारा भत्ते को लेकर चल रहे विवाद में पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने अहम फैसला सुनाया। अदालत ने स्पष्ट किया कि पत्नी उससे अधिक कमाती है, यह दलील देकर पति अपने बच्चे के प्रति नैतिक और पारिवारिक जिम्मेदारी से नहीं भाग सकता है।

जानकारी के मुताबिक हाईकोर्ट ने मोगा की फैमिली कोर्ट के उस आदेश को बरकरार रखा है, जिसके तहत पिता को प्रतिमाह बेटे के गुजारा भत्ता के रूप में सात हजार रुपये भुगतान करने को कहा गया था। याचिका दाखिल करते हुए उस महिला के पति ने हाईकोर्ट को बताया कि उसका उसकी पत्नी के साथ विवाद चल रहा है। उसकी एक बेटी है, जो उसकी पत्नी के साथ रहती है। बेटी की कस्टडी के लिए उसने अदालत में याचिका दाखिल की, जो विचाराधीन है।

इसी बीच उसकी पत्नी ने बेटी के गुजारे के लिए फैमिली कोर्ट में याचिका दाखिल की थी। मोगा की फैमिली कोर्ट ने आदेश दिया था कि याची बेटी के गुजारे के लिए प्रतिमाह सात हजार रुपये का भुगतान करेगा। याची ने कहा कि वह प्राइवेट नौकरी करता है और उसका वेतन केवल 22 हजार रुपये है। इस वेतन में उसे अपने पूरे परिवार का गुजारा करना पड़ता है। जबकि याची की पत्नी सरकारी नौकरी करती है और उसका वेतन 34 हजार 500 रुपये है। याची की पत्नी याची से अधिक कमाती है और ऐसे में वह बेटी को अच्छी परवरिश दे सकती है। ऐसे में फैमिली कोर्ट के आदेश को रद्द किया जाना चाहिए।

इसे लेकर हाईकोर्ट ने कहा कि बच्चे माता-पिता दोनों की संयुक्त जिम्मेदारी होते हैं। पिता का यह नैतिक व पारिवारिक दायित्व होता है कि वह अपने बच्चों का भरण पोषण उसी अनुरूप करे, जिस प्रकार उसकी जीवनशैली है। पत्नी अधिक कमाती है यह दलील देकर वह अपने दायित्व से नहीं भाग सकता। इन टिप्पणियों के साथ ही हाईकोर्ट ने पिता की अपील को खारिज कर दिया।

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