मुद्दे की बात : मलिक के बाद धनखड़, भाजपा का ‘संकट’

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किसान आंदोलन पर पूर्व राज्यपाल के बाद उप राष्ट्रपति मोदी सरकार पर हमलावर, विपक्ष को मिला मौका

सियासी-चश्मे से देखें तो किसान आंदोलन को लेकर केंद्र में सत्तारुढ़ भारतीय जनता पार्टी ने इसे राजनीति से प्रेरित साजिश करार दिया था। फिर तीन कृषि-कानूनों को लेकर भाजपा बैकफुट पर आ गई थी। रही-सही कसर संघ-परिवार और भाजपा के ‘चैनलों’ से महत्वपूर्ण संवैधानिक पदों पर पहुंचे पूर्व राजनेताओं ने पूरी कर दी। जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल रहे सत्यपाल मलिक किसान आंदोलन को लेकर केंद्र की भाजपा नेतृत्व वाली सरकार को सवालिया कटघरे में पहले ही खड़ा कर चुके हैं।

अब जबकि देश में किसानों का आंदोलन एक बार फिर से चर्चा में है, ऐसे में उप-राष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने किसानों के मुद्दे को लेकर सीधे-सीधे केंद्र सरकार पर ही सवाल खड़े कर दिए। जाट नेता रहे धनखड़ ने किसानों के मुद्दे को जिस तरह से कृषि मंत्री के सामने बिना लाग-लपेट उठाया, उससे सत्यपाल मलिक याद आ गए। जम्मू-कश्मीर के उप-राज्यपाल रहे जाट नेता मलिक ने तो किसानों के मुद्दे पर सीधे पीएम नरेंद्र मोदी को कटघरे में खड़ा कर दिया था। किसानों के मुद्दे पर जिस तरह से जाट नेता सवाल उठा रहे हैं, इससे बीजेपी के साथ केंद्र सरकार पर नैतिक दबाव पड़ना तय माना जा रहा है।

मलिक ने कृषि-कानूनों के संदर्भ में पीएम मोदी को अहंकारी तक बता डाला था। मलिक ने जयपुर की एक सभा में कहा था कि मैं जब किसानों के मामले में प्रधानमंत्री से मिलाने गया तो मेरी पांच मिनट में उनसे लड़ाई हो गई, वो बहुत घमंड में थे। मलिक के अनुसार जब मैंने उनसे कहा था कि हमारे 500 लोग मर गए… तो उन्होंने कहा-मेरे लिए मारे गए हैं ? जिस पर मैंने कहा कि आपके लिए ही तो मरे थे, जो आप राजा बने हुए हो… मेरा झगड़ा हो गया।

अब उप-राष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने सवाल किया है कि आखिरकार किसानों से वार्ता क्यों नहीं हो रही है। उन्होंने कहा कि कृषि मंत्री जी, हर पल आपके लिए महत्वपूर्ण है। मैं आपसे अनुरोध करता हूं और भारत के संविधान के तहत दूसरे सबसे बड़े पद पर विराजमान व्यक्ति के रूप में आपसे आग्रह करता हूं कि कृपया मुझे बताइए। उन्होंने सवाल किया कि क्या किसानों से कोई वादा किया गया था और वह वादा क्यों नहीं निभाया गया। हम वादा पूरा करने के लिए क्या कर रहे हैं। पिछले साल भी आंदोलन था, इस साल भी आंदोलन है और समय जा रहा है, लेकिन हम कुछ नहीं कर रहे हैं। धनखड़ ने कहा कि कृषि मंत्री जी, मुझे तकलीफ हो रही है। मेरी चिंता यह है कि अब तक यह पहल क्यों नहीं हुई। आप कृषि और ग्रामीण विकास मंत्री हैं।

कुछ ऐसे ही तेवरों के साथ अक्टूबर, 2022 में सत्यपाल मलिक ने कहा था कि किसानों को फिर एक आंदोलन के लिए तैयार रहना चाहिए। मलिक तो केंद्र सरकार पर किसानों को खिलाफ षड्यंत्र रचने का आरोप भी लगा चुके हैं। फिलहाल भी बीजेपी किसानों के मुद्दे को लेकर बैकफुट पर नजर आ रही है। सरकार की तरफ से किसानों की आय दोगुनी करने से लेकर न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीद की बातें लगातार की जाती है। वहीं, कृषि कानून वापस लिए जाने के बाद किसानों से किए गए वादों को पूरा करने को लेकर सरकार की तरफ से उदासीनता भी साफ नजर आती है। चुनावों के दौरान बीजेपी किसानों के मुद्दे पर बैकफुट पर नजर आती है। पंजाब, हरियाणा से लेकर पश्चिमी उत्तर प्रदेश में बीजेपी के प्रति किसानों की नाराजगी स्पष्ट तौर पर उभर कर आती है। ऐसे में उपराष्ट्रपति ने जिस तरह से किसानों के मुद्दे पर सरकार को लेकर सरकार पर सीधे-सीधे सवाल उठाए हैं इससे पार्टी के साथ ही सरकार को जवाब देना होगा। उपराष्ट्रपति ने इस तरह से सीधे-सीधे विपक्ष को सरकार पर हमला करने का मौका दे दिया है। कांग्रेस ने किसानों से जुड़े वादों को लेकर उप-राष्ट्रपति के बयान पर कहा कि वह भी सरकार से यही सवाल पूछ रही है कि एमएसपी के लिए कानूनी-गारंटी कब हकीकत का रूप लेगी।

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