चंडीगढ़, 13 अक्तूबर — हरियाणा के कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री श्री श्याम सिंह राणा ने आज केन्या के नारोक काउंटी के गवर्नर श्री पैट्रिक ओले नटुटू से मुलाकात कर भारत-केन्या कृषि सहयोग को नई गति देने पर चर्चा की।
बैठक में दोनों नेताओं ने कृषि भूमि विकास, सिंचाई प्रणाली के आधुनिकीकरण, पशुपालन क्षेत्र में नवाचार, तथा कृषि अनुसंधान और तकनीकी साझेदारी को बढ़ाने के विभिन्न पहलुओं पर विस्तार से विचार-विमर्श किया।
श्री राणा ने बैठक के दौरान हरियाणा में चल रही फसल विविधीकरण नीति, सूक्ष्म सिंचाई प्रणाली और ड्रोन आधारित कृषि तकनीकों से हुए सकारात्मक परिणामों की जानकारी साझा की। उन्होंने कहा कि “हरियाणा ने आधुनिक तकनीक अपनाकर कृषि उत्पादन और किसानों की आय में उल्लेखनीय सुधार किया है। इन अनुभवों से केन्या भी लाभान्वित हो सकता है।”
उन्होंने हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय, हिसार और केन्या के कृषि अनुसंधान संस्थानों के बीच संयुक्त अनुसंधान परियोजनाएं, प्रशिक्षण कार्यक्रमों और विशेषज्ञों के आदान-प्रदान की भी आवश्यकता जताई ताकि दोनों देशों के किसान नई तकनीकों से जुड़ सकें।
गवर्नर पैट्रिक ओले नटुटू ने हरियाणा सरकार की कृषि नीतियों और तकनीकी नवाचारों की सराहना करते हुए कहा कि नारोक काउंटी में भी हरियाणा की तर्ज पर आधुनिक कृषि पद्धतियों को अपनाने का प्रयास किया जाएगा। उन्होंने हरियाणा से सहयोग का स्वागत करते हुए कहा कि “हम किसानों की आय बढ़ाने और सतत कृषि विकास के लिए हर संभव सहयोग के लिए तत्पर हैं।”
कृषि मंत्री श्री श्याम सिंह राणा इन दिनों 9 से 13 अक्तूबर तक केन्या की राजधानी नैरोबी में पांच दिवसीय आधिकारिक दौरे पर हैं। उनके साथ 20 सदस्यीय भारतीय प्रतिनिधिमंडल भी गया है। इस दौरे का उद्देश्य भारत और केन्या के बीच कृषि, बागवानी और कृषि उत्पादों के क्षेत्र में पारस्परिक सहयोग को सुदृढ़ करना और आधुनिक कृषि तकनीकों के आदान-प्रदान को प्रोत्साहित करना है।
इस दौरे के दौरान हरियाणा प्रतिनिधिमंडल ने अंतरराष्ट्रीय कृषि अनुसंधान संस्थान (ICRISAT) और अंतरराष्ट्रीय मक्का एवं गेहूं सुधार केंद्र (CIMMYT) के वरिष्ठ अधिकारियों से भी मुलाकात की। इन बैठकों में मक्का और गेहूं में अनुसंधान नवाचार, कृषि मशीनीकरण, जलवायु परिवर्तन से निपटने की रणनीतियां, और उन्नत कृषि तकनीकों के उपयोग पर गहन चर्चा हुई।
बैठक में यह सहमति बनी कि दोनों देशों के कृषि विश्वविद्यालयों और अनुसंधान संस्थानों के बीच एक्सचेंज प्रोग्राम शुरू किए जाएंगे, जिससे कृषि अनुसंधान, प्रशिक्षण और नई तकनीकों के विकास में परस्पर सहयोग को और मजबूत किया जा सके।