जनहितैषी, लखनऊ/28 जनवरी। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने कहा कि महाकुंभ 144 साल में एक बार आता है, वो भी संगम के किनारे ही, मतलब जीवन में एक बार और वो भी नदियों के मिलन स्थल पर, इसीलिए इससे ये संकल्प लेना चाहिए कि हमें जो जीवन मिला है वो अलग-अलग दिशाओं से आती हुई धाराओं के मिलन से ही अपना सही अर्थ और मायने पा सकता है। हमें संगम की तरह जीवन भर मेलजोल का सकारात्मक संदेश देना चाहिए। सद्भाव, सौहार्द और सहनशीलता की त्रिवेणी का संगम जब-जब व्यक्ति के अंदर होगा तब-तब हम सब महाकुंभ का अनुभव करेंगे।
अखिलेश यादव ने कहा कि महाकुंभ में लोग नहीं व्यवस्था अतिविशिष्ट होनी चाहिए। मेला क्षेत्र में वीआईपी लोगों के आने से वन-वे किये जाने की वजह से तीर्थयात्रियों को जो समस्या हो रही है, वो नहीं होनी चाहिए। सरकार पिकअप-ड्राप के लिए बसें चलाए। अव्यवस्था सिर्फ श्रद्धालुओं को ही नहीं महाकुंभ प्रशासन और प्रबंधन में दिन रात लगे अधिकारियों और कर्मचारियों को भी थका रही है।
उन्होंने कहा कि इन असुविधाओं को मेरी आचोलना न समझा जाए बल्कि आस्थापूर्ण सुझाव है कि तीर्थयात्रियों की सुविधाओं के लिए युद्ध स्तर पर प्रयास किये जाए। भाजपा सरकार महाकुंभ को आत्म-प्रचार का स्थान न मानकर, सेवाभाव से देखे, जिससे शांति की कामना लेकर आए आध्यात्मिक पर्यटकों की यात्रा बिना किसी संघर्ष के शांतिपूर्ण रूप से सुसम्पन्न हो सके।