उत्तराखंड-हिमाचल प्रदेश के बाद अब जम्मू-कश्मीर में मानसूनी-कहर, रेवेन्यू के चक्कर में सरकारें लापरवाह !

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किश्तवाड़ जिले में दो पहले बादल फटने के दर्दनाक हादसे में अब तक 65 लोगों की मौत, 40 गंभीर, 200 लापता

नई दिल्ली, 16 अगस्त। देश के प्रमुख पहाड़ी राज्य उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश और जम्मू-कश्मीर पर्यटन के साथ ही धार्मिक स्थलों के लिए मशहूर हैं। लिहाजा इन तीनों राज्यों में खासतौर पर पर्यटकों के अलावा बड़ी तादाद में श्रद्धालु भी जाते हैं। फिलहाल मानसूनी-कहर से तीनों सूबों में तबाही का आलम हैं।

उत्तराखंड और हिमाचल में लैंडस्लाइडिंग और बाढ़ के चलते हुए भारी नुकसान के बीच दो दिन पहले जम्मू-कश्मीर में किश्तवाड़ जिले के चसोटी गांव में बादल फटने से मची तबाही के दिलदहलाने वाले नतीजे सामने आ रहे हैं। वहां शनिवार सर्च-रेस्क्यू का आज तीसरा दिन था। अब तक 65 लोगों की मौत हो चुकी है। 34 शवों की पहचान की जा चुकी है। 500 से ज्यादा लोग रेस्क्यू किए गए हैं, जबकि 200 लोग अब भी लापता हैं। घायलों की संख्या 180 है, जिनमें से 40 की हालत गंभीर है। सभी घायलों को किश्तवाड़-जम्मू के अस्पतालों में भर्ती किया गया है।

यह हादसा उस वक्त हुआ, जब हजारों श्रद्धालु मचैल माता यात्रा के लिए जिले के पड्डर सब-डिवीजन में चसोटी गांव पहुंचे थे। यह यात्रा का पहला पड़ाव है। यहां श्रद्धालुओं की बसें, टेंट, लंगर और कई दुकानें थीं। सब कुछ बाढ़ में बह गया। यहां ऊंचाई पर ग्लेशियर और ढलानें हैं, जो पानी के बहाव को तेज करती हैं।

शासन-प्रशासन क्यों अलर्ट नहीं करता !

बात चाहे उत्तराखंड की हो, जहां चारों धाम यात्रा के अलावा हमेशा श्रद्धालु हरिद्वार जाते रहते हैं। इसी तरह, हिमाचल प्रदेश में भी धार्मिक स्थलों के दर्शन को बड़ी तादाद में जाते हैं। जबकि जम्मू-कश्मीर में श्री अमरनाथ यात्रा सबसे प्रमुख है। इसके बावजूद खासतौर पर मानसून के दौरान राज्य सरकारें आखिर पर्यटकों और श्रद्धालुओं को संभावित खतरों के प्रति अधिकारिक तौर अलर्ट क्यों नहीं करती हैं ? इसी अहम मुद्दे को ‘यूटर्न टाइम’ लगातार शिद्दत से उठा रहा है। एक्सपर्ट्स तो इस मामले में संबंधित सरकारों को खुलकर जिम्मेदार ठहरा चुके हैं। उनके अलावा कुछ प्रशासनिक अधिकारी भी नाम ना छापने की शर्त पर मान चुके हैं कि ऐसे खतरों की अलर्ट करने वाली अधिकारिक सूचना जारी ना करना सरकारों की मजबूरी होती है। दरअसल इन पहाड़ी राज्यों के रेवेन्यू का एक बड़ा हिस्सा पर्यटकों और श्रद्धालुओं के जरिए ही आता है।

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