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तिनका-तिनका करके ही झाड़ू से मोहभंग होता नजर आ रहा अहबाब गरेवाल का !

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आप के राष्ट्रीय प्रवक्ता रहे ‘अहबाब’ ने फेसबुक
से नाम भी हटा दिया ‘रकीब’ बनकर आप का

नदीम अंसारी

लुधियाना/यूटर्न/26 अप्रैल। आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता रहे अहबाब गरेवाल कुछ शायराना अंदाज में सियासी-राह पर चल रहे हैं। अपनी सियासी-वफादारी

की दुहाई हाईकमान को देने पर भी इस लोकसभा चुनाव में उनको टिकट नहीं मिल सका। लिहाजा वे आप से खफा हो गए। उनकी बड़ी नाराजगी शायद इसलिए भी है कि उनके बाद आप में आकर विधायक बने अशोक पराशर पप्पी को लुधियाना लोकसभा सीट से उम्मीदवार बना दिया गया।यहां गौरतलब है कि अहबाब का अर्थ दोस्त होता है। लिहाजा अपने नाम के मुताबिक अहबाब गरेवाल भी शायद दोस्ताना-लहजे में ही आप के ‘रकीब’ यानि दुश्मन बन रहे हैं। दिलचस्प पहलू है कि लुधियाना सीट से आप उम्मीदवार का ऐलान होने के बाद अहबाब राजधानी चंडीगढ़ पहुंचे थे। बेपरवाह अंदाज में कांग्रेस भवन गए तो जाहिरतौर पर चुनावी-माहौल में सुर्खियों में आ गए। यह तो वही जाने, सच क्या था, मगर फौरन अफवाह उड़ गई कि वह कांग्रेस में जा रहे हैं।

आप जरा, अहबाब के सियासी-मासूमियत वाले जवाब पर भी गौर कर लें। बोले-कांग्रेस भवन चाय पीने गया था। रही बात कांग्रेस के प्रदेश प्रधान राजा वड़िंग से मुलाकात की तो वह पुराने दोस्त हैं। अकसर मुलाकात होती है। कांग्रेस भवन चाय पीने, खाना खाने जाता रहता हूं। जब किसी दूसरी पार्टी में जाना होगा तो चोरी-छिपे नहीं जाऊंगा। खैर, अहबाब यह नहीं बता सके कि उनके कांग्रेस भवन जाने की ‘टाइमिंग’ क्या कहती है, यानि टिकट का ऐलान होने के ठीक बाद ही क्यों वहां गए। भले ही वहां से लौटने के बाद भी वह आप से कहीं और मतलब किसी दूसरी पार्टी में तो नहीं गए।खैर, अब अहबाब ने आप को एक जोर का सियासी-झटका धीरे से दिया है। उन्होंने अपने फेसबुक पेज से आम आदमी पार्टी का नाम भी हटा दिया है। अब उनके फेसबुक पेज पर सिर्फ ‘पॉलिटिशियन’ लिखा नजर आ रहा है। उनके सियासी-दुश्मनी निभाने के दिलचस्प अंदाज पर खूब चर्चा हो रही है। उनके इस अंदाज के कायल लोग चुटकी लेने के साथ गंभीर टिप्पणियां भी कर रहे हैं। मसलन, उनकी श्रेणी में आने वाले नाराज नेता टिकट कटते ही अपनी पार्टी और उम्मीदवार को पानी पी-पीकर कोस रहे हैं। वहीं, अहबाब राजनीतिक-मर्यादा में रहते हुए बिना खिलाफ बोले अपने ही अंदाज में आप हाईकमान को अपने दिल की बात बखूबी बता रहे हैं।

सियासी-जख्म पुराने भी है : बताते चलें कि अहबाब गरेवाल मजबूत दावेदारी के बावजूद लोस चुनाव में इस बार टिकट कटने से ही खफा नहीं हैं। वह साल 2017 में लुधियाना वैस्ट से विधानसभा चुनाव लड़े थे। हालांकि सामने सत्ताधारी कांग्रेस के दमदर कैंडिडेट भारत भूषण थे। फिर भी अहबाब ने इस सीट से लड़ना मंजूर किया, हालांकि हार गए थे। लिहाजा 2022 के विस चुनाव में पार्टी-परंपरा के मुताबिक उनको फिर से टिकट मिलने की पूरी आस थी। तब आप ने कांग्रेस से आए गुरप्रीत गोगी को टिकट थमा दी थी। अब मीडिया कर्मियों के काफी कुरेदने पर अहबाब ने सस्पेंस भरा डायलॉग बोल आप को भी मैसेज दिया है कि वह आगे क्या कदम

उठाएंगे, अभी नहीं बताएंगे, सही वक्त पर खुद-ब-खुद पता चल जाएगा।

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