वेस्ट तहसील में तहसीलदार समेत 9 लोगों द्वारा बेशकीमती जमीन की जाली रजिस्ट्री कराने का मामला
लुधियाना 1 मार्च। कैनाल रोड पर गांव नूरपूर में मौजूद एनआरआई की बेशकीमती जमीन की जाली रजिस्ट्री करके हड़पने के मामले में विजिलेंस ब्यूरो लुधियाना रेंज की और से एफआईआर दर्ज की गई है। जिसमें तहसीलदार जगसीर सिंह सरां, खरीदार दीपक गोयल, नंबरदार बघेल सिंह, रजिस्ट्री क्लर्क कृष्ण गोपाल, वकील गुरचरण सिंह, अमित गौड़, जाली दीप सिंह, एक कंप्यूटर ऑपरेटर और प्रॉपर्टी डीलर रघबीर सिंह को आरोपी बनाया गया है। इस मामले में अभी तक विजिलेंस द्वारा सिर्फ वकील गुरचरण सिंह को ही गिरफ्तार किया गया है। जबकि इसके अलावा किसी भी आरोपी की गिरफ्तारी नहीं की गई। वहीं इस मामले में तहसीलदार जगसीर सिंह के बाद दूसरा किंगपिन रजिस्ट्री क्लर्क कृष्ण गोपाल राजू को माना जा रहा है। क्योंकि रजिस्ट्री करवाने की शुरुआत से लेकर रजिस्ट्री होने तक रजिस्ट्री क्लर्क की ही जिम्मेदारी होती है। चर्चा है कि इस जाली रजिस्ट्री कराने में क्लर्क कृष्ण गोपाल की और से अहम रोल अदा किया गया। इनकी मिलीभगत के बाद ही पूरे घटनाक्रम को अंजाम दिया गया। वहीं चर्चा यह भी है कि रजिस्ट्री क्लर्क कृष्ण गोपाल राजू 100 करोड़ का मालिक है। वह कई कीमती जमीनों का मालिक भी है। लेकिन अभी तक विजिलेंस इसका खुलासा नहीं कर सकी है।
एक दर्जन से अधिक बेशकीमती प्रॉपर्टियां होने की चर्चा
वहीं चर्चा है कि रजिस्ट्री क्लर्क कृष्ण गोपाल राजू के पास एक दर्जन से अधिक बेशकीमती प्रॉपर्टियां है। लेकिन यह जमीनें उसने अपने नाम पर नहीं बल्कि दूसरे लोगों के नाम पर ले रखी है। चर्चा है कि कृष्ण गोपाल के पास की यह जमीनें शहर के अलग अलग इलाकों में है। जिसमें ज्यादातर जमीनें पॉश एरिया में होने की चर्चा है।
30 गज के मकान से शुरुआत कर बना करोड़पति
चर्चा है कि रजिस्ट्री क्लर्क कृष्ण गोपाल राजू करीब 20 साल पहले जवाहर नगर कैंप में 30 गज के मकान में रहता था। लेकिन तहसील में नौकरी करने के बाद उसकी आमदन इतनी तेजी से बढ़ी कि वह देखते ही देखते करोड़पति बन गया। चर्चा है कि उसकी मिड्ढा चौक के पास करीब 500 गज में आलिशान कोठी है। हैरानी की बात तो यह है कि एक कलर्क के पास इतना पैसा आखिर कहा से आ सकता है। चर्चा है कि अभी दो हजार गज की जमीन पर नई कोठी का भी निर्माण कार्य किया जा रहा है।
सरकार अफसरों-मुलाजिमों की कराए नेटवर्थ की जांच
लोगों में चर्चा है कि पंजाब सरकार और काम करने की जगह पहले सरकारी अफसरों और मुलाजिमों की जायदादों और उनकी नेटवर्थ की जांच करवाए। आखिर एक कलर्क से लेकर तहसीलदार तक के अधिकारी आखिर करोड़पति कैसे बन बैठे हैं। सरकार को चाहिए कि जब इन मुलाजिमों की भर्ती हुई थी, तब से लेकर अब तक पूरी हिस्ट्री की जांच होनी चाहिए।
3 पार्षदों को इलेक्शन फंडिंग करने की चर्चा
वहीं चर्चा है कि कृष्ण गोपाल राजू द्वारा राजनीति में भी अच्छी पैठ है। कई बड़े राजनेताओं के साथ उसका उठना बैठना है। चर्चा है कि हाल ही में लुधियाना में हुए नगर निगम के चुनाव के दौरान उसकी और से तीन पार्षदों को भी इलेक्शन फंडिंग की गई थी। हैरानी की बात तो यह है कि एक क्लर्क द्वारा चुनाव फंड में जारी किया जा रहा है। विजिलेंस के लिए अब यह जांच का विषय है। चर्चा है कि अगर विजिलेंस इसकी जांच करे तो कई राजनेताओं के चेहरे भी सामने आ सकते हैं।
निगम ठेकों में भी हिस्सेदारी
चर्चा है कि कृष्ण गोपाल राजू करीब 100 करोड़ का मालिक है। दिखाने के लिए उसकी और से एक समाजसेवी संस्था भी चलाई जा रही है। उसकी और से अपने चहेते नेताओं के जरिए नगर निगम में ठेके तक लिए जाते हैं। नेताओं द्वारा उसे ठेके दिए जाते हैं और ठेके लेने में सारी फंडिंग राजू द्वारा की जाती है। चर्चा है कि नेताओं का भी इसमें बड़ा हिस्सा रहता है।
वेस्ट तहसील में है पूरा होल्ड
चर्चा है कि कृष्ण गोपाल राजू का पूरी वेस्ट तहसील में पूरा होल्ड है। कहा कौन सी रजिस्ट्री करानी है, कब कौन सी रजिस्ट्री होगी और कौन सी फाइल कहा देनी है, सब फैसला राजू द्वारा ही किए जाते हैं। यहां तक कि तहसीलदार द्वारा भी राजू के साथ मिलकर ही सभी कार्य किए जाने की चर्चा है। ऐसे में लोगों में चर्चा है कि राजू इस एनआरआई की जमीन की ठगी का दूसरा किंगपिन है। अगर उसकी गिरफ्तारी होती है तो बड़े खुलासे हो सकते हैं।
क्या विजिलेंस डाल सकेगी नुकेल
वहीं अब देखना होगा कि विजिलेंस की और से इस मामले के दोनों किंगपिन पर नुकेल डाली जा सकेगी या नहीं। हालांकि चर्चा है कि विजिलेंस ने बेशक मामला दर्ज करके एक आरोपी को गिरफ्तार भी कर लिया है। लेकिन बाकी आरोपियों की गिरफ्तारी में देरी के चलते कही न कही उन्हें बचाव का रास्ता तो नहीं दिया जा रहा। अब देखने लायक है कि पुलिस इस मामले के सभी आरोपियों को गिरफ्तार कर उनकी प्रॉपर्टियों का खुलासा कर सकेगी या नहीं।