दिल्ली विस चुनाव में हार के बाद आप ने बदली रणनीति, पंजाब में उद्यमियों, अन्य वर्ग पर भी फोकस !

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मान सरकार का दो ओटीएस स्कीम को मंजूरी, करप्शन रोकने और किसान आंदोलन पर एक्शन से चर्चाएं

लुधियाना 4 मार्च। बीते दिल्ली विधानसभा चुनाव में हार का असर पंजाब तक नजर आ रहा है। सियासी-जानकारों की नजर में अब पंजाब इकलौता सूबा है, जहां आम आदमी पार्टी की सरकार है। लिहाजा दिल्ली के चुनावी-नतीजों से सीख लेते हुए खासतौर पर आप ने अपनी रणनीति में फेरबदल किया है। जिसके तहत समाज के हर वर्ग, खासकर उद्यमियों पर भी फोकस किया जा रहा है।

ओटीएस स्कीमों को मंजूरी बड़ा संकेत :

काबिलेजिक्र है कि सोमवार को पंजाब सरकार ने कैबिनेट बैठक में उद्योगपतियों की 20 साल पुरानी मांग मान ली। जिसके तहत दो अलग-अलग वन टाइम सेटलमेंट यानि ओटीएस स्कीमों को मंजूरी के दी है। इससे कम से कम 4 हजार कारोबारियों को लाभ मिलेगा। वैसे तो यह स्कीम पूरे पंजाब में लागू की गई है। हालांकि इसका सबसे बड़ा फायदा लुधियाना और जालंधर की इंडस्ट्री को मिलेगा। सरकार के इस फैसले की इंडस्ट्री द्वारा काफी सराहना की जा रही है। राज्यसभा सांसद संजीव अरोड़ा द्वारा इंडस्ट्री को यह राहत दिलाने में अहम भूमिका निभाई गई।

कारोबारी एसोसिएशन ने उठाया था मुद्दा

यहां बता दें कि सीआईआई, अपेक्स चैंबर, सीआईसीयू, एटीआईयू, फिक्को समेत अलग अलग एसोसिएशनें ओटीएस स्कीम का मुद्दा उठाती रही थीं। इस मुद्दे पर सीएम भगवंत मान ने सांसद संजीव अरोड़ा समेत कई मंत्रियों के साथ उद्यमियों से बैठकें की थीं। जबकि कारोबारियों ने इस स्कीम को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी।

मान सरकार के बाकी स्टैंड भी चौंकाने वाले :

सूबे में आंदोलित किसानों ने केंद्र के साथ जिस तरह सूबे की आप सरकार पर निशाने साधे तो राज्य सरकार के तेवर बदले। किसानों को नसीहत देते सीएम मान का यह कहना कि उनके आंदोलन से कारोबारी भी नुकसान उठा रहे हैं, उद्यमियों को जरुर राहत देगा। साथ ही आम लोग भी प्रभावित होंगे। इसके साथ ही सीएम ने तहसीलदारों के आंदोलन पर कड़ा रुख अपना समाज के हर वर्ग को प्रभावित किया, इनमें कारोबारी भी शामिल हैं। जाहिर है, तहसीलों में करप्शन से कारोबारी भी प्रभावित होते हैं।

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